
बहुत सी बीमारियों में गदर्न और कंधे में दर्द होने के लक्षण प्रकट होने की वजह से गर्दन और कंधों में होने वाले दर्द का निश्चित कारण पता लगाना काफी कठिन होता है।
कई तरह के बीमारियों के कारण गर्दन और कंधों में दर्द हो सकता है। कई बार कुछ लोागे को सिर्फ गर्दन या कंधे में दर्द होता जबकि कुछ लोगों को एक साथ गर्दन और कंधे दोनों में दर्द की शिकायत होती है। गर्दन और कंधों में कई तरह की मांसपेशियां, हड्डियां, नसें, सिरा, धमनी और कई तरह के दूसरे सपोर्टिंग लिगमेंटस होते हैं। जिनके चोटिल होने या थक जाने पर गर्दन व कंधों में दर्द की शिकायद होती है। तो चलिये विस्तार से जानें गर्दन का दर्द क्या है और क्यों होता है।
कारण
चोट
गर्दन और कंधों में दर्द होने का सामान्य कारण चोट लगना होता है। चोट से गर्दन और कंधों की मुलायम मांसपेषियां, टेनडनस और लिगामेंटस प्रभावित हो सकती है।
अर्थराइटिस
गर्दन के स्पाइन में होने वाले अर्थराइटिस से गर्दन की मासंपेशियों के नसे खिच जाती है जिससे गर्दन और कंधों में दर्द हाने लगता है।
डिजेनरेटिव डिजीज
डिजेनरेटिव डिजीज के चलते गदर्न में दर्द हो सकता है और अगर इसमें नसे दब जाती है तो कंधों में दर्द होने लगता है। इसके अवाला ट्यूमर, मांसपेशियों में मोच, उठने–बैठने का गलत तरीका और जरूरत से ज्यादा थकावट।
चोट की वजह से जोड़ों को अपने स्थान से खिसक जाना गर्दन और कंधो में दर्द पीठ, हृदय,फेफरा और पेट की बीमारियों में भी हो सकता है।
लक्षण
दर्द
गर्दन में होने वाले दर्द की कैफियत कम और ज्यादा, मरोडा़ देने और कुछ घोंपने जैसा हो सकता है। दर्द से गर्दन और कंधों में अकड़न हो सकती है और इसेमें मुवमेंट करने में परेषानी हो सकती है।
कमजोरी
गर्दन और कधों में गंंभीर दर्द के कारण मरीज इसे हिलाने डोलाने से बचता है।इससे गर्दन और कंधों में कमजोरी का एहसा होने लगता है।
सुन्न हो जाना
अगर अर्थराइटिस की वजह से गर्दन और कंधों के डिस्क में दबाव पड़ ने से नसे दब गई हो तो दर्द और अ्रगों के सुनन होने जैसी षिकायत हो सकती है।
सूजन
गर्दन और कंधों पर चोट लगने से दर्द के साथ इसमें सूजन भी हो सकती है।
जांच और रोग निदान
बहुत सी बीमारियों में गदर्न और कंधे में दर्द होने के लक्षण प्रकट होने की वजह से गर्दन और कंधों में होने वाले दर्द का निश्चित कारण पता लगाना काफी कठिन होता है। दर्द की कैफियत और मरीज की हालत को देखते हुए डॉक्टर मरीज के शारीरिक परीक्षण और पूर्ण मेडिकल इतिहास को जानने के बाद कई तरह के लैबोरेटरी टेस्ट करने की सलाह दे सकता है। मडिकल इतिहास में दर्द का स्थान, दर्द का प्रकार, दर्द का समय, दर्द वाले स्थान का सुनन होना, ठंडा या कनकनी होना और यदि काभी कोई चोट लगी हो तो उसके बारे में डॉक्टर मरीज से पूछ–ताछ करता है। डायगनोसटिक टेस्ट दर्द के निहित कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
एक्स–रे
गर्दन और कंधों के दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए एक्स–रे से काफी सहायता मिलती है। गर्दन और कंधों में अर्थराइटिस, डिस्क का खिसक जाना, आवश्यकता से अधिक गर्दन और कंधों के मांसपेशियों का बढ जाना और स्पाइनल कैनल के सही तरह से विकसित नहीं होने पर गर्दन और कंधों में दर्द हो सकता है। गर्दन और कंधों में होने वाले इन असामान्य परिस्थितियों एक्स–रे के द्वारा आसानी से पहचान कर लिया जाता है।
सीटी स्कैन
एक्स–रे से जब दर्द के कारण स्पश्ट नहीं हो रहे हो तब सीटी स्कैन का सहारा लिया जाता है। सीटी स्कैन से दो स्पाइनल हडडियों के बीच के खाली स्थानों का सिकुर जाना, अर्थराइटिस, डिस्क का अपने स्थान से खिसक जाना, स्पाइनल कैनल का संकड़ा हो जाना और स्पाइनल कॉलम में किसी तरह के टूटफूट हो जाने पर सीटी स्कैन से इसे आसानी से पकड़ लिया जाता है। सीटी स्कैन टेस्ट हमेशा एमआरआई के एक विकल्प के रूप में किया जाता है।
एमआरआइ अर्थात मैगनेटिक रिजोनेंस इमैजिन की मदद से भी गर्दन के दर्द के कारणों की जांच की जाती है।
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