
रेकी एक जापानी शब्द है, जिसका अर्थ होता है प्राण-शक्ति। रेकी एक उपचार पद्धति है जिसके द्वारा आदमी मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है। इस तकनीक के अनुसार प्रत्येक आदमी के अंदर एक प्राण चक्र होता है और पूरा जीवन इसी पर चलता है। जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर यह शक्ति बहुत होती है, लेकिन धीरे-धीरे इस शक्ति को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। आदमी के नकारात्मक विचार द्वारा यह शक्ति कम होती है। रेकी तकनीक द्वारा शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। रेकी तकनीक द्वारा कई रोगों का इलाज आदमी अपने-आप कर सकता है। इस चिकित्सा पद्धति का विकास उन्नीसवीं शताब्दी में जापान में हुआ था। भारत में यह चिकित्सा पद्धति बीसवी सदी में आयी।
रेकी तकनीक द्वारा रोगों का उपचार –
- रेकी तकनीक किसी शिक्षक द्वारा जब किसी व्यक्ति को यह शिक्षा दी जाती है तब उसकी हथेलियों से स्वयं ही कॉस्मिक ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो जाता है।
- इस विधि में हाथ के स्पर्श द्वारा रोग का इलाज किया जाता है इसलिए इसे स्पर्श चिकित्सा पद्धति भी कहा जाता है।
- इस तकनीक में उपचार के दौरान हथेलियों का दबाव देने की जरूरत नहीं होती है। शरीर में स्थिति विभिन्न चक्रों का संबंध अलग-अलग अंगों से होता है।
- रेकी तकनीक से उपचार करने वाला व्यक्ति जब इन पर अपनी हथेली से प्रेशर बनाता है तो अपने-आप कॉस्मिक ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो जाता है और आदमी यह प्रवाह महसूस होता है।
- रेकी तकनीक से उपचार में किसी एक स्थिति में हथेलियों को कम-से-कम तीन मिनट तक रखा जाता है और इसके बाद अगली स्थिति पर हथेलियों को लाया जाता है।
- रेकी तकनीक का प्रयोग किसी साफ और हवादार कमरे में करना चाहिए। रोगी को ढीले कपडे पहनने चाहिए जिससे स्थिति आरामदायक हो।
- रेकी तकनीक से आमतौर पर तीन दिन तक उपचार किया जाना उपयुक्त है। लेकिन रोग पुराना हो तो विशेष परिस्थितियों 21 दिन या इससे भी अधिक दिनों तक उपचार किया जा सकता है।
रेकी तकनीक से विभिन्नि रोगों का इलाज -
सिरदर्द और माइग्रेन -
सिर के दोनों ओर स्थित च्रक, माथे के आगे और पीछे के चक्र पर हथेलियों के दबाव से रेकी तकनीक द्वारा सिरदर्द और माइग्रेन का उपचार किया जाता है। इसके अलावा नाभि के ऊपर स्थित मणिपुर चक्र और जंघों के दोनों ओर ऊपर की तरफ मूलाधार चक्र पर कॉस्मिक ऊर्जा प्रवाहित करने से भी आराम मिलता है।
आंखों का दर्द –
आंखों में दर्द होने पर या चश्मे से छुटकारा पाने के लिए आंखों को बंद करके पलकों के ऊपर हथेलियों को रखकर रेकी का उपचार कीजिए। इसके साथ ही पेट और दोनो तलवों के बीचों-बीच स्थित चक्र पर कॉस्मिक ऊर्जा को प्रवाहित करें।
साईनस या नाक में दर्द –
नाक में दर्द होने पर या साइनस की स्थिति में जिस स्थान पर दर्द हो वहां के चक्र पर रेकी की तकनीक से उपचार करने पर आराम मिलता है।
एलर्जी –
एलर्जी होने पर एक हाथ मणिपुर चक्र और दूसरा हाथ मूलाघार चक्र पर रखकर रेकी तकनीक से उपचार करें।
पथरी या स्टोन होने पर –
पथरी होने पर जिस स्थान पर दर्द हो रहा हो वहां पर हथेलियों द्वारा कॉस्मिक ऊर्जा प्रवाह करें। इसके साथ ही मणिपुर चक्र, स्वाधीस्थान चक्र और मूलाघार चक्र पर रेकी तकनीक से उपचार कीजिए।
केवल प्रशिक्षित लोगों से ही रेकी की तकनीक से इलाज कराने पर लाभ मिलता है। अगर आपको रेकी की तकनीक के बारे में जानकारी है तो आप खुद से इलाज कर सकते हैं।
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