जन्म के समय ही हर बच्चे को हेपेटाइटिस का इंजेक्शन लगना चाहिए। हेपेटाइटिस कई प्रकार का होता है। हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई।
हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस 'बी' वास्तव में 'बी' टाइप के वायरस से होने वाली बीमारी है। हेपेटाइटिस बी को सीरम हेपेटाइटिस भी कहा जाता है। यह रोग रक्त, थूक, पेशाब, वीर्य और योनि से होने वाले स्राव के माध्यम से होता है। ड्रग्स लेने के आदि लोगों में या उन्मुक्त यौन सम्बन्ध और अन्य शारीरिक निकट सम्बन्ध रखने वालों को भी यह रोग हो जाता है। विशेषकर अप्राकृतिक संभोग करने वालों में यह रोग महामारी की तरह फैलता है।
इस दृष्टि से टाइप 'ए' के मुकाबले टाइप 'बी' ज्यादा भयावह होता है। इस टाइप का प्रभाव लीवर पर ऐसा पड़ता है कि अधिकांश रोगी 'सिरोसिस ऑफ लिवर' के शिकार हो जाते हैं।
हेपेटाइटिस बी के बारे में कहा जा सकता है कि इसमें ‘उपचार से बेहतर बचाव है’ वाली उक्ति भी सटीक नहीं बैठती। हेपेटाइटिस बी वायरस को पता लगाने के लिए प्रभावी रक्त परीक्षण उपलब्ध है। कई दवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा जो लोग इस वायरस से संक्रमित नहीं है, उनके बचाव के लिए कई सस्ते और उपयोगी टीके उपलब्ध हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस कई तरीकों से फैल सकता है। इनमें लार, वीर्य और योनि द्रव्य सहित अन्य शरीर द्रव्य भी शामिल हैं।
टॉप स्टोरीज़
हेपेटाइटिस बी लक्षण
• त्वचा और आंखों का पीलापन।
• गहरे रंग का मूत्र।
• अत्यधिक थकान।
• उल्टी और पेट दर्द।
किन्हें है हेपेटाइटिस बी होने का खतरा
- इस्तेमाल की गईं सुइयों के दोबारा इस्तेमाल से
- अधिक यौन स्वच्छंदता
- होमोसेक्सुअल
- संक्रमित मां से होने वाले शिशु को
- यदि आपके साथी अथवा नजदीकी रिश्तेदार को हेपेटाइटिस बी है
- संक्रमित रक्त चढ़ाने से
- यदि आप लिवर की किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो
- यदि आपको किडनी की गंभीर बीमारी है
- यौनकर्मियों को यह रोग होने का खतरा अधिक होता है।
- संक्रमित पदार्थों के उपयोग अथवा उनके संपर्क में आने से भी यह रोग हो सकता है।
टीके की उपयोगिता
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया भर में करीब ढाई करोड़ लोगों को लिवर का गंभीर संक्रमण है और करीब छह लाख लोग हर साल हेपेटाइटिस के
कारण मौत का ग्रास बन जाते हैं। इसका टीका लगवाने से हेपेटाइटिस का खतरा 95 फीसदी तक कम हो जाता है।
इस बीमारी से बचने के लिए छह महीने के भीतर तीन टीके लगाये जाते हैं। और यदि आपको किडनी की कोई समस्या है, तो इंजेक्शन लगाने के बाद आप पर दवा के प्रभाव को देखा जाता है। वे लोग जिन्हें लगातार संक्रमण होने का खतरा बना रहता है, उन्हें पांच बरस का बूस्टर लगाया जाता है। यह टीका काफी सुरक्षित होता है। इससे उस स्थान पर लालिमा और सूजन जैसी छोटी समस्यायें हो सकती हैं, जहां इंजेक्शन लगाया जाता है। इस इंजेक्शन के दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं।
इस इंजेक्शन को लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से बात जरूर कर लें, क्योंकि कुछ लोगों को दवा से एलर्जी हो सकती है। इसके अलावा यदि आपको कोई अन्य एलर्जी है तो अपने डॉक्टर को वह जरूर बतायें। यदि आप गर्भवती हैं, तो बिना डॉक्टरी सलाह के इस वैक्सीन को न ही लगवायें, तो बेहतर।
हेपेटाइटिस बी के बचाव-
• घाव होने पर उसे खुला न छोड़ें। यदि त्वचा कट फट जाए तो उस हिस्से को डिटॉल से साफ करें।
• शराब ना पिएं।
• किसी के साथ अपने टूथब्रश, रेजर, सुई, सिरिंज, नेल फाइल, कैंची या अन्य ऐसी वस्तुएं जो आपके खून के संपर्क में आती हो शेयर न करें।
• नवजात बच्चों को टीका लगावाए।
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