हर दूसरे दिन लकवे का शिकार हो जाती है ये लड़की

हाइपोकालेमिक पीरियाडिक पैरालिसिस नाम की अनुवांशिक बीमारी में मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती है कि व्‍यक्ति हर दूसरे दिन लकवे का शिकार हो जाती है, आइए जानें कैसे।
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हर दूसरे दिन लकवे का शिकार हो जाती है ये लड़की


बार्नली, साउथ यॉर्कशायर की बारह वर्षीय मिया पार्क को हाइपोकालेमिक पीरियडिक पैरालिसिस नाम की एक अनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी में मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती है कि वह हर दूसरे दिन लकवे का शिकार हो जाती है। एक बार तो वह लगातार 19 घंटों तक अपने शरीर को नहीं हिला सकी और उसकी मां भी उसकी किसी भी तरह से मदद नहीं कर सकी। ऐसी हालत में उसे तुरंत ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता, जहां उसे एक आई ड्रिप के जरिए पोटैशियम दिया जाता है। मिया ही इस तरह की हालत उसके सोने पर होती है लेकिन उसके जागने पर वह पूरी तरह से लकवाग्रस्‍त होती है। डॉक्टरों का कहना है कि हाइपोकालेमिक पैरालिसिस बीमारी वंशानुगत है और प्रति एक लाख लोगों में से किसी एक को ही यह बीमारी होती है।

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मेलऑनलाइन के लिए मिशेल रालिंस लिखती हैं कि एक दुखी और निराश मां (39) को अपनी बेटी (12) को भय से देखना पड़ता है कि हर सुबह उनकी बेटी लकवाग्रस्त है या नहीं। सारा फर्थ को देखना पड़ता है कि उनकी बेटी मिया कभी-कभी 19 घंटों तक अपने शरीर की एक हड्डी तक हिलाने की हालत में नहीं होती है।

ऐसी हालत में उनकी बेटी रोती है और मदद के लिए दवाएं मांगती है ताकि उसके शरीर में सक्रियता का संचार हो सके। मिया पर इस बीमारी का पहला हमला इसी वर्ष की जनवरी में हुआ था। पेशे से नर्स फर्थ का कहना है, कि एक बार उसकी बेटी आधी रात को जागकर अपने हाथ के सुन्न होने की शिकायत करने लगी। मैंने सोचा कि वह अपने हाथ के ऊपर सो गई होगी और इस कारण से हाथ सुन्न हो गया होगा, लेकिन सुबह के समय मिया ने कहा कि उसे अपने हाथों और पैरों का अनुभव नहीं हो रहा है।

शुरुआत में मैंने सोचा कि वह बहाने बना रही है और बर्फवारी के कारण स्कूल जाने से छुट्‍टी चाहती है। लेकिन जब वह बैठ नहीं सकी या हाथ-पैर नहीं चला सकी तब मुझे अहसास हुआ कि वह सच बोल रही थी। मुझे पता था चूंकि उसका चेहरा टेढ़ा नहीं हुआ था इसलिए उसे पक्षाघात नहीं हुआ था। लेकिन मुझे लगा कि कोई गंभीर बात जरूर है। वह कहती हैं कि मिया के हाथ-पैरों की उंगलियों में सुई चुभोई लेकिन वह एक बार भी पीछे नहीं हटी और उसने दर्द की शिकायत नहीं की। मैंने देखा कि वह निराशा से अपने हाथ पैर हिलाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने तुरंत ही एनएचएस हेल्पलाइन को फोन लगाया जिन्होंने उसके लिए एम्बुलेंस भेजी। जब डॉक्टर उसकी जांच कर रहे थे, उसका ब्लड प्रेशर ले रहे थे तब मुझे इस बीमारी का अंदाजा लगा।

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Image Source : dailymail.co.uk

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