क्या होता है जब हो जाता है इंसुलिन लेवल हाई

हाई ब्लड शुगर होने पर शरीर को कई प्राकर की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इससे बचने के लिए, ये समस्याएं क्या हैं और शरीर पर इनका क्या असर पड़ता है, जानना बेहद जरूरी है।
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क्या होता है जब हो जाता है इंसुलिन लेवल हाई


तेजी से बदलती जीवनशैली ने आज खानपान, रहन-सहन सब कुछ अव्यवस्थित कर दिया है। इसके असर से आज सब किसी न किसी रूप में प्रभावित हैं। भागदौड़ भरी इस जिंदगी में तनाव के साथ-साथ ब्लड शुगर हाई होने की समस्या भी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। डॉक्टरों की मानें तो शहरी क्षेत्र के लोग ग्रामीण लोगों के मुकाबले इसकी गिरफ्त में ज्यादा हैं और इसमें युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पहले जहां 40 के बाद लोगों में डायबिटीज की समस्या देखी जाती थी, वहीं अब यह बीमारी 25 साल के बाद ही युवाओं को घेर रही है। इंसुलिन लेवल हाई हो जाना अर्थात हाई ब्लड शुगर होने पर शरीर को कई प्राकर की समस्याएं हो सकती हैं। तो चलिए जानते हैं क्या हैं वे समस्याएं और शरीर पर उनका क्या असर पड़ता है।

 

 

क्या है ब्लड शुगर

खून में चीनी का (बल्ड शुगर) का एक सामान्य स्तर होता है। बल्ड शुगर मुख्य रूप से खून में ग्लुकोज की मात्रा को कहा जाता है। इसके अलावा शरीर में कुछ अन्य प्रकार की शुगर भी होती हैं, जैसे फ्रकटोज और गेलेकटोज। खून में मौजूद ग्लुकोज़, शरीर में, उर्जा का प्रमुख स्रोत होता है। इसके बिना सभी अंगों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। उदाहरण के लिये, जब किसी कारणवश दिल के रक्त प्रवाह में रुकावट आती है, तो उर्जा के कमी से दिल की धड़कन रुक सकती है। इसे “दिल का दौरा” या हार्ट अटेक कहा जाता है। जिसके कारण मरीज़ की मौत भी हो सकती है। इसलिए शरीर के सभी अंग और उनके सेल में हमेशा ग्लुकोज़ की ठीक सप्लाई बनी रहनी, जीवन के लिये बेहद जरूरी है। ब्लड शुगर की कमी या अधिकता दोनों ही गंभीर समस्या पैदा कर सकती है।

 

 

 

Insulin level

 

 

 

 

ब्लड शुगर का सामान्य स्तर

सामान्य स्थिति में, बल्ड शुगर का स्तर 4 से 6 मिलीमोल प्रति लिटर या फिर 70 से 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर के बीच होता है। लेकिन खाना खाने के बाद बल्ड शुगर बढ़ जाता है। सबसे कम बल्ड शुगर सुबह उठने के समय होता है। शरीर की पेनक्रियाटिक ग्रंथि से निकलने वाले विभिन्न होरमोन बल्ड शुगर को ठीक प्रकार से तरह से नियंत्रित रखते हैं। उदाहरण के लिये उपवास में, जब खून में ग्लुकोज़ कम हो जाती है, तो ग्लुकागोन होरमोन के असर से, ग्लाईकोजन से ग्लुकोज़ का निर्माण लिवर में किया जाता है, और बल्ड शुगर ठीक हो जाती है। वहीं दूसरी ओर जब खाने के बाद बल्ड शुगर ज्यादा हो जाती है, तो इंसुलिन होरमोन के प्रभाव से खून से अतिरिक्त ग्लुकोज़ को लिवर और मांस-पेशियों में भेज दिया जाता है। यहीं पर अतिरिक्त ग्लुकोज़ को ग्लाईकोजन बना कर रखा जाता है।

 

 

 

 

ब्लड शुगर बढने पर दिमाग को नुकसान

हाई बल्ड शुगर होने पर दिमाग के उन हिस्सों को नुकसान पहुंचता है जिनका संबंध याददाश्त से होता है। अगर परिवार में मधुमेह का इतिहास होने पर नियमित ब्लड शुगर जांच करानी ताहिए। पौष्टिक व संतुलित भोजन करना चाहिए और सक्रिय जीवन व्यतीत करें।

 

 

 

Insulin level

 

 

 

 

त्वचा को नुकसान

डायबिटीज और हाई ब्लड शुगर होने पर त्वचा पर बुरा असर पड़ता है। हाई ब्लड शुगर से शरीर में तरल पदार्थो की कमी होने लगती है जिससे त्वचा खुश्क हो जाती है। ऐसा होने पर त्वचा में हमेशा खुजली होती है और कभी-कभी त्वचा लाल होकर फटने भी लगती है। इस कारण कीटाणुओं के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा होने पर अधिक से अधिक पेय पदार्थो के सेवन करना चाहिए और लोशन या मॉइश्चराइज़र का प्रयोग करना चाहिेए।

 

 

 

 

रक्त प्रवाह खराब होना

हाई ब्लड शुगर होने पर रक्त प्रवाह में बिगड़ जाता है और टांगें या पैर खराब हो सकते हैं, क्योंकि पैरों पर ही पूरे शरीर का भार होता है। स्नायुतंत्र गड़बड़ा जाने की वजह से पैरों में दर्द, सूजन और सर्द-गर्म का अहसास होता है और पैर सुन्न पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में सुई चुभने पर भी कोई अहसास नहीं होता, लेकिन बाद में संक्रमण का गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। इससे अल्सर, गैंग्रीन और सबसे दुखद, टांग काटने की नौबत तक आ सकती है।

 

 

 

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