पाचन तंत्र हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम जो कुछ खाते हैं उसको ऊर्जा में बदलना और हमारे आहार से शरीर के विकास के लिए जरूरी तत्व अलग करना, ये सब पाचन क्रिया के ही अंतर्गत आता है। आजकल बहुत सारे लोग पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं। इसकी वजह लोगों के खान-पान संबंधी आदतें और कम शारीरिक मेहनत है। बाजार में बिकने वाले मंहगे फास्टफूड्स और तले-भुने पदार्थों से हमारी पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खाने की आदतों में थोड़ी फेर-बदल और कुछ योगासनों के नियमित अभ्यास से आप अपने पाचन तंत्र को मजबूत बना सकते हैं ताकि किसी भी स्वादिष्ट खाने के देखकर आपको मन मसोसकर न रह जाना पड़े। दरअसल योग से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हमारा लिवर ठीक तरह से काम कर पाता है।
पश्चिमोत्तासन
पश्चिमोत्तासन के अभ्यास से शरीर का पाचनतंत्र मजबूत होता है और पेट संबंधी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इससे शरीर में रक्त का संचार ठीक से होता है। पश्चिमोत्तासन के लिए पैर सीधे फैलाकर बैठ जाएं। अब दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांसों को अंदर खींचते हुए पैरों के तलवों को पकड़ने की कोशिश करें साथ ही घुटने से माथा छूने की कोशिश करें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथ ऊपर करके सामान्य हो जाएं। इस आसन को दो से तीन बार दोहराएं।
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उत्तानासन
उत्तानासन पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ कमर और पेट की चर्बी को कम करता है। इसके अलावा उत्तानासन के नियमित अभ्यास से पीठ और कमर दर्द में भी लाभ होता है और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इस आसन को करने से पहले आपका पेट बिल्कुल खाली होना चाहिए। इस आसन को करने के लिए किसी समतल जगह पर खड़े हो जाएं और कमर के ऊपर के हिस्से को झुकाते हुए अपने पैर के तलवों को छूने की कोशिश करें। इस दौरान सांस अंदर की तरफ खींचें। अगर आप तलवों को नहीं छू पा रहे हैं तो कई दिनों की कोशिश के बाद धीरे-धीरे छूने लगेंगे। लेकिन इसके लिए घुटनों को न मोड़ें।
पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन से शरीर की पाचन क्रिया रहती है। गैस की समस्या में इस योगासन से बेहतर कोई इलाज नहीं है। इसके अलावा इस योगासन के अभ्यास से कमरदर्द और गठिया जैसे रोगों में भी लाभ मिलता है। पवनमुक्तासन को करने के लिए सबसे पहले सीधे लेट जाएं। अब दाहिने पैर को मोड़कर अपनी छाती को घुटनों से छूने की कोशिश करें। फिर दोनों हाथों की मदद से दाएं पैर को अपनी ओर खीचें और सिर उठाकर घुटने से नाक छूने की कोशिश करें। अब इसी प्रक्रिया को बाएं पैर से करें। पवनमुक्तासन का रोज कम से कम 10 बार अभ्यास करें।
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सर्वांगासन
सर्वांगासन हमारी पाचन क्रिया के साथ-साथ हमारे लिवर और किडनी को भी दुरुस्त रखता है। इसे करने के लिए जमीन पर योगा मैट या चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को शरीर से सटा लें। अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। इसके बाद गर्दन के नीचे के हिस्से को ऊपर उठाएंगे और शरीर से लगभग समकोण बनाएंगे, इसके साथ ही कोशिश करेंगे कि आपकी ठोड़ी से आप अपना सीना छुएं। इस स्थिति में कुछ देर रहें और फिर वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं। इस क्रिया को रोज 5 से 10 बार कर सकते हैं। अगर शुरू में आपको इस आसन में टिके रहने में परेशानी होती है तो आप इसे दीवार के सहारे भी कर सकते हैं।
नौकासन
नौकासन भी हमारे पाचन तंत्र के साथ-साथ लिवर और हार्ट संबंधी दोषों को दूर करता है। नौकासन के अभ्यास से हर्निया की समस्या में भी राहत मिलती है। इसे करने के लिए किसी समतल जमीन पर योगा मैट या चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब सांसों को अंदर खींचते हुए अपने दोनों हाथों, पैरों और सिर को ऊपर की तरफ उठाएं। इसी अवस्था में थोड़ी देर रहें और फिर सांस छोड़ते हुए वापस पहले वाली अवस्था में आ जाएं। इस आसन को करते समय व्यक्ति का आकार नौका जैसा हो जाता है इसलिए इसे नौकासन कहते हैं।
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