मां बनना हर मां कि इच्छा होती है लेकिन कभी-कभी न चाहते हुए भी महिला गर्भवती हो जाती है। परिवार नियोजन की वजह से भी महिलायें दूसरे या तीसरे बच्चे के लिए तैयार नहीं होती हैं। ऐसे में वह इससे छुटकारा पाना चाहती है। इसके लिए एबॉर्शन सबसे आसान और अच्छा तरीका है। इसके अलावा भी कुछ उपाय हैं जिनको महिला आजमा सकती है। एबॉर्शन यानी गर्भपात के लिए एक निश्चित समय होता है। 20 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात के लिए भारत में कानून बना है। भारतीय स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में गर्भपात की समय सीमा 20 तक की है। यानी 20 हफ्ते के बाद यदि आपको बच्चे की चाहत नहीं है और आप एबॉर्शन करा रही हैं तो यह गैरकानूनी है। आइए हम आपको इस अनचाही गर्भावस्था से बचने के उपाय बताते हैं।
गर्भावस्था और गर्भपात
अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए गर्भपात सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। इसक लिए दो तरीके आजमा सकते हैं - मेडिकल एर्बाशन और सर्जिकल एर्बाशन। चिकित्सीय गर्भपात के लिए आप दवाएं खाती हैं, जबकि शल्य गर्भपात में महिला का ऑपरेशन किया जाता है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है गर्भधारण की अवधि के बारे में जानना। चिकित्सीय गर्भपात का तरीका केवल पहले आठ हफ्तों के गर्भधारण काल में ही अपना सकती हैं। उसके बाद एबॉर्शन के लिए महिला का ऑपरेशन करना पड़ता है।
सर्जिकल एबॉर्शन
इसमें महिला का ऑपरेशन किया जाता है। यह भी दो प्रकार का होता है। दोनों में महिला को बेहोश किया जाता है। यह जनरल एनेस्थेटिक हो सकता है, जिसका अर्थ है कि ऑपरेशन के दौरान महिला बेहोश रहती हैं। इसमें आपकी योनि के अंदर ठीक ऊपर, आपके गर्भाशय की ग्रीवा, सर्विक्स में एक सूई लगाई जाती है। इससे आपका सर्विक्स सुन्न पड़ जाता है और ऑपरेशन किया जाता है।
लगभग आठ हफ्ते और पंद्रह हफ्ते के बीच की गर्भधारण अवधि में जिस प्रकार के गर्भपात का सुझाव दिया जाता है उसे सक्षन ऐस्पीरेशन कहते हैं। डाक्टर धीरे-धीरे महिला के गर्भग्रीवा (सर्विक्स) को उतना खोलते हैं जिसके अंदर एक पतली, लचीली नली जा सके। उसके बाद आपके गर्भाशय के अंदर की परत को नली से खींच लिया जाता है।
गर्भधारण के लगभग पंद्रह हफ्ते के बाद जिस प्रकार के गर्भपात का सुझाव दिया जाता है उसे डायलेशन एंड क्युरटेज या डायलेशन एंड एवॉकुएशन कहते हैं। इसमें महिला के गर्भाशय के मुख को सक्षन ऐस्पीरेशन अबॉर्शन से अधिक खोला जाता है, जिससे डाक्टर आपरेशन करने वाले उपकरण डालकर गर्भ के अंदर की परत को बाहर निकाल सकें। इसके बाद महिला को कमजोरी और चक्कर आने जैसा महसूस कर सकती है और उसके पेट में दर्दभरी ऐंठन भी हो सकती है।
गर्भपात के प्राकृतिक तरीके
गर्भपात के लिए महिला कुछ प्राकृतिक तरीकों को भी आजमा सकती है। लेकिन यह तभी किया जा सकता है, जब आपका पहला महीना चल रहा हो। कई जड़ी बूटियों के सेवन से प्राकृतिक गर्भपात बिना किसी खतरे के हो जाता है और इससे मां को कोई तकलीफ या दिक्कत भी नहीं आती। ऐसी महिलाएं जिन्हें अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशरा, मधुमेह, मिर्गी और किडनी की समस्या है, उन्हें इस गर्भपात से बचना चाहिये।
अन्य तरीके भी हैं
यदि महिला गर्भवती है एबॉर्शन नहीं चाहती तो आप अपनी गर्भावस्था को जारी रख सकती हैं। या आप उस अवस्था में हैं जिसमें गर्भपात कराना खतरनाक हो जाये। यानी आपके भ्रूण की अवधि 20 सप्ताह या उससे ज्यादा हो गई है जिसके बाद एबॉर्शन कराना मां के लिए भी खतरनाक हो सकता है। ऐसे में आप बच्चे को जन्म देकर उसे किसी अन्य को गोद लेने के लिए दे सकती हैं। इसके लिए आप अपने रिश्तेदारों और अनाथालयों से संपर्क कर सकती हैं।
इन प्रक्रियाओं को आजमाने से पहले अच्छे से विचार कर लीजिए। इसके लिए आप अपने परिवारवालों और दोस्तों से सलाह लेकर ही कोई निर्णय लीजिए।
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