
एक नए शोध के मुताबिक ज़्यादा रोशनी वाले कमरे में सोने से मोटापे और कैंसर का ख़तरा बढ़ा सकता है। लंदन स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैंसर रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया है कि उन महिलाओं का वज़न ज़्यादा होता है जिनके शयनकक्ष में "रात के समय में भी देखने लायक" रोशनी होती है।
हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी इसके इतने पर्याप्त सबूत नहीं है कि इस आधार पर मोटे पर्दे लगाने या लाइट बंद करके सोने की सलाह दी जा सके। 113,000 महिलाओं पर किए गए अध्ययन को अमरीकन जर्नल ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
इस शोध में महिलाओं से कहा गया था कि वे शयनकक्ष में रोशनी के स्तर को इनमें से आंकें; पढ़ने लायक रोशनी, पढ़ने लायक तो नहीं, लेकिन कमरे में देखने लायक रोशनी, अपने हाथ को देख सकती हैं, लेकिन कमरे में नहीं देख सकतीं, अपने हाथ नहीं देख सकतीं या आंख पर पट्टी पहन कर सोती हैं। मोटापे के कई कारकों से इन जवाबों की तुलना की गई। जिन महिलाओं के कमरे में रोशनी अधिक थी उनका बॉडी मॉस इंडेक्स, कमर से कुल्हों का अनुपात और कमर का आकार ज़्यादा था।
जैविक घड़ी पर असर
इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैंसर रिसर्च के प्रोफ़ेसर एंथनी स्वेर्डलो ने बताया, "लोगों के इस बड़े समूह में शयनकक्ष में रात के समय रोशनी का ज़्यादा वज़न एवं मोटापे के साथ रिश्ता दिखता है, लेकिन इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं जिनसे जाना जा सके कि कमरे में रोशनी कम करके वज़न में कोई तब्दीली लाई जा सकती है।" वे कहते हैं, "दोनों के संबंध की दूसरी व्याख्याएँ भी हो सकती हैं, लेकिन ये नतीजे और अधिक वैज्ञानिक शोध के लिए काफ़ी दिलचस्प हैं।"
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