स्ट्रैस या तनाव कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका इलाज ना हो सके लेकिन ज़रूरत है समय रहते इसे पहचानने की और इससे बचाव के उपाय ढूंढने की। लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाकर और उचित उपचार से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
साइकोलॉजिस्ट एफेक्टिव स्ट्रैस मैनेजमेंट के लिए ए बी सी स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करते हैं। यह स्ट्रैटेजी इतनी आसान है कि एक आम इन्सान भी इसे एक सेल्फ हैल्प टूल के रूप में अपना कर अपने जीवन में ज़रूरी बदलाव ला सकता है।
ए से अवेयरनेस
- उन अंदरुनी और बाह्य कारणों को जानें जिनसे आपका स्ट्रैस लेवल बढ़ता है। जब आप अत्यधिक तनाव महसूस करें तो तनाव के कारण को नोट कर लें और साथ ही उस तनाव से आप कैसे उबर पाये थे ये भी याद रखें।
- अपने विश्वासपात्र कलीग्स और दोस्तों से बात करें कि उनकी नज़र में आप कैसे इन्सान हैं। क्या आप बहुत ही क्रोधी स्वभाव वाले है और दूसरे आपको पसन्द नहीं करते। क्या आप अपने कलीग्स और सब आर्डिनेट्स से अच्छा बर्ताव करते हैं, उन्हें सम्मान देते हैं।
- अन्ततः खुद से हमेशा सच बोलें और खुद से पूछें कि आप जो कर रहे हैं और जिस तरह से कर रहे हैं क्या वो सही है।
बी से बैलेन्स
- किसी भी प्रकार का स्ट्रेस बुरा नहीं होता। बिना तनाव के हम किसी भी प्रकार से काम्पटीटिव नहीं हो पायेंगे। स्ट्रैस्ड होकर ही हम अपनी जीत को तौल सकते हैं और दूसरों की तुलना में खुद को आगे रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन इसके अलावा पाज़िटिव और निगेटिव स्ट्रेस के बीच हमें बैलेंस बना कर रखना चाहिए।
- समय के अनुसार हमें फाइनेंशियल और फैमिली प्रेशर को भी समझना चाहिए। लेकिन ज़्यादा समय तक रहने वाला तनाव अगर आपको शारीरिक या मानसिक रूप से परेशान कर रहा है तो हमें समझना चाहिए और उसे कम करने की हर मुमकिन कोशिश करें। ना कहना भी सीखें क्योंकि कभी कभी ना कहना भी ज़रूरी हो जाता है।
सी से कोपिंग और स्वयं पर नियंत्रण
किसी भी निगेटिव स्ट्रेस का मुकाबला करने के लिए अपने आप में या अपने वातावरण में बदलाव लाएं। आप स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक अपना कर अपने बर्ताव,लाइफस्टाइल और व्यहवार में बदलाव ला सकते हैं। अगर आपमें स्थितियों को बदलने की शक्ति नहीं है तो आप अपने नज़रिये को बदल सकते हैं।
पाज़िटिव थिंकिंग की शक्ति
- अपनी कमज़ोरियों पर ध्यान देने के बजाय अपने सामर्थ पर ध्यान दें। अपनी कमजो़रियां और सामर्थ की लिखित परीक्षा लें। अपनी अच्छी आदतों को पाज़िटिवली लेकर अपनी कमज़ोरियों को दूर करने की कोशिश करें। अपने आपको तनावमुक्त करने के मौके ढूंढें।
- तनावपूर्ण शेड्यूल के बाद भी अपने आप को तनावमुक्त करने के लिए कम से कम 20 मिनट का समय निकालें। टहलने जायें या अपने किसी दोस्त के साथ लंच करें।
सच को स्वीकार करें
कभी कभी हमारे पास किसी स्थिति का मुकाबला करने की शक्ति नहीं होती। जैसे कि किसी बहुत अपने की मृत्यु हो जाना ऐसी स्थिति में हमें इस दुख के आगे हार माननी पड़ती है।
