टैनिंग कभी किसी को पसंद नहीं आती। लोग टैनिंग कम करने के लिए ना जाने क्या-क्या करते हैं। जबकि टैनिंग हमारे स्किन पोर्स को बंद कर यूवी रेडिएशन से बचाता है। लेकिन हाल ही में आई एक शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि टैनिंग विटामिन डी को भी शरीर द्वारा ऑब्जर्व करने से रोक देती है।
जैसा कि स्किन टैनिंग नुकसानदायक पराबैंगनी किरणों से बचाती है। लेकिन अधिक टैनिंग होने से पोर्स के ब्लॉक होने में बढ़ोतरी होने लगती है जिस कारण शरीर को विटामिन डी भी नहीं मिल पाता। जबकि विटामिन डी शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।
टैनिंग है सुरक्षा कवच
ये सही है कि टैनिंग शरीर की एक प्राकृतिक मैक्निजम है जो त्वचा को अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन से बचाती है। लेकिन सोलर रेडिएशन के बहुत अधिक एक्सपोज़र से इतनी अधिक टैनिंग हो जाती है कि वो शरीर के सारे पोर्स पिगमेंट को बंद कर देती है। जिससे शरीर को विटाममिन डी नहीं मिल पाता।
इस तरह से मिलता है विटामिन डी
विटामिन डी का एकमात्र स्रोत है- सूरज की किरणें। चेहरे पर एक स्कार्फ रख लेने से भी विटामिन डी हमें नहीं मिल पाता। विटामिन डी लेने के लिए धूप में आपको पूरी तरह से खुले बदन रहना चाहिए। लेकिन ऐसा अधिक करने में भी नुकसान है। क्योंकि सुबह की धूप से ही विटामिन डी प्राप्त होती है। जो कि सुबह दस बजे के बाद वाली धूप में नहीं मिलती। उसके बाद वाली धूप से मिलती है केवल टैनिंग। जो आपको पराबैंगनी किरणों से तो बचाती है साथ ही विटामिन डी प्राप्त करने से भी रोक देती है। ऐसे में विटामिन डी के लिए आप बहुत अधिक देर तक धूप में बैठते हैं तो शायद आपको विटामिन डी मिलना बंद हो जाए।
टैनिंग बेड भी है नुकसानदायक
ऐसे में कई लोग टैनिंग से बचने के लिए और विटामिन डी लेने के लिए टैनिंग बेड का भी इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है। एक शोध के अनुसार टैनिंग बेड से भी पराबैंगनी किरणें निकलती है जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। यह खतरा बिल्कुल उसी तरह से है जैसे कि गर्मियों में कड़ी धूप में बाहर रहने से होता है।
डब्लूएचओ ने भी बताया नुकसानदायक
टैनिंग बेड के खिलाफ 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन भी चेता चुका है। डब्लूएचओ ने साल 2009 में अपने किए गए शोध का हवाला देते हुए कहा था कि टैनिंग बेड मनुष्य के लिए कैंसरकारी है। टैनिंग बेड एक तरह का उपकरण होता है जो पराबैंगनी किरणें उत्सर्जित करता है।
फाउंडेशन के इस शोध के अनुसार 35 साल की आयु से पहले टैनिंग बेड का इस्तेमाल करने वाले लोगों में मेलानोमा का खतरा 75 प्रतिशत अधिक होता है। साथ ही एक हैरानजनक तथ्य भी इस शोध से सामने आया है कि इनडोर टैनिंग से होने वाले स्कीन कैंसर के मामले धूम्रपान से होने वाले फेफड़े के कैंसर से अधिक हैं।
सप्लीमेंट से विटामिन डी के नुकसान
वहीं दूसरी तरफ कई लोग विटामिन डी के लिए सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते हैं। जबकि सप्लीमेंट से विटामिन डी लेने से इसकी मात्रा का अनुमान पता नहीं चलता। जबकि विटामिन डी की अधिकता से शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे गुर्दों में, हृदय में, रक्त रक्त वाहिकाओं में और अन्य स्थानों पर, एक प्रकार की पथरी उत्पन्न हो जाती है।
ये हैं विटामिन-डी की कमी के विभिन्न स्तर
- अपर्याप्त 20-40 एमजी/एमएल
- न्यून 10-20 एमजी/एमएल
- न्यूनतम 5 मिलीग्राम/प्रति मिलीलीटर से भी कम
विटामिन डी की कमी से शरीर पर पड़ते हैं ये असर
- हमेशा थकान महसूस होना।
- बच्चों की हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है।
- हड्डियों और मांसपेशियों में हमेशा दर्द रहता है।
- कमर में दर्द रहता है।
इन चीजों से लें विटामिन डी
- फोर्टीफाइड डेयरी प्रोडक्ट
- सोया प्रोडक्ट
- मशरूम
- अंडा
- कॉडलीवर ऑयल
- मछली
- गर्मी में सुबह सात बजे की धूप।
विटामिन डी के फायदे
- अस्थमा ठीक करने में मददगार है।
- इम्यून सिस्टम को ठीक रखता है।
- विटामिन-डी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सुचारु रखने में भी अहम भूमिका निभाता है।
- वजन मेंटेन करता है।
- विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा ट्यूबरोकुलोसिस के मरीजों को आराम पहुंचाता है।
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