एक्जिमा के लक्षणों में त्वचा में खुजली, लालिमा और छोटे उभार या फफोले शामिल हैं। अगर इन लक्षणों का इलाज नहीं किया जाए, तो त्वचा मोटी, खुरदुरी, और शुष्क हो सकती है। जिसके साथ कुछ ऐसे क्षेत्र उत्पन्न हो सकते हैं जहाँ के बाल झड़ जाते हैं और रंग में परिवर्तन आ जाता है। लंबी अवधि के एक्जिमा से प्रभावित त्वचा, बैक्टीरिया जनित अग्रिम संक्रमण के लिए आमतौर पर अधिक संवेदनशील हो जाती है।
एक्जिमा कई प्रकार का होता है, लेकिन एक्जिमा के लक्षणों को सामान्य करके देखा जा सकता है। चाहे कारण कुछ भी हों, कम या ज्यादा एक्जिमा के लक्षण आमतौर पर इस प्रकार के होते हैं-
- संक्रमित त्वचा में खुजली और लालिमा
- शुष्क और पपड़ीदार त्वचा। और खुजली करने पर त्वचा के उस हिस्से का मोटा हो जाता।
- प्रभावित क्षेत्र में गांठ पड़ जाना
- छाले नमी भरी त्वचा
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खुजली
यह एक्जिमा का सबसे सामान्य लक्षण है। अगर रेशैज में खुजली न हो, तो यह एथ्कमा के काण नहीं होती है। हालांकि यह एक्जिमा का बड़ा लक्षण है, लेकिन यह कई अन्य कारणों से भी हो सकती है। इसलिए केवल खुजली को ही एक्जिमा का एकमात्र लक्षण मान लेना ठीक नहीं होगा।
लालिमा
सूजन और रक्त के अधिक प्रवाह के कारण त्वचा में लालिमा होती है। एक्जिमा के दौरान सूजन कई कारणों से हो सकती है, लेकिन एक अहम कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। एक्जिमा को नियंत्रित करने और इसके इलाज के लिए संक्रमण के कारणों को समझना बेहद जरूरी होता है।
मोटी त्वचा
त्वचा का संक्रमित हिस्सा कई बार संक्रमित हिस्से से अधिक मोटा हो जाता है। इसमें लगातार खुजली होती रहती है। यह आमतौर पर कुहनी, टखने के पास और घुटने के पीछे, जैसे जोड़ों के पास होता है। यह आमतौर पर ऐसे हिस्से को अधिक प्रभावित करता है जहां त्वचा आमतौर पर अधिक लचीली होती है।
फफोले
एक्जिमा के दौरान फफोले होना सामान्य है। आमतौर पर इन फफोलों का आकार छोटा होता है, लेकिन कई बार ये फफोले आकार में काफी बड़े भी हो जाते हैं। इन फफोलों में तरल पदार्थ और पस भरा हो सकता है।
पपड़ी
एक्जिमा के दौरान त्वचा से तरल पदार्थ रिस सकता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है, इसलिए यह हवा के संपर्क में आते ही सूख जाता है और केवल प्रोटीन बचा रहा जाता है इससे एक पपड़ी बची रह जाती है। यह आमतौर पर तब होता है जब एक्जिमा से संक्रमित त्वचा संक्रमित हो जाती है। इस पपड़ी का रंग आमतौर पर गोल्डन होता है।
लक्षणों के आधार पर एक्जिमा के प्रकारों को इस प्रकार समझा जा सकता है -
एटॉपिक (एटॉपिक डर्माटाईटिस) एक्जिमा
एटॉपिक एक्जिमा में संक्रमित त्वचा लाल और शुष्क हो जाती है। तथा वहां पर धब्बे पड़ जाते हैं। अगर त्वचा संक्रमित हो जाती है, तो यह गीली अथवा नम नजर आ सकती है। त्वचा में खुजली वाले स्थानों को खुरचने से जलन बढ़ जाती है और बैक्टीरिया से संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
कॉन्टेक्ट एक्जिमा
