करेला एक बेहद लाभदायक और पौष्टिक सब्जी है, और इसी लिये सेहत के लिए करेले का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। डायबिटीज के मरीज को भी कई बार करेला खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसे प्रयोग करने के संबंध में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि करेला खाने के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। तो चलिये जानें क्या हो सकते हैं डायबिटिक में करेला खाने के साइडइफेक्ट।
डायबिटीज के मरीज के लिये
डायबिटीज में यदि बहुत ज्यादा करेला खाया जाए तो ये कई बार डायबिटीज रोगी के लिये हानिकारक भी हो सकता है। करेले के ज्यादा सेवन से उनका ब्लड प्रेशर कम हो सकता है इसलिए ड़ायबिटीज में करेले के नियमित प्रयोग से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर ले लेनी चाहिये।
प्रेग्नेंसी में
गर्भवती महिलाओं को भी करेले का नियमित या ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, इससे गर्भस्था शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही वे महिलाएं जो मां बनने के बारे में सोच रही हैं, अन्हें भी करेले के अधिक सेवन से बचना चाहिये क्योंकि इसके बीजों में मेमोरचेरिन तत्व होता है जो प्रेग्नेंसी में बाधा पैदा कर सकता है। करेले में मौजूद तत्व फर्टिलिटी संबंधित दवाओं का प्रभाव भी खत्म कर देता हैं।
लिवर
अधिक मात्रा में करेले के सेवन से लिवर इंफ्लेमेशन हो सकता है। करेला डायरेक्टली लिवर को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन इसके अधिक सेवन से लिवर एंजाइम्स बढ़ जाते हैं जो धमनियों में अकड़न को बढ़ा सकते हैं। करेले का बीज में लेक्टिन नामक तत्व है जो आंतों तक प्रोटीन के संचार को रोक सकता है।
करेले का सेवन शुगर कम तो करता है लेकिन जरूरत से ज्यादा रक्त में शुगर का स्तर कम हो जाने पर यह हाइपोग्लाइकोमिया कोमा नामक मानसिक समस्या का कारण हो सकता है। करेले के अत्याधिक सेवन से हेमोलाइटिक अनीमिया भी हो सकता है। इसमें पेट में दर्द, सिर दर्द, बुखार या कोमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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