डायबिटीज वर्तमान में महामारी बनती जा रही है। आज के समय में डायबिटीज बच्चे से लेकर वृद्धों तक किसी को भी कभी भी हो सकती है। देश में दिन-प्रतिदिन डायबिटीज के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि इंसुलिन के असर से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज केयर करके ही कम की जा सकती है। अन्यथा डायबिटीज के कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। डायबिटीज होने पर डायबिटीज रोगियों को कई समस्यांएं भी होने लगती हैं। आइए जानें डायबिटीज के अतिरिक्त प्रभाव के बारे में।
- डायबिटीज से कई जैसी बीमारियां हो जाती है, जो कि दीर्घकालीन होती है और उसका असर लंबे समय तक शरीर पर दुष्प्रभाव डालता है।
- डायबिटीज के रोगी को यदि कोई छोटी सी चोट लग जाएं या जख्म हो जाएं तो वह बड़ा घाव बन जाता है और उसके पकने की आशंका भी बढ़ जाती है, इससे कई बार घाव फैल भी जाता है।
- डायबिटिक्स में नसों की खराबी होना भी आम है। इसे डायबेटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। डायबिटीज जितना पुराना होता है न्यूरोपैथी होने की संभावना उतनी ही बढ जाती है।
- नपुंसकता डायबिटीज का ऐसा दुष्प्रभाव है, जिससे पुरूषों का बचना बहुत मुश्किल होता है। जिन पुरूषों को डायबिटीज अपनी चपेट में ले लेती है हॄदयाघात या स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
- डायबिटीज के कारण यौन संबंधी समस्याएं जैसे यौन क्रिया की इच्छा में कमी, प्रीमेच्योर इजाकुलेशन या रेट्रोग्रेड इजाकुलेशन जैसी समस्याएं सामान्य समय ये 10-15 साल पहले ही होने की आशंकाएं बढ़ जाती है।
- डायबिटीज के मरीजों को टी.बी. का खतरा अधिक रहता है क्योंकि डायबिटीज के कारण मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और उनका शरीर जल्दी ही कीटाणुओं का शिकार हो जाता है।
- डायबिटीज से पीडि़त मरीज को हमेशा डायबिटिक फुट जैसी समस्या का खतरा रहता है। ऐसे में यदि वे पैरों की परेशानियों को नज़रअंदाज करते हैं जो उनको न सिर्फ आगे जाकर समस्याएं हो सकती है बल्कि पैरों के अल्सर तक के पनपने की आशंकाएं बढ़ जाती है।
- डायबिटीज के मरीजों को छोटे से इंफेक्शन में भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अन्यथा उन्हें जान का जोखिम बराबर बना रहता है।
- डायबिटीज रोगियों में हृदय-रोग कम आयु में भी हो सकते हैं। दूसरा अटैक होने का खतरा सदैव बना रहता है।
कुछ और विकृतियां जो लंबे समय तक डायबिटीज होने के कारण होती है-
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- आंखों संबंधी समस्या - समय से पूर्व मोतियाबिंद होना, धुंधलापन होना, रेटिनापैथी होना और अधिक खराबी होने पर अंधापन।
- हृदय संबंधी- हार्ट अटैक होना, हृदय और धमनियों संबंधित समस्याएं, अचानक हार्टबीट बढ़ना-कम होना, उच्च रक्तचाप होना, एंजाइना।
- सूजन- चेहरे या पैरो पर या पूरे शरीर पर सूजन आना, नीले चख्ते पड़ना।
- गुर्दे संबंधी- गुर्दा मूत्र में अधिक प्रोटीन्स जाना, गुर्दो का ठीक तरह से काम न करना।
- मानसिक बीमारियां- दिमागी रूप से तनाव होना,यादाश्त में कमी आना, लकवा।
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