'एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसार्डर' जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है, ऐसे लोगों का व्यवहार सामाजिक तौर पर असामान्य होता है। ये लोग किसी भी बात पर आसानी से गुस्सा हो जाते हैं। इस प्रकार के रोग से ग्रस्त व्यक्ति दूसरों को तकलीफ या कष्ट देते हैं और इनका व्यवहार सामाजिक रूप से अस्वीकार्य होता है। साथ ही ये कपटी, बिना सोचे समझे त्वरित आवेग के वश में काम करने वाले, आक्रामक और चिड़चिड़े होते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस प्रकार के रोगियों में कुछ विशिष्ट शरीर विज्ञानी प्रतिक्रियाओं को पाया है। उदाहरण के लिए, उनमें तनाव की प्रतिक्रिया सामान्य लोगों की तुलना में कम होती है। तेज शोर के प्रति अनैच्छिक प्रतिक्रिया भी उनमें कम होती है, जोकि असंवेदनशीलता प्रशंसा और दंड से सीखने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है।
इस प्रकार के रोगियों में हिंसक रूप से अकाल मृत्यु या हत्या की अधिक संभावना होती हैं, जैसे दुर्घटना, हत्या, या आत्महत्या इत्यादि। इस विकार में अक्सर लम्बे समय तक बेरोजगारी, बाधित शिक्षा, टूटे हुए विवाह सम्बन्ध , गैर जिम्मेदाराना पितृत्व या मातृत्व जैसे दुषपरिणाम सामने आते हैं।
अवसादग्रस्तता विकार, मादक द्रव्यों से संबंधित विकार, सोमातिजेशन विकार ,रोग जुआ (और अन्य आवेग नियंत्रण विकार), अन्य व्यक्तित्व विकार (विशेष रूप से, सीमा अभिनय, और आत्मकामी) अक्सर इस विकार के साथ होते हैं.
मस्तिष्क का अगला हिस्सा, जो निर्णय लेने एवं योजना निर्माण का केन्द्र है, में भी इन लोगों में कुछ भिन्नता हो सकती है। कुछ शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क की हिंसक व्यवहार को नियंत्रित करने वाली संरचनाओं के आकार में बदलाव पाया है। इस प्रकार के मस्तिष्क क्रिया-विधि वाले लोगों में संभवतः आक्रामक आवेगों को नियंत्रित करने में अधिक कठिनाई होती हो एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसार्डर के शिकार लोग दुस्साहसी, गैरजिम्मेदार, निर्दयी और ग्लानिहीन होते हैं
आमतौर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ व्यक्ति के इतिहास के आधार पर रोग की पहचान करता है। हलांकि रोग की जांच करने के लिए कोई सटीक चिकित्सकीय जांच उपलब्ध नहीं है। इन रोगियों में दूसरे मानसिक रोग, जैसे-मूड या एनेक्जाइटी डिस्ऑर्डर, एटेंशन डेफिसिट डिस्ऑर्डर या सबस्टांस अब्यूज भी मौजूद हो सकते हैं।
वे दूसरों की भावनाओं को समझ तो सकते हैं, लेकिन इन्हें अपनी वजह से दूसरों को हुए कष्ट के लिए कोई शर्म या ग्लानि महसूस नहीं होती, बल्कि दूसरों की कमजोरियों का फायदा ये अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए करने में जरा भी नहीं हिचकते। किसी भी गलत काम का दोषारोपण ये दूसरों पर कर देते हैं। इस रोग के कई रोगी तकलीफ में रहते हैं, क्योंकि वे स्वयं से हारे हुए होते हैं और परस्पर समर्पित और संतुष्टिजनक रिश्तों में जीनेवाले लोगों की अपेक्षा इनके पास कम खुशियां होती हैं।
बचपन में अभिभावकों की ओर से उपेक्षा का शिकार रहे बच्चों में यह प्रवृति अधिक पाई जाती है। उस समाज में भी इस तरह के लोग अधिक होते हैं, जहां मुश्िकलों में उनकी सहायता करने वाला कोई नहीं होता। या जहां अच्छा व्यवहार करना कमजोरी माना जाता है।
इन लोगों का स्वभाव हमेशा चिड़चिड़ापन रहता है। ये मानसिक समस्याएं, रोगविज्ञान संबंधी जोखिम, अल्कोहल और कई प्रकार के मूड और एनेक्जायटी डिस्ऑर्डर के शिकार हो सकते हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि इनमें दूसरों और अपनी जान लेने की प्रवृति भी हो सकती है।
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