पति-पत्नी से लेकर भाई-बहन तक, हर रिश्ते को संवारने में मदद करती हैं ये 5 टिप्स

अक्सर कुछ लोग यह शिकायत करते हैं कि घर में किसी को भी मेरी परवाह नहीं है, यहां तक कि दोस्त और रिश्तेदार भी मुसीबत के वक्त मेरी मदद नहीं करते। अगर आप सचेत ढंग से अपने सभी रिश्तों के लिए काम करेंगे तो आपको अपने लिए अलग से कोई अतिरिक्त प्रयास करने की ज़रूरत नहीं होगी। अपने पारिवारिक-सामाजिक संबंधों को लेकर लोगों के मन में किस तरह की परेशानियां होती हैं और उन्हें दूर करने के लिए क्या तरीके अपनाने चाहिए, बता रही हैं रिलेशनशिप एक्सपर्ट विचित्रा दर्गन आनंद।
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पति-पत्नी से लेकर भाई-बहन तक, हर रिश्ते को संवारने में मदद करती हैं ये 5 टिप्स

अक्सर कुछ लोग यह शिकायत करते हैं कि घर में किसी को भी मेरी परवाह नहीं है, यहां तक कि दोस्त और रिश्तेदार भी मुसीबत के वक्त मेरी मदद नहीं करते। अगर आप सचेत ढंग से अपने सभी रिश्तों के लिए काम करेंगे तो आपको अपने लिए अलग से कोई अतिरिक्त प्रयास करने की ज़रूरत नहीं होगी। अपने पारिवारिक-सामाजिक संबंधों को लेकर लोगों के मन में किस तरह की परेशानियां होती हैं और उन्हें दूर करने के लिए क्या तरीके अपनाने चाहिए, बता रही हैं रिलेशनशिप एक्सपर्ट विचित्रा दर्गन आनंद।

दांपत्य जीवन में

अगर व्यक्ति का दांपत्य जीवन खुशहाल हो तो उसके अन्य सामाजिक संबंधों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है। पति-पत्नी के बीच अगर कोई झगड़ा या बहस न हो तो लोग इसे आदर्श स्थिति मान कर अपने रिश्ते को जीवंत बनाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं करते। सब कुछ ठीक ही है, यह मानकर लोग परिवार की खुशहाली के बारे में सोचना छोड़ देते हैं। कई बार लोगों के मन में एक-दूसरे के लिए ढेर सारी शिकायतें रहती हैं पर वे अपने पार्टनर के सामने खुलकर अपनी भावनाओं का इज़हार नहीं कर पाते।

क्या करें : अगर पति/पत्नी की किसी आदत या व्यवहार से आपको परेशानी हो तो बहुत प्यार के साथ उसे इस समस्या के बारे में बताएं और साथ मिलकर उसका हल ढूंढें। अपनी आलोचना को भी सहजता से स्वीकारें। भावनात्मक बंधन की मज़बूती के लिए ऐसी कोशिश बहुत ज़रूरी है।

भाई-बहनों के बीच

बचपन से एक ही माहौल में पले भाई-बहनों के जीवन में एक ऐसा दौर भी आता है, जब वे अपने करियर और परिवार में व्यस्त हो जाते हैैं। खास उम्र के बाद उनके आपसी रिश्ते में पहले जैसी सहजता नहीं रह जाती क्योंकि समय के साथ उनकी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। अपने लाइफ पार्टनर, बच्चों और विवाह के बाद बनने वाले नए रिश्तेदारों के प्रति भी लोगों की कुछ जि़म्मेदारियां होती हैं। इन्हीं वजहों से भाई-बहन के रिश्ते में दूरियां बढऩे लगती हैं।

क्या करें : अगर आपके भाई-बहन एक ही शहर में रहते हैं तो कम से कम महीने में एक बार आपस में मिलने-जुलने का समय ज़रूर निकालें। अपने बच्चों को भी कज़ंस के साथ घुलने-मिलने का मौका दें।     

