हठयोग करने की विधि और फायदों के बारे में जानें

अगर शरीर में हमेशा दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन रहती है और मन हमेशा विचलित रहता है, तो हठयोग करें। हठयोग योगासन की एक श्रृंखला है जिन्हें करने से शरीर में स्फूर्ति आती है और सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं।

Gayatree Verma
Written by: Gayatree Verma Updated at: Jun 19, 2018 17:06 IST
हठयोग करने की विधि और फायदों के बारे में जानें

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जैसे कि दिमाग को तेज बनाने और मन को प्रसन्नचित्त रखने के लिए बच्चे को पाठशाला भेजा जाता है वैसे ही शरीर भी एक बच्चा है और उसको स्वस्थ रखने के लिए योग किया जाता है। इन योगों की एक पूरी श्रृंखला है जिसे हठयोग कहते हैं। हठयोग एक तरह की योगशाला है जिसे करने से इंसान का मस्तिष्क और शारीरिक संतुलन बना रहता है। जो कि आज के शहरीकरण के दौर और अनियमित लाइफस्टाइल में काफी असंतुलित हो गया है। ऐसे में आज इस योगशाला की काफी जरूरत है। तो आइए इस लेख में जानते हैं हठयोग के लाभ और उसे करने की सही विधि।

 

हठयोग के फायदे

  • शारीरिक और मानसिक तौर पर विकास करने के लिए प्राचीन काल से हठयोग काफी जरूरी माना जाता है। इस कारण इसका अभ्यास भारतीय योगी शताब्दियों से करते आ रहे हैं।  
  • हठयोग से मानसिक तौर पर शांति मिलती है
  • इंसान का शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाने में मदद करता है और दिव्य प्रभाव प्रतिपादित करता है।
  • इससे रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है।
  • कमर और मांसपेशियों से जुड़े सारे दर्द ठीक हो जाते हैं।

 

क्यों जरूरी है

आजकल लोगों की लाइफ-स्टाइल बहुत ही व्यस्त और बिखरी हुई से हो गई है। जिसमें लोगों के ना सोने का और ना उठने का कोई फिक्स समय है। साथ ही लोग पार्टी और हैंगआउट करने के कारण रहे हैं... असमय खा-पी रहे हैं और फिर सुबह उठकर ऑफिस जा रहे हैं। ऐसे में शरीर का बीमार होना तो लाज़िमी ही है। शरीर को इस तरह से बीमार होने से बचाने के लिए हठयोग जरूरी है।

 

हठयोग

  • हठयोग बहुत सारे योगासन की एक पूरी श्रृंखला है। इन योगासन के नियमित अभ्यास से खोई हुई मानसिक शांति और स्वास्थ्य प्राप्त होता है। ये योगासन मन को शांत कर और आत्मा की गुप्त शक्तियों को जागृत कर संकल्पशक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
  • 'हठ' शब्द की रचना 'ह' और 'ठ' दो, अक्षरों से हुई है। जिसमें 'ह' का मतलब 'सूर्य' और 'ठ' का मतलब 'चंद्र' है। वहीं योग शब्ह इन दोनों को जोड़ने से बना है। सूरज और चंद्रमा का एक साथ होना ही हठयोग है। ये दोनों इंसानी शरीर के दो स्तंभ हैं।
  • सूर्य जीवनीय शक्ति प्राणस्वरुप है जो आपके हृदय के माध्यम से क्रियान्वित होकर साँसों तथा रक्त के संचार का कार्य करता है।
  • वहीं चंद्रमा शरीर की सभी अशुद्धियों को बाहर निकालने का काम करने वाला सूक्ष्म जीवनीय शक्ति है।

 

हठयोग- योगासनों की श्रृंखला

  1. सूर्य नमस्कार - हठयोग में सबसे पहले सूर्यनमस्कार किया जाता है। इस योग के जरिये सूर्यादेव की आराधना कर सूर्य को नमस्कार किया जाता है। साथ ही इस योगा को करने के दौरान सूर्य से बुद्धि को तेज करने की प्रार्थना की जाती है। सूर्या नमस्कार को करने से इंसान के सभी प्रकार के दृष्टि दोष दूर हो जाते हैं।
  2. आसन - इस योग को शरीर को शारीरिक समस्याओं से मुक्ति करने के लिए करते हैं। इस आशन को नियमित तौर पर रोजाना करने से शरीर मजबूत, हल्का और स्फूर्तिमय बनता है। इस आसन को करने से शरीर का आलस दूर भाग जाता है। सात ही मोटापे की समस्या कभी नहीं होती। यह योग शरीर के सारे विकारों को दूर करने में मदद करता है।
  3. ध्यानासन - इस योगासन में शरीर से मन को जोड़ने के लिए ध्यान लगाया जाता है। इससे दिमाग शांत होता है और मन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ध्यान को केन्द्रित करने के लिए जिस आसन को किया जाता है उसे ध्यानासन कहा जाता है। इस आसन में केवल आंख बंद कर ध्यान लगाने की जरूरत है।
  4. मुद्रा - हठ योग की श्रृंखला में कुछ योग मुद्राएं भी शामिल है। ये योग मुद्राएं इंसान के मन को आत्मा के साथ जोड़ने का काम करती है। इस मुद्रा को करने से ध्यान लगाने में मदद मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  5. बंध - ये योग हठयोग की श्रृंखला की सबसे जरूरी योग है। इस योग में शरीर के किसी हिस्से को एक विशेष मुद्रा में बांध कर और सांस रोककर शरीर को  स्थिर करके किया जाता है। इस बंध योग को करने से इंसान किसी भी तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। 
  6. प्राणायाम - ये हठयोग का छठवां योग है जिसके बाद मन तथा इंद्रियां पूर्ण रुप से नियंत्रण में आ जाती है। प्राणायाम करने से आपके शरीर की समस्त व्याधियां जड़ सहित नष्ट हो जाते हैं।
  7. कुंडलिनी जागरण योग - ये हठयोग श्रृंखला का सबसे आखिरी योगासन है। इससे शरीर की रहस्यमयी शक्तियों का जागृत करने के लिए किया जाता है। वैसे लोग हठयोग केवल छठवें योग तक ही किया जाता है क्योंकि कुंडलिनी जागरण करना योग कठिन है। लेकिन एक बार जाग्रत अवस्था प्राप्त करने के बाद इंसान का आत्मा से साक्षात्कार हो जाता है।

 

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