ऐक्शन ओरियेंटेड
कुछ स्थितियों का मुकाबला करने के लिए हमारे पास स्थितियों का मुकाबला करने की शक्ति होना ज़रूरी होता है। ऐक्शन ओरियेंटेड अपरोच में स्ट्रेस को मैनेज करने के तरीके पर विचार किया जाता है। यह वो तकनीक होती है जिसकी मदद से तनावपूर्ण स्थितियों को बदलने की कोशिश की जाती है।
अपने अधिकारों को समझें और आक्रामक ना बनें
अपने अधिकारों को समझें लेकिन अपने विचारों को दूसरों पर ना थोपें। बाडी लैगवेज़ का ठीक से इस्तेमाल करें। दूसरों की परेशानियों में बहुत ज़्यादा दखलअंदाजी़ ना करें। अपने अधिकारों को समझ कर आप खुद को नियंत्रित भी कर सकते हैं।
आर्गनाइज़्ड रहें
अपने काम की एक लिस्ट बना लें और निर्धारित कर लें कि आपको कौन सा काम पहले और कौन सा काम बाद में करना है। अपने काम में रूचि ले और अपने काम करने की जगह को व्यवस्थित रखें।
टाइम मैनेजमेंट सीखें
किसी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए टालमटोल ना करके सीधे ना कहना सीखें। हर दिन की तैयारी पहले से ही कर लें। डायरी लिखने की आदत बनायें या किसी करीबी दोस्त के संपंर्क में रहें।
खुद पर हंसने की कला सीखें
हंसने से स्ट्रेस लेवल कम हो जाता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे फील गुड फैक्टर बढ़ता है और एन्डार्फिन हार्मोन्स की मात्रा बढ़ती है और इससे हम स्वस्थ फील करते है। आप चाहें तो अपने आसपास कोई लाफर क्लब जाइन कर सकते हैं।
डाइवर्जन और डिस्ट्रैक्शन
- किसी परेशानी की स्थिति में ठीक से सोचें और कुछ समय के लिए उस परिस्थिति से दूर चले जायें। आप अपने आप मे 15 मिनट में आश्चर्यचकित बदलाव देखेंगे।
- धीरे धीरे सांस लेने की प्रैक्टिस करें जिससे कि आपकी मांस पेशियों को आराम मिल सके। बहुत अधिक गुस्सा आने पर 1 से 100 तक गिनती पढ़ें।
खान पान पर नियंत्रण
जब आप अत्यधिक तनाव में हो तो कम खायें या 15 मिनट बाद खायें। ऐसी स्थिति में धूम्रपान बिलकुल ना करें और ना ही शराब पीयें। बहुत ज़्यादा मात्रा में कैफीन और नमक ना लें।
रेगुलर एक्सर्साइज़
रेगुलर एक्सर्साइज़ करने से भी स्ट्रैस कम होता है। इससे हार्ट बीट नार्मल हो जाती है और ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है जिससे एन्डार्फिन हार्मोन रिलीज़ होता है और इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है और नींद भी अच्छी आती है।
नींद
साइनटिस्ट ऐसा मानते हैं कि 8 घंटों की नींद हमारे लिए ज़रूरी है ा खाने से पहले हैवी मील ना लें। सोने से पहले गरम पानी से नहाने या गरम दूध पीने से भी अच्छी नींद आती है।
लेज़र ऐक्टिविटी
कम से कम हफ्ते में एक बार पूरे परिवार के साथ खाना खायें इससे आपका तनाव कम होगा।
एल्टर्नेटिव मेडिसिन
आज जीवन में आराम का अनुभव करने के लिए बहुत सी थेरेपी हैं जैसे योगा ,मसाज थेरेपी, मेडिटेशन, अरोमाथेरेपी, हर्बलिज़म, रिफ्लेक्सालाजी , होमियोपैथी और हिप्नोसिस। पेट थेरेपी भी बहुत ही मानी हुई थेरेपी है। कुछ बिगड़ी हुई परिस्थितियों में मार्डन ड्रग , साइकोथेरेपी या काउन्सेलिंग भी उपयोगी है।
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