माता-पिता और आप

परिवार चाहे एकल हो या संयुक्त अपने बुज़ुर्ग माता-पिता का $खयाल रखना आपकी जि़म्मेदारी है। खानपान और रहन-सहन को लेकर दोनों पीढिय़ों के बीच काफी अंतर होता है। ऐसी स्थिति में कुछ छोटी-छोटी बातों को लेकर लोगों के बीच गलतफहमी पैदा हो जाती है। युवाओं को ऐसा लगता कि पुरानी पीढ़ी जबरन हम पर अपनी इच्छाएं थोपती है और वहीं बुज़ुर्गों को ऐसा लगता है कि बेटे-बहू के पास उनके लिए समय नहीं है। भले ही दोनों पक्ष इस बारे में कुछ भी न कहें पर इससे उनके बीच फासले बढऩे लगते हैं।

क्या करें : अगर आप बुज़ुर्गों के साथ रहते हैं तो रोज़ाना सुबह-शाम उनके साथ बातचीत के लिए समय ज़रूर निकालें। अगर माता-पिता कहीं दूर रहते हैं तो प्रतिदिन फोन पर उनका हाल लेना न भूलें और छुट्टियों में सपरिवार उनसे मिलने ज़रूर जाएं। सीनियर सिटिज़ंस का भी यह फजऱ् बनता है कि वे नई पीढ़ी की व्यस्तता को समझते हुए उनके लिए अपने मन में कोई शिकायत न रखें।

रिश्तेदार और पड़ोसी

किसी भी व्यक्ति के सामाजिक जीवन में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की खास जगह होती है। ऐसे रिश्ते बहुत नाज़ुक होते हैं और इन्हें सचेत ढंग से संवारने की ज़रूरत होती है। उसने मेरी बीमारी का हाल नहीं पूछा, मुझे जन्मदिन पर बधाई नहीं दी या वह दूसरों से अकसर मेरी बुराई करता/करती है। ऐसी छोटी-छोटी बातों की वजह से अकसर लोगों के बीच मनमुटाव हो जाता है। ऐसे रिश्तों में व्यक्ति को हमेशा ऐसा लगता है कि लोग उसे इग्नोर कर रहे हैं। इसी सोच के कारण वह अपनों से दूर रहने लगता है।

क्या करें : चाहे पड़ोसी हों या रिश्तेदार, उनके साथ रिश्तों में सहजता लाएं। इगो की भावना को बीच में न आने दें। अगर कोई रिश्तेदार बर्थडे वाले दिन आपको विश करना भूल गया तो इस बात को दिल पर न लें, बल्कि उस रोज़ आप खुद ही फोन करके उसे याद दिला दें। इससे आप दोनों के बीच कभी कोई कड़वाहट नहीं आएगी। हमेशा सबकी मदद के लिए तैयार रहें पर दूसरों से बहुत ज्य़ादा उम्मीद न रखें। अगर कभी कोई मदद करने से इंकार करे तो नाराज़ होने के बजाय उसकी मजबूरी को समझने की कोशिश करें। 

दोस्ती है सदा के लिए

जिसके पास अच्छे दोस्त हों, उससे ज्य़ादा खुशनसीब कोई और नहीं हो सकता लेकिन कई बार लोग अपने दोस्तों को पर्सनल स्पेस नहीं देते और उनकी परेशानियों को भी समझ नहीं पाते। इसी वजह से दोस्ती के रिश्ते में दरार पड़ जाती है। दोस्तों से ज्य़ादा उम्मीदें रखने से भी संबंध खराब हो सकते हैं।

क्या करें : अपने दोस्त की पारिवारिक जि़म्मेदारियों को समझते हुए उसे पूरा पर्सनल स्पेस दें। यह सच है कि दोस्ती में सॉरी और थैंक्यू जैसे शब्दों की कोई जगह नहीं होती। फिर भी अगर आप अपने केयरिंग व्यवहार के ज़रिये दोस्त को स्पेशल फील करवाएंगे तो इससे केवल उसे ही नहीं बल्कि आपको भी सच्ची खुशी मिलेगी।

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