मानव शरीर कुदरत की देन है। इसलिए इसमें रोग प्रतिरोधी प्रणाली का भी समावेश होता है और यह किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से शरीर का बचाव करती है। लेकिन जब यह प्रणाली अपने शरीर और संक्रमण के बीच का भेद या फर्क को न समझ पाये और अपने ही शरीर के स्वस्थ टिशूज पर ही आक्रमण शुरू कर दें तो एक गंभीर रोग का रूप धारण कर लेती है। इस स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में ऑटोइम्यून डिसीज कहते है। ऑटो इम्यून डिजीज में शरीर में मौजूद प्रतिरक्षण प्रणाली उसके खिलाफ ही कार्य करने लगती है। इस रोग से शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है जैसे जोडों का रोग, त्वचा, रक्त नलिकाओं और नर्वस सिस्टम आदि। इस रोग के होने का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है। हालांकि ऑटो इम्यून रोगों के शुरुआती दौर में ही इलाज करने से काफी अच्छे परिणाम देखने को मिलते है। लेकिन कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद से आप ऑटोइम्यून डिजीज को दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके।
क्या है ऑटोइम्यून रोग और यह कब होता है
ऑटोइम्यून ऐसा रोग है जिसमें कई बीमारियां आती हैं, यह शरीर के कई अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और यह बीमारियों को रोकने के बजाय शरीर पर खुद हमला करता है। दरअसल हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर को बीमारियों से बचाती है और खतरनाक रोगों से शरीर की रक्षा भी करती है। लेकिन इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। ऑटोइम्यून बीमारी तब होती है जब शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों, संक्रमणों, और खाने में मौजूद विशुद्धिओं को दूर करने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता संघर्ष करती है। इस बीमारी के होने के बाद शरीर के ऊतक ही शरीर को बीमार और कमजोर बनाते हैं।
ऑटोइम्यून रोग के लक्षण
- जोड़ों में दर्द होना
- मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी होना
- वजन में कमी होना
- अनिद्रा की शिकायत होना
- दिल की धड़कन अनियंत्रित होना
- त्वचा का अतिसंवेदनशील होना, त्वचा पर धब्बे पड़ना
- दिमाग ठीक से काम न करना, ध्यान केंद्रित करने में समस्या
- हमेशा थका हुआ अनुभव करना
- बालों का झड़ना, पेट में दर्द होना, मुंह में छाले होना
- हाथ और पैरों में झुनझुनी होना या सुन्न हो जाना
- रक्त के थक्के जमना
ऑटोइम्यून डिजीज का कारण
शोध में पाया गया है कि ऑटोइम्यून डिजीज के आमतौर पर दो कारण होते हैं। पहला कि ये आपके शरीर में आपके माता-पिता से आया हो, यानि अनुवांशिक रूप से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो। दूसरा आपको ये रोग वातावरण में मौजूद वायरस के कारण भी हो सकता है। शोध में ये भी पाया गया है कि ऑटोइम्यून डिजीज का खतरा पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होता है। कई बार इसका कारण हार्मोन्स में कोई गड़बड़ी भी हो सकती है। ऑटोइम्यून डिजीज कई बार बहुत खतरनाक हो सकता है।
ऑटोइम्यून डिजीज से बचाव के तरीके
- विटामिन डी एक ऐसा पोषक तत्व है जो 200 से अधिक जीनों से प्रभावित होता है। इसकी जिम्मेदारियों में से एक बहुत अधिक सूजन और ऑटोइम्यून डिजीज सहित संक्रमण से लड़ने के लिए आपके शरीर की क्षमता को विनियमित करना है। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा ऑटोइम्यून डिजीज को रोकने और इलाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। और विटामिन डी लेने का सबसे सुरक्षित तरीका नियमित रूप सूरज की रोशनी में कुछ देर बिताना है।
- ऑटोइम्यून डिजीज होने पर बीमारी से उबरने के लिए पर्याप्त मात्रा में शारीरिक आराम के महत्व को नजरअंदाज न करें। सीधे शब्दों में कहें तो जितना आप अधिक आराम करेगें आपको शरीर को उतनी ही अधिक एनर्जी प्राप्त होगी और आपका शरीर पाचन तंत्र सहित क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत में खुद का समर्पित कर पायेगा।
- पौष्टिक और संतुलित आहार हमें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। संतुलित आहार ऐसा आहार होता है जिसमें सब्जियों और प्रोटीन का अच्छा मिश्रण हो। और पौष्टिक आहार ऐसा आहार है जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन व मिनरल मौजूद हों ताकि शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता को मजबूत किया जा सके। जिन फूड्स में विटामिन ए, बी, सी व ई, फोलेट और कैरोनाइड्स व मिनरल जैसे जिंक, क्रोमियम व सेलिनियम होते हैं वे न केवल इम्यूनिटी बढ़ाते हैं बल्कि स्वस्थ इम्यून सिस्टम के लिए भी जरूरी हैं।
- अपने भोजन को अच्छी तरह से चबाने से आपके पाचन तंत्र को बहुत राहत मिलती है। वैसे तो आपको अपना भोजन तब तक चबाना चाहिए, जब तक कि वह लिक्विड में न बदल जाये। भोजन को अच्छी तरह से चबाने से पाचन तंत्र भोजन को प्रभावी ढंग से छोटी आंत की दीवार के माध्यम से ब्लड में पारित होने में मदद करता है। इसके अलावा भोजन को अच्छी तरह चबाने से स्लाइवा और पाचन एंजाइम फूड के साथ अच्छी तरह से मिश्रित होकर आपके पाचन प्रक्रिया को सहज बनाता है। और पाचन तंत्र में मजबूत आने से आप ऑटोइम्यून डिजीज को आसानी से दूर कर सकते हैं।
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