जब कोई कारक कॉन्टेक्ट एक्जिमा उत्पन्न करता है, तो त्वचा पर हल्की लालिमा से लेकर गंभीर छाले या अल्सर तक बन सकता है। कॉन्टेक्ट एक्जिमा अगर किसी एलर्जी से शुरू होता है तो इससे आमतौर पर त्वचा की लालिमा, लाल उभार या फफोले और गंभीर खुजली होती है। जब ये वनस्पतिक (प्लांट) एलर्जी (जहर आइवी लता, ओक जहर, स्मैक जहर) आदि की वजह से होता है तो बहुत तेज प्रतिक्रिया होती है और उस स्थान पर धारियों और पंक्तियों में फफोले और छाले पड़ जाते है जहां त्वचा का पौधों से संपर्क होता है।
हाथ का एक्जिमा
हाथ का एक्जिमा आमतौर सर्दियों में शुष्क और दरारों के रूप में लाली के साथ या बिना दिखाई देता है। हाथ के एक्जिमा में आमतौर पर खुजली, लाल फफोले या छाले और त्वचा में पपड़ी जमना आदि लक्षण नजर आते हैं। इसके अलावा उसकी परतें शुष्क निकलने लगती है। इससे त्वचा में जलन भी हो सकती है। यह जलन आमतौर पर आमतौर पर छल्लों के नीचे साबुन जमा होने से होती है।
न्युमुलर एक्जिमा
न्युमुलर एक्जिमा में शुरुआत में त्वचा के छोटे हिस्से में जलन होती है। यह जलन गोलाकार लाल या पपड़ी के धब्बों में रूप में बदल जाती है।
एस्ट्इयेटॉटिक एक्जिमा
एस्ट्इयेटॉटिक एक्जिमा आमतौर पर टांगों के निचले हिस्से में होता है। इसमें त्वचा में खुजली हो सकती है। साथ ही त्वचा सूखी और फटी व लालिमा युक्त हो सकती है। इस दौरान आपकी त्वचा पर कुछ उभार भी हो सकते हैं। और इन उभारों में चुभन भरा दर्द हो सकता है। हालांकि यह भी हो सकता है कि आपको कोई उभार न हो।
स्टेटिस एक्जिमा
स्टेटिस एक्जिमा (डर्माटाईटिस) आमतौर टांगों के निचले हिस्से में हल्की लालिमा या खुजली के साथ शुरू होता है। टांगें पहले से ही धीमे रक्त प्रवाह के कारण हल्की मुलायम और सूजन भरी होती हैं। यह समस्या आमतौर पर इसलिए आती हैं कि वैरिकाज नसें या अन्य नसें अपनी पूरी कार्यक्षमता से काम नहीं करतीं। हालांकि हार्ट फेल या गुर्दे की समस्या होने से भी टांगों में सूजन हो सकती है और यह भी इस एक्जिमा का एक कारण हो सकती है। अचानक लालिमा और कोमलता बैक्टीरियल संक्रमण के कारण भी हो सकती है। इसके लिए आपको फौरन डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
लिचेन सिंप्लेक्स क्रॉनिकस
इस एक्जिमा में त्वचा पर रैशेज हो जाते हैं। यह रैशेज त्वचा को मोटा और सख्त चमड़े बनाते हैं। इन रैशेज की वजह से त्वचा का रंग गहरा हो जाता है। इन रैशेज में बहुत खुजली होती है। और जैसे ही आप इसमें खुजली करते हैं यह समस्या और बढ़ जाती है।
सीबोर्रह्इक एक्जिमा
सीबोर्रह्इक एक्जिमा में त्वचा पर लाल, पीली और चिकनी धारीदार पपड़ी हो जाती है। यह आमतौर सिर पर डेंड्रफ के रूप में दिखाई देता है, लेकिन यह शरीर पर कहीं भी हो सकता है जिसमें आइब्रो, पलकें, कान और मुंह और नाक के पास की इकट्ठी हुई त्वचा शामिल हो सकती है। इन स्थानों पर खुजली अथवा जलन हो सकती है। शिशुओं के सिर के घाव (पालने टोपी) पीले और चिकने दिखाई दे सकते हैं और आमतौर पर ये कोई असुविधा पैदा नहीं करते।
इन लक्षणों को देखकर आप एक्जिमा को समझ सकते हैं और फिर उचित समय पर उसका उचित इलाज भी करवा सकते हैं।
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