अमेरिका के येल विश्वविद्यालय की मनोवैज्ञानिक ओरियाना ऐरागन ने कहा, "जब लोग प्रभावशाली सकारात्मक भावनाएं महसूस करते हैं तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। जो लोग ऐसा करते हैं वो उन प्रभावशाली भावनाओं से उबर भी जाते हैं। लोग इस भाव के साथ भावनाओं में संतुलन बहाल कर लेते हैं।"
येल विश्वविद्यालय में ऐरागन और उनके साथियों ने कुछ लोगों को भावनात्मक परिदृश्य दिये जैसे प्यारे शिशु या युद्ध से लौटे सिपाही से उसकी पत्नी का मिलना, और फिर उनकी प्रतिक्रियाओं को नोट किया। उन्होंने पाया कि वे लोग जो सकारात्मक खबर के लिए नकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाते हैं वो अधिक तीव्रता से गहरी भावनाओं को संयमित कर लेने में सक्षम होते हैं।
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उन्होंने ये भी पाया कि, वो लोग जिनकी अपने बच्चे की ग्रेजुऐशन पर रोने की अधिक संभावना होती है, उन लोगों को एक प्यारे शिशु को छेड़ने का ज्यादा मन करता है।
इस बात के कुछ पुख्ता प्रमाण है कि प्रभावशाली नकारात्मक भावनाएं सकारात्मक प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकती हैं। उदाहरण के लिए, जब लोग किसी मुश्किल या डरावनी स्थितियों का सामना करते हैं तो बेचैन हंसी हंसते हैं। और, हम बहुत ज्यादा उदासी में भी मुस्कुराने लगते हैं।
ऐरागन ने कहा, "इन नई खोजों ने उन सामान्य बातों को सामने लाना शुरू किया है जिन्हें बहुत लोग करते हैं लेकिन अपने आपको तक नहीं समझते।"
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उन्होंने कहा, "इस निरीक्षण ने हमारी इस समझ को बढ़ाया है कि लोग किस तरह से अपनी भावनाओं को प्रकट और नियंत्रित करते हैं, ये मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दूसरों के साथ संबंधों की गुणवत्ता और यहां तक कि इस बात से भी जु़ड़ी हुई है कि किस तरह से लोग मिलकर काम करते हैं।"
इसलिए अगर आप किसी शख्स को बहुत ज्यादा खुशी के वक्त आंखों से आंसू बहाते हुए देखें, तो बिल्कुल हैरान न हों। ये सामान्य है, और अच्छा भी!
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