रूमेटायड अर्थराइटिस जोड़ों की एक पुरानी और गंभीर बीमारी है। इसमें शरीर के जो़ड़ वाले अंग ऊतक क्षतिग्रस्त होने लगते हैं, जिस वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन होने लगती है। रूमेटॉयड अर्थराइटिस के वास्तविक कारणों का आजतक पता नहीं जगाया जा सका है। इस बीमारी में मरीज की रोगप्रतिरोधक क्षमता असामान्य हो जाती है। इसके साथ ही कई अन्य कारणो का इस बीमारी के होने का जिम्मेदार माना जाता है। चलिये विस्तार से जानें रूमेटायड अर्थराइटिस, इसके कारण, लक्षण व इसका उपचार क्या है।
आनुवांशिक कारण
- हार्मोन्स को इस बीमारी का कारण इसलिए माना जाता है कि यह बीमारी पुरूषों से अधिक महिलाओं में होता है।
- वायरस और बैक्टिरयां के संक्रमण की संभावना।
लक्षण
सामान्य जोड़ों की बीमारियों के लक्षण के साथ निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते है;
- रूमेटॉयड अर्थराइटिस में दर्द का कारण जोड़ों में और इसके आस–पास के उतकों में होने वाला सूजन होता है। इसमें दर्द की तीव्रता घटती और बढती रहती है।
- मांसपेशियों में कड़ापन या सख्ती से जोड़ों के मूवमेंट में कमी आती है, खासकर यह सुबह के समय अधिक महसूस किया जाता है जो बाद में चलकर दिन में भी इस तरह का लक्षण प्रकट होने लगता है।
- रूमेटायॅड अर्थराइटिस में जोड़ों पर लालीपन होना, त्वचा मुलायम हो जाना और जलन होना आदि लक्षण प्रकट होते है।
- प्रभावित जोड़ और इसके आस–पास के मांसपेषियों में सूजन आ जाना।
- इसमें जोड़ों के आस–पास छोठे–छोटे फोड़ और फुंसियां भी निकल जाती है। यह अधिकतर हाथ के केहुनियों पर होता है।
जांच और निदान
मरीज के मर्ज की पूरी कैफियत, बीमारी की वर्तमान स्थिति जैसे जोड़ों में होने वाले दर्द, सूजन और कड़ापन आदि को देखने के बाद डॉक्टर बीमारी के जांच और इलाज के लिए उचित सलाह देता है। इस बीमारी में किसी भी एक जांच के भरोसे इसकी पुश्टी नहीं हो पाती है। बीमारी की पुष्टी करने और तीव्रता की जांच करने के लिए मरीज को कुछ लैबोरेटरी जांच के साथ एक्स–रे भी कराना पड़ सकता है। डॉक्टर आप को निम्नलिखित जांच कराने की सलाह दे सकता है-
- मरीज के बल्ड में उपस्थिति ब्लड सेल की जांच करने के लिए टीसी यानि टोटल ब्ल्ड काउंट टेस्ट किया जा सकता है।
- इएसआर, इरथरोसाइट सेडिमेंटेशन रेट और सीआरपी, सी–क्रिएटिव प्रोटीन टेस्ट।
- सामान्यत: रूमेटायॅड अथराइटिस में रक्त में इन दोनों का स्तर काफी बढा रहता है और इससे बीमारी की तीव्रता का भी आसानी से पता चल जाता है।
- इम्यूनोलाजिक टेस्ट, इससे रक्त में एण्टीबॉडीज और रूमेटॉयड फेक्टर, एएनए, एण्टी–आरए, 33, एण्टी–सीसीपी का पता चलता है।
- किडनी, लीवर फंक्षन टेस्ट, इलेक्टरोलाइटस जैसे कैल्शियम, मैगनीशियम, और पोटैसियम आदि की जांच करना।
- उपरोक्त लैबोरेटरी जांच के अलावा डॉक्टर बीमारी की पहचान और पुष्टी करने के लिए मरीज के प्रभावित अंगों क एक्स–रे भी करवाने की सलाह दे सकता है।
- बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में जोड़ों को होने वाले नुकसान को देखने के लिए सामान्य किस्म के एक्स–रे।
- प्रारंभिक अवस्था में हडिडयों में होने वाले अपक्षय को देखने के लिए एमआरआइ किया जा सकता है।
- जोड़ों में असामान्य रूप् से फल्यूड के एक स्थान पर जमने पर इसको देखने के लिए अल्टरासाउंड भी कराया जा सकता है।
- हड्डियों में होने वाले दर्द और प्रदाह के लिए बोन स्कैनिंग टेस्ट।
- हड्डियों के मोटाई और सख्ती को मापने के लिए डेनसिटरोमेटरी टेस्ट भी किया जा सकता है जिससे ओस्टियोपोरोसिस का भी संकेत मिलता है।
- जोड़ों के अन्दर की स्थिति को देखने के लिए अर्थरोस्कोपी भी की जा सकती है। इससे रूमेटॉयड अर्थराइटिस और दूसरे किस्म के जोड़ों के दर्द का सही–सही पता चलता है।
उपचार
रूमेटॉयड अर्थराइटिस में दवा के साथ अन्य सहायक उपचार भी काफी करगर सिद्ध होता है। रूमेटायड अर्थराइटिस में दवा रहित इलाज में निम्नलिखित उपचार हो सकते है-
- फिजिकल थैरैपी: इससे जोड़ों के मूवमेंट में गति, मांसपेशियों में ताकत और दर्द में कमी आती है।
Read More Articles On Arthritis in Hindi.