योग एक ऐसी क्रिया है जो आपको स्वस्थ और निरोग रखने में पूरी तरह से मदद करती है। नियमित योग करने से कई प्रकार की बीमारियां नही होती हैं और शरीर निरोग रहता है। साथ ही यह आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रकृति के साथ संतुलन बैठाकर स्वस्थ रहने में मदद करता है। कुछ निर्देंशों का पालन करके योगा के आसनों को आसानी से घर पर ही किया जा सकता है। आइए जानें किन योगासन को करके आप स्वस्थ रह सकते हैं।
धनुरासन
इस योग को करने से पेट की चर्बी कम करने, गले की बीमारियों, पेट के रोगों और रक्त प्रवाह को तेज करने के लिए अच्छा होता है। धनुरासन को करने के लिए पेट के बल लेट जायें। दोनों और मिलाकर पैरों को घुटनों से मोड़ें। दोनों हाथों को पीछे ले जाकर दोनों पैरों को टखनों से पकड़ें और सांस बाहर छोड़ते हुए पैरों को खींचें। साथ-साथ सिर को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करें। शरीर का सारा वजन (बोझ) नाभि पर पड़ने दें। सांस खींचते हुये पकड़ ढीली करें। यह क्रिया, कई बार करें।
टॉप स्टोरीज़
योग-उज्जयी प्राणायाम
आराम से पद्मासन या सुखासन में बैठें। और धीमे-धीमे से सांस लें। अपनी जीभ को उल्टा कर तालू के साथ लगा लें। और मद्धम-मद्धम सांस लेते रहें। ऐसा लगे कि जैसे आप सिर्फ गले से सांस ले रहे हों। इस आसन से थायराइड, खर्राटे, अस्थमा, और हृदय रोगों में लाभ मिलता है।
उत्तानपादासन
उत्तानपादासन करने से पेट कम होता है, पाचन क्रिया ठीक रहती है और पेट के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। इस योग को करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेटें और सांस खींचते हुये दोनों पैर ऊपर इस प्रकार उठायें कि घुटने न मुड़ें। थकान सी लगे या सांस रोकने में समर्थ न हैं तो सांस बाहर निकालते हुए दोनों पैर धीरे-धीरे एक साथ नीचे लायें।
सर्वांगासन
इस आसन से आपका रक्त संचार सही रहता है और ऊर्जा का स्तर भी बनाए रखता है। इस आसन में शरीर के सारे अंगों का व्यायाम एक साथ हो जाता है इसलिए इसे सर्वांगासन का नाम दिया गया है। जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को शरीर के साइड में रखें। दोनों पैरो को धीरे-धीरे ऊपर उठाइए। पूरा शरीर गर्दन से समकोण बनाते हुए सीधा लगाएं और ठोड़ी को सीने से लगाएं। इस पोजीशन में 10 बार गहरी सांस लें और फिर धीरे-धीरे नीचे आएं।
पद्मासन
संस्कृत शब्द पद्म का अर्थ होता है कमल। इसीलिए पद्मासन को कमलासन भी कहते हैं। इसको करने से पेट की सभी समस्याएं, लीवर रोग, हृदय रोग, रक्त विकार और चर्म रोग में लाभ मिलता है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाई जांघ पर इस प्रकार रखते हैं कि एड़ी नाभि के पास आ जाएं। इसके बाद दाएं पांव को उठाकर बाई जांघ पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियां नाभि के पास आपस में मिल जाएं। इस मुद्रा का अभ्यास करते सम गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।
भुजंगासन
यह आसन शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है और आपके शरीर को लचीला बनाता है। भुजंग को अंग्रेजी में कोबरा कहते हैं और चूंकि यह दिखने में फन फैलाए एक सांप जैसे आकार का आसन है, इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन रखा गया है। इसके लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब दोनों हाथ के सहारे शरीर के कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन कोहनी मुड़़ी होनी चाहिए। हथेली खुली और जमीन पर फैली हो। अब शरीर के बाकी हिस्सों को बिना हिलाए-डुलाए चेहरे को बिल्कुल ऊपर की ओर कीजिए, कुछ समय के लिए इस स्थिति में रहें।
बालासन
इस आसन को करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पेट की चर्बी घटती है। इस आसन को करने के लिए घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भाग एड़ियों पर डालें। गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड तक इस अवस्था में रहें और वापस सामान्य अवस्था में आ जायें।
हलासन
इस आसन से रीढ़ की हड्डियां लचीली बनी रहती है जिससे शरीर फूर्तिला और जवान बना रहता है। पेट बाहर नहीं निकलता है और शरीर सुडौल दिखता है। साथ ही श्वसन संबंधी रोग में भी इस आसन से काफी लाभ मिलता है। हलासन को करने के लिए पीठ के बल जमीन पर लेटें। श्वास को पूरी तरह बाहर कर दोनों पैरों को एक साथ ऊंचा करें। आकाश की तरफ पूरे करके पीछे सिर की तरफ झुकायें। लेकिन ध्यान रहें कि आपके घुटने न मुडें। पैरों के ताने हुये पंजे जमीन पर लगायें। ठोड़ी छाती से लगायें।
मयूरासन
इस आसन में मोर की आकृति बनती है। इसलिए इस आसन को मयूरासन कहा जाता है। इस आसान के अभ्यास से पाचन अंगों में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है जिससे पंचन तंत्र मजबूत होता है। अपच एवं भूख न लगने की समस्या में यह आसन बहुत ही लाभप्रद होता है। इसके लिए जमीन पर घुटने टेक कर बैठें। दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर इस प्रकार रखें कि सब अंगुलियां पैर की दिशा में हों। अब दोनों कुहनियों को पेट में नाभि के पास रखें। आगे झुकें और दोनों पैर पीछे लम्बा करें तथा जमीन से ऊपर उठायें। सांस बाहर निकालते हुए पूरा जमीन के समानान्तर रखें। जितने समय तक रह सकें, इस स्थिति में रहें।
सुप्त वज्रासन
सुप्त वज्रासन को करने से पेट की चर्बी दूर होती है। टांगें मजबूत बनती हैं। थकान दूर होती है। छाती का विकास होता है। आंखों की ज्योति बढ़ती है। इस योग को करने के लिए जमीन पर घुटने को टेक कर जंघाओं को पिंडलियों पर रखें और पांवों की उंगलियों को जमीन पर रखकर एड़ियों पर बैठें तथा पीठ के पीछे जमीन पर लेट जायें। दोनों हाथ टांगों पर रखें। सांसों की गति नियमित रखें।
शरीर, मन और आत्मा हर स्तर पर स्वस्थ रहने के लिए योग का विशेष महत्व होता है। और यहां दिये योग को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल कर व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ एवं निरोगी बना रह सकता है।
Image Courtesy : Getty Images
Read More Articles on Yoga in Hindi.