
इन नियमों-कानूनों के तहत वैध रूप से बच्चा गोद लेकर आप न सिर्फ खुद के जीवन को एक उद्देश्य दे सकते हैं, बल्कि एक बच्चे को उसका सामाजिक हक दे सकते हैं।
शादी एक बेहद निजी फैसला है और इसी तरह बच्चे पैदा करना भी निजी फैसला है। बहुत सारे जोड़े इन दिनों शादी के बाद खुद का बच्चा न पैदा करने का फैसला लेते हैं। इसके बजाय वो बच्चा गोद लेना ज्यादा अच्छा और सहज समझते हैं। वहीं बहुत सारे कपल्स ऐसे भी हैं, जिन्हें स्वास्थ्य कारणों से लंबे समय तक बच्चा नहीं होता है। इस स्थिति में भी जीवन को आसान बनाने के लिए बच्चा गोद लेना उनके लिए एक अच्छा विकल्प है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो कुछ समय पहले तक भारत में बच्चा गोद लेने के फैसले बहुत कम लोग लेते थे। इसके पीछे सामाजिक ढांचा, धार्मिकता और निजी विचार आदि बातें शामिल होती हैं। लेकिन देखा जा रहा है कि पिछले कुछ समय में लोग भ्रांतियों को ख़त्म कर क़ानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं।
भारत समेत पूरी दुनिया में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को लेकर नियम और कानून बनाए गए हैं जिनका पालन बच्चे को गोद लेते समय करना अनिवार्य है। भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इसके लिए बाकायदा एक संस्था बनाई है, जो कि इसके लिए काम करती है। भारत सरकार द्वारा गठित सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) बच्चों के एडॉप्शन के लिए काम करने वाली संस्था है। सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी ने भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए कई प्रकार के नियम और कानूनों को बनाया है। अगर आप भी बच्चे को गोद लेने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपको इन नियमों और कानूनों को जान लेना चाहिए।
सबसे पहले जानते है एडॉप्शन क्या है (What is Child Adoption?)
एडॉप्शन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमे बच्चे का संबंध उसके बायोलॉजिकल माता-पिता से नही रह जाता है। बच्चे को गोद लेने के बाद उसके सभी अधिकार गोद लेने वाले माता-पिता के साथ जुड़ जाते हैं। क़ानूनी तरीके से बच्चे को गोद लेने के बाद आप वैध रूप से उस बच्चे के माता - पिता माने जाते हैं। अब सवाल ये उठता है कि किन बच्चों को गोद लिया जा सकता है तो उसके लिए भारत सरकार द्वारा गठित संस्था सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) ने कुछ नियम और कानून निर्धारित किये हैं। CARA द्वारा बनाये गए नियमों के मुताबिक बच्चे गोद लेने यानि कि एडॉप्शन की मुख्य पांच प्रक्रियाएं हैं, आप इन नियमों के तहत सिर्फ इन पांच प्रकार से बच्चों को गोद ले सकते हैं।
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- 1. एक अनाथ बच्चा या फिर बाल सुधार गृह में पल रहे अनाथ बच्चे जिन्हें क़ानूनी रूप से गोद लिया जा सकता है। ऐसे बच्चों को उनसे किसी भी प्रकार का संबंध न रखने वाले देश में रह रहे नागरिक गोद ले सकते हैं।
- 2. अनाथ या बल सुधार गृह में रहने वाले निराश्रित बच्चे जो CARA के नियमों के तहत गोद लिए जाने के लिए वैध हैं। इन बच्चों को देश से बाहर के रहने वाले लोग क़ानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले सकते हैं।
- 3. भारत में रहने वाले नागरिक नियमों के तहत ऐसे बच्चे को भी गोद ले सकते हैं जो देश में ही रहने वाले उनके रिश्तेदारों से जुड़ा हो।
- 4. देश के अन्दर रहने वाले सौतेले माता/पिता द्वारा बच्चे को गोद लिया जा सकता है।

एडॉप्शन के लिए कौन लोग हैं पात्र (Who Can Adopt a Child?)
भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए पात्रता संबंधी नियम कानून लागू होते हैं। सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) जो कि भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है, यह एजेंसी एडॉप्शन संबंधी प्रक्रिया की निगरानी करती है। सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) द्वारा बनाये गए नियमों के मुताबिक बच्चे को गोद लेने के लिए पात्रता इस प्रकार हैं
- 1. गोद लेने के लिए आपका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से स्थिर होना आवश्यक है।
- 2. बच्चे और गोद लेने वाले व्यक्ति के बीच में कम से कम 25 साल का अंतर होना जरुरी है।
वे लोग जो शादीशुदा हैं और बच्चे को गोद लेना चाहते हैं उनके लिए एडॉप्शन के पात्रता संबंधी नियम इस प्रकार हैं
- 1. विवाहित लोग जो कम से कम 2 साल से एक साथ हैं।
- 2. अगर कोई विवाहित दंपति बच्चे को गोद लेना चाहता है तो पति-पत्नी दोनों की सहमति जरुरी है।
- 3. विवाहित दम्पतियों की कुल उम्र (पति और पत्नी की मिलाकर) 110 साल से अधिक नही होनी चाहिए।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (2006 में संशोधित) के तहत भारत में सिंगल पेरेंट एडॉप्शन भी होता है। यदि कोई तलाकशुदा या सिंगल व्यक्ति बच्चे को गोद लेना चाहता है तो उसकी पात्रता के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं
- 1. सिंगल महिला जो गोद लेने के सामान्य नियमों के तहत वैध हो वह बच्चा/बच्ची को गोद ले सकती है।
- 2. सिंगल पुरुष फीमेल चाइल्ड को गोद नही ले सकते हैं।
- 3. गोद लेने के लिए सिंगल पेरेंट की उम्र 55 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- 4. गोद लेने वाले व्यक्ति के पास चार से कम बच्चे होने चाहिए अगर वह दिव्यांग या सौतेले बच्चे को गोद नही ले रहे हैं तो।
जेजे एक्ट (सी एंड पीसी) एक्ट, 2015 की धारा 55 और अडॉप्शन रेगुलेशन 2017 के तहत बच्चे को गोद लेने के लिए रजिस्टर करने के समय बच्चे की अधिकतम आयु क्या हो सकती है और गोद लेने वाले की अधिकतम आयु क्या होनी चाहिए इसका पालन किया जाना अनिवार्य होता है। अगर आप 0-18 साल के बच्चे को गोद ले रहे हैं तो शादीशुदा दंपति की कम्पोजिट उम्र 90 साल से अधिक नही होनी चाहिए, वहीं सिंगल पेरेंट के लिए उम्र की सीमा 45 साल की है। 4 से 18 साल के बच्चे को गोद लेने के लिए शादीशुदा दंपति की जोड़कर उम्र अधिकतम 100 साल हो सकती है और सिंगल पेरेंट की उम्र अधिकतम 50 साल हो सकती है। 8 से 18 साल के बच्चे को गोद लेने के लिए शादीशुदा दंपति की कम्पोजिट उम्र अधिकतम 110 साल होनी चाहिए और सिंगल पेरेंट की उम्र अधिकतम 55 साल होनी चाहिए।
चाइल्ड एडॉप्शन के कानून (Laws for Child Adoption in India)
भारत में चाइल्ड एडॉप्शन के मुख्य दो कानून हैं। इन कानूनों के समग्र पालन के लिए केंद्र सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली एजेंसी सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) नोडल एजेंसी के रूप में काम करती है।
हिंदू एडॉप्शन मेंटेनेंस, 1956 (HAMA) एक्ट
इस कानून को 1956 में सरकार द्वारा बनाया गया था, यह हिन्दू कोड बिल का हिस्सा है। इस कानून के तहत हिन्दू धर्म के लोग एडॉप्शन कर सकते हैं। इस कानून में यह भी कहा गया है कि एक माता-पिता बच्चे को एडॉप्शन के लिए दूसरे माता-पिता को दे सकते हैं। यह एक्ट सिर्फ 15 साल की उम्र तक के बच्चों को गोद लेने की अनुमति देता है और यह सिर्फ हिन्दुओं पर ही लागू होता है।
जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015
बाल अधिकारों का यह कानून भारत की संसद में 2015 में पारित हुआ था। इस कानून के तहत सिंगल पेरेंट या विवाहित दंपति बच्चे को गोद ले सकते हैं।
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बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया
भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। क़ानूनी रूप से एक बच्चे को गोद लेने के लिए आपको सरकार के नियमों का पालन करना जरुरी है। सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की देखरेख में बच्चों को गोद लेने के लिए बनाये गए नियमों का पालन किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले बच्चों को एडॉप्शन के लिए देने वाली संस्था के पास रजिस्ट्रेशन करना होता है, जिसके बाद कई प्रक्रियों का पालन करते हुए कोर्ट के ऑर्डर द्वारा बच्चे को गोद दिया जाता है।
इस तरह अगर आप सक्षम हैं और किसी असहाय बच्चे का पालन-पोषक कर उसका जीवन सुधारने में अपना सहयोग देना चाहते हैं या निजी कारणों से आप बच्चा नहीं चाहते हैं अथवा बच्चा पैदा करने की योग्यता नहीं रखते हैं, तो आप भी इन नियमों-कानूनों के तहत बच्चा गोद ले सकते हैं। इससे न सिर्फ आपकी जिंदगी को एक उद्देश्य मिलेगा, बल्कि एक बच्चे को उसका सही सामाजिक अधिकार और सम्मान मिलेगा, जो कि एक देश के अच्छे नागरिक होने के नाते आपका कर्तव्य भी है।
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