गर्भावस्था परीक्षण में आमतौर पर गर्भवती महिला के कई तरह के टेस्ट किए जाते है। गर्भावस्था टेस्ट सामान्यतः गर्भवती महिला में बदलते हार्मोंस, एचसीजी स्तर, डायबिटीज के लिए शुगर का स्तर आदि की जांच गर्भावस्था के दौरान किया जाता है। गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए नियमित परीक्षण करवाएं जाते हैं। यह जांच आप आसानी से अपने घर पर कर सकती हैं। इसके लिए बाजार में कई प्रकार के प्रेग्नेंसी किट आसानी से मिल जाते हैं। घर पर जांच के अलावा गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए ब्लड और यूरीन की जांच करायें। आइए जानें गर्भावस्था परीक्षण के प्रकार के बारे में।
गर्भावस्था परीक्षण के प्रकार
- गर्भावस्था जांचने के लिए सबसे बढि़या तरीका घर पर ही हो सकता है। इसके जरिए महिलाएं अपनी माहवारी न आने पर शंका होने पर जांच करने लगती है। घर में परीक्षण के दौरान एकदम सही परिणाम आते है। हालांकि गर्भावस्था की शुरूआत का सही समय पता चलना मुश्किल होता है लेकिन गर्भधारण है या नहीं इसको आसानी से पता लगा सकते हैं।
- गर्भावस्था परीक्षण में आमतौर पर शारीरिक विशेषताओं को जानने के लिए परीक्षण किट में तीन प्रकार में महत्वपूर्ण गर्भावस्था टेस्ट आते हैं जिनमें यूरिन टेस्ट महत्वपूर्ण है इसे एचपीटी यानी होम प्रेगनेंसी टेस्ट कहा जाता है। दूसरी और तीसरी परीक्षण किट में क्लीनिकल गर्भावस्था टेस्ट शामिल किए जाते हैं। जिन्हे रक्तम परीक्षण और श्रोणि एग्जामिनेशन यानी पेल्विक एग्जामिनेशन के नाम से जाना जाता है।
- घर में परीक्षण के तहत जहां महिला ये जान पाती है कि गर्भावस्था टेस्ट सकारात्मक है या नकारात्मकक वहीं क्लीनिकल टेस्ट में महिला पुखता रूप से यह जान सकती है कि वह गर्भवती है और कितने महीने की ।
- यूरीन गर्भावस्था जांच यानी एचपीटी परीक्षण जांच में बहुत सी परीक्षण किट मौजूद हैं जो अलग-अलग तरह से काम करती है।
- गर्भावस्था में रक्त परीक्षण और यूरीन परीक्षण करवाया जाता है। जिसके माध्य्म से गर्भावस्था की सभी स्थितयों को आराम से जांचा जा सकता है। रक्त परीक्षण यूरीन परिक्षण से अधिक अच्छे परिणाम देता है लेकिन शरीर में किसी तरह के इंफेक्शन की जानकारी या एचसीजी के निष्काशन की जानकारी यूरिन परीक्षण से ही की जा सकती है।
- पेल्विक एग्जामिनेशन डॉक्टर के पास करवाना ही संभव है। यह महावारी न आने के 6-7 सप्ताह के बाद करवाई जाती है। जो आमतौर पर ओवरी, यूटेरस और फैलोपियन ट्यूब का साइज जानने के लिए की जाती है इसका लक्ष्य यह पता करना है कि, क्या गर्भावस्था के दौरान इसका साइज बहुत अधिक तो नहीं हो गया इत्यादि की जांच।
गर्भावस्था में तीन परीक्षणों के माध्यम से गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद की सभी स्थितियों को जांचा जाता है।
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