दर्द के कारणों के अनुसार या लक्षणों के अनुसार, दर्द को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है। दर्द का मौलिक वर्गीकरण दर्द की अवधि के अनुसार होता है। आमतौर पर यह दो एक्यूट पेन (अल्पकालिक और गंभीर दर्द), क्रॉनिक पेन (दीर्घकालिक दर्द) प्रकार का होता है।
एक्यूट पेन (अल्पकालिक और गंभीर दर्द)
अल्पकालिक दर्द की विशेषताएं निम्नलिखित हैं -
- इसकी अवधि कम होती है।
- इसके रोग की पहचान एवं पूर्वानुमान की भविष्यवाणी की जा सकती है।
- चिकित्सा के लिए प्राय़ दर्दनिवारक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
- सामान्यत इलाज के बाद दर्द ठीक हो जाता है।
क्रॉनिक पेन
- क्रॉनिक पेन लगातार रह सकता है या बार-बार हो सकता है। (महीनों या सालों तक रह सकता है) ।
- यह प्रायः किसी दीर्घकालिक बीमारी के कारण होता है और उस रोग के लक्षणों में एक हो सकता है।
- इसके पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सकते और प्रायः रोग की पहचान सुनिश्चित नहीं होती।
- इलाज में सामान्यतः कई विधियां सम्मिलित रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं।
- प्रायः रोग ठीक हो जाने या इलाज पूरा हो जाने के बाद दुबारा दर्द हो सकता है।
- क्रॉनिक पेन के उदाहरण
- कमर के निचले हिस्से में दर्द
- आर्थ्राइटिस (गठिया) का दर्द
- फाइब्रोमायल्जिया
- माइग्रेन
- कैंसर के दर्द
- न्यूरोपेहिक दर्द (ट्राईगेमिनल न्यूराल्जिया, डाइबेटिक न्यूरोपैथी, फेंटम लिंब पेन, पोस्ट हर्पेटिक न्यूराल्जिया)।
एक्यूट पेन और क्रॉनिक पेन में अंतर
एक्यूट पेन और क्रॉनिक पेन में सबसे बड़ा अंतर ये है कि एक्यूट पेन सुरक्षात्मक होता है और रोग समाप्त होने के बाद इससे पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है, जबकि क्रॉनिक पेन प्रायः रोग समाप्त होने के बाद भी नहीं जाता और इसके सामान्यतः कोई लाभ नहीं हैं। इसके अतिरिक्त क्रॉनिक पेन किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित करता है।
एक्यूट पेन और क्रॉनिक पेन में सबसे बड़ा अंतर ये है कि एक्यूट पेन सुरक्षात्मक होता है और रोग समाप्त होने के बाद इससे पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है, जबकि क्रॉनिक पेन प्रायः रोग समाप्त होने के बाद भी नहीं जाता और इसके सामान्यतः कोई लाभ नहीं हैं।