क्या वजाइनल सीडिंग शिशु के लिए सुरक्षित है? जानें 5 जरूरी बातें

सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों पर वजाइल सीडिंग इसलिए किया जाता है ताकि बच्चे को वैसा माहौल दिया जा सके, जैसा नॉर्मल डिलीवरी से उसे मिलना चाहिए था। ऑपरेशन से होने वाले बच्चों के लिए वजाइनल सीडिंग करना ट्रेंड बन गया है।
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क्या वजाइनल सीडिंग शिशु के लिए सुरक्षित है? जानें 5 जरूरी बातें

आजकल ऑपरेशन से होने वाले बच्चों के लिए वजाइनल सीडिंग करना ट्रेंड बन गया है। वजाइल सीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शिशु के जन्म के बाद मां के वजाइना से निकले पदार्थ को शिशु के शरीर पर कॉटन स्वैब यानी (रूई का फाहा) के सहारे लगा दिया जाता है। कुछ चिकित्सक वजाइनल सीडिंग को जरूरी मानते हैं, वहीं कुछ अन्य डॉक्टर इसे बच्चे के लिए खतरनाक मानते हैं। आइए आपको बताते हैं कि कितनी सुरक्षित है आपके शिशु के लिए वजाइनल सीडिंग।

क्यों किया जाता है वजाइनल सीडिंग?

दरअसल जब बच्चा गर्भ में होता है, उसे समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि गर्भ में प्राकृतिक रूप से शिशु के अनुकूल सभी व्यवस्थाएं होती हैं। गर्भ से बाहर आते ही शिशु को तमाम बैक्टीरिया और प्रतिकूल माहौल से लड़ना होता है। ऐसे में जो बच्चे नॉर्मल डिलीवरी से पैदा होते हैं, उन्हें कोई समस्या नहीं आती है क्योंकि नॉर्मल डिलीवरी में गर्भ से बच्चे के साथ-साथ एक खास तरल पदार्थ भी निकलता है, जिसमें ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो बच्चे को बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं। इन्हें गुड बैक्टीरिया कहा जाता है। वहीं जो बच्चे सिजेरियन यानी ऑपरेशन से होते हैं, उनके साथ ये तरल पदार्थ बाहर नहीं आता है। ऐसे में डॉक्टर या नर्स महिला के वजाइना से ये तरल पदार्थ निकालकर बच्चे के शरीर पर लगा देते हैं। इसे ही वजाइनल सीडिंग कहते हैं।

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क्या वजाइनल सीडिंग से होती है सुरक्षा?

सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों पर वजाइल सीडिंग इसलिए किया जाता है ताकि बच्चे को वैसा माहौल दिया जा सके, जैसा नॉर्मल डिलीवरी से उसे मिलना चाहिए था। लेकिन कई शोधों में ऐसा पाया गया है कि सिजेरियन से शिशु को बाहर निकालने के बाद वजाइनल लिक्विड लगाने और नॉर्मल डिलीवरी में शिशु का वजाइनल लिक्विड के संपर्क में आने में फर्क होता है।
शोधों के अनुसार बच्चे की नॉर्मल डिलीवरी के समय जो लिक्विड वजाइना से बाहर आता है, वो एक साल से ज्यादा समय तक शिशु में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है, जबकि ऑपरेशन से पैदा हुए बच्चों में ये क्षमता नहीं विकसित नहीं हो पाती है या कम होती है।

कितनी सुरक्षित है वजानइल सीडिंग

आमतौर पर शिशु का हानिकारक बैक्टीरिया से पहला सामना तब होता है, जब वे वजाइना के रास्ते बाहर आते हैं। ऐसे में उनके शरीर पर लिपटा हुआ लिक्विड उन्हें इन हानिकारक बैक्टीरिया से बचाता है। अस्पतालों में बहुत से डॉक्टर जन्म लेने वाले शिशु के लिए वजाइनल सीडिंग को जरूरी बताते हैं मगर एक्सपर्ट्स ऐसा नहीं मानते हैं। दरअसल बच्चे के मुंह, नाक और त्वचा पर वजाइनल लिक्विड लगाने से कई बार अनजाने में वजाइना के बाहरी दीवारों पर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया या एसटीडी (सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन) के वायरस लग जाते है्ं, जो शिशु के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए इसे नॉर्मल डिलीवरी का सुरक्षित विकल्प नहीं माना जा सकता है।

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क्या है सुरक्षित विकल्प

ये बात सच है कि जिन शिशुओं का जन्म सिजेरियन द्वारा होता है, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी नॉर्मल डिलीवरी से पैदा होने वाले शिशुओं से कम होती है। मगर उनमें इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए वजाइनल सीडिंग के बजाय स्तनपान कराना ज्यादा बेहतर होता है। जन्म के बाद स्तनपान सभी शिशुओं के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि ये शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और बीमारियों से उनकी रक्षा करता है।

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