टूरेट्स सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

अगर आपका बच्चा बोलते समय हकलाता है या आंखों को बार-बार झपकाता है तो इसे नजरअंदाज ना करें। ये टूरेट्स सिंड्रोम के लक्षण हैं, इस सिंड्रोम के बारे में विस्‍तार से जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
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टूरेट्स सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें


अगर आपके बच्चे की आंख बार-बार फड़कती है या वो बार-बार कंधों को उचकाता है तो इसे हल्के या मजाक में ना लें। ऐसा वो शरारत के कारण नहीं टूरेट्स सिंड्रोम के कारण करता है। टूरेट्स सिंड्रोम बच्चों की बीमारी है जो बचपन में शुरू होती है। इस बीमारी में शरीर में कुछ विशेष तरह के मूवमेंट देखे जाते हैं। जिसको शुरू में नजरअंजाद करने पर और अधिक जटिल व पेचीदा बन जाता है।

सिंड्रोम की शुरुआत

  • इस सिंड्रोम की सबसे पहले पहचान इटार्ड नाम के मनोचिकित्सक ने 1825 में कि थी। इटार्ड ने एक बच्चे में इस सिंड्रोम के लक्षण देखे थे।
  • बाद में सालों बाद, डॉ. जॉर्ज गिल्स दे ला टूरेटे ने 1885 में इसे परिभाषित किया। इन्हीं के नाम पर इसे टूरेट्स सिंड्रोम नाम दिया गया।
  • टूरेट्स सिंड्रोम न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें कुछ लक्षण देखे जाते हैं। आइए इस लेख में टूरेट्स सिंड्रोम और उसके लक्षणों के बारे में विस्तार से जानें।

 

टूरेट्स सिंड्रोम क्या है

  • टूरेटस सिंड्रोम एक तरह से दिमाग का फिजिकल डिसऑर्डर है जिसके कारण शरीर में अनजाने में क्रिया होती है।
  • ये क्रिया मूवमेंट में हो सकती है या बोलने में हो सकती है।
  • ये दो तरह के होते हैं- मोटर टिक्स और वोकल टिक्स

 

टिक्स के सामान्य लक्षण-

  • आंखों का फड़कना।
  • गर्दन में सिरहन।
  • कंधों का उचकाना।
  • सर का झटकना।
  • मांसपेशियों में खिंचाव।
  • उंगली में हलचल।

 

टिक्स के जटिल लक्षण-

  • आंखों का घूमना
  • उछलना।
  • पैरों को चलाना।
  • मारना।
  • काटना।
  • खुद को चोट पहुंचाना।
  • इकोप्रेक्सिया।
  • कोप्रोप्रेक्सिया।

 

फैक्ट्स

  • टिक्स के ये लक्षण बच्चों में 5-10 साल के बीच में दिखना शुरू होते हैं।
  • कॉफी, जंक फुड, कफ सिरप, अनजानी दवाई और अनियमित खान-पान से टिक्स के लक्षणों की स्थिति और अधिक खराब हो जाती है।
  • आइडेटिकल ट्विन्स में टिक्स के लक्षण अलग-अलग होते हैं। तो आइडेटिकल ट्विन्स बच्चों में लक्षणों की तुलना ना करें।
  • लड़के टूरेट्स सिंड्रोम से अधिक ग्रस्त होते हैं।
  • यूएस में 6-17 साल के 360 बच्चों में से एक बच्चा इस बीमारी से ग्रस्त होता है।
  • लड़कियों में ये संख्या कम है। तीन लड़की में से एक के ही टूरेट्स सिंड्रोम से ग्रस्त होने के चांस होते हैं।
  • लड़कों में ये तीन से पांच गुना लड़कियों की तुलना में अधिक दिखते हैं।

 

उपचार

  1. मेडिकेशन - दवाईयां ली जाती है और टूरेट्स को कंट्रोल करने के लिए ट्रेनर से ट्रेनिंग ली जाती है।
  2. बिहेवरियल ट्रीटमेंट - लक्षणों में कमी लाने के लिए बच्चों को अवेयरनेस ट्रेनिंग औऱ कम्पीटिंग रेस्पॉन्स की ट्रेनिंग दी जाती है।
  3. सपोर्टिव थेरेपी - ये थेरेपी लक्षणों को कम करने मे मदद तो नहीं करती लेकिन उन्हें इमोशनली सपोर्ट जरूर करती है। इस थेरेपी द्वारा टूरेट्स सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे सोसायटी और आस-पास की चीजों से सामंजस्य बैठा पाते हैं।

 

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