
सर्दियों का मौसम आते ही जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ जाती है। हड्डियों या जोड़ों में किसी भी प्रकार के विकार के कारण हड्डियों में दर्द और सूजन की दिक्कत उत्पन्न हो जाती है। जोड़ों में दर्द के बहुत से अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे जोड़ों पर यूरिक एसिड का इकट्ठा होना। कभी कभी दर्द अनुवांशिक कारणों से भी जोड़ों में दर्द होता है तो कभी ये दर्द कमजोरी के चलते भी होते हैं। दर्द के चलते लोगों की काम करने की क्षमता पर भी काफी असर पड़ता है। यह दर्द उन जोड़ों में अधिक होता है जिन जोड़ों पर व्यक्ति ज्यादा निर्भर रहता है।
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क्या है यह रोग
जोड़ों में दर्द एवं सूजन के साथ साथ इस रोग में भिन्न भिन्न जोड़ों की रचना में अंतर आ जाता है तथा जोड़ों के कार्य में विकार आ जाता है। घुटने और कूल्हे प्रभावित होने पर रोगी चलने में असमर्थ हो जाता है जिसके कारण उसका वजन शुगर कोलेस्ट्रोल एवं रक्तचाप भी बढ़ सकता है और अन्य बीमारियॉ भी हावी होने लगती हैं।
क्या है जोड़ों में दर्द का कारण
आराम पसंद लोगों को या अपनी क्षमता से अधिक काम करने वालों को यह रोग जल्दी होता है।बासी अन्न, अपच पैदा करने वाला खाना जैसे छोले,चना,मटर आदि का अधिक सेवन करना, ठंडी सीलन भरी जगहों में रहना, अधिक चिंता में पड़े रहना इसके प्रमुख कारण हैं।आयुर्वेद के अनुसार इन कारणों से दर्द का प्रमुख दोष वात प्रभावित हो जाता है जिससे संधियों की झिल्लियों में बदलाव आने लगता है तथा झिल्ली कमजोर होने लगती है। टेढे मेढ़े बैठने वाले व्यक्ति,लम्बे समय तक पालथी या एक ही आसन पर बैठना,कमर गर्दन झुकाकर कंप्यूटर फोन में लगातार एक ही अवस्था में कार्य करते रहना संधियों में विकृति ला देता है। हाथ पैर घुटने तथा अन्य अंग टेढे मेढ़े और सूजनयुक्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त यूरिक एसिड का बढ़ना, आमवात आदि कारण भी जोड़ों के दर्द के प्रमुख कारणों में से हैं।
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जोड़ों के दर्द से बचने के कुछ प्राकृतिक उपाय:
- जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए मरीज़ को हमेशा गुनगुने पानी से नहाना चाहिए।
- ऐसे आहार लें जिनसे कब्ज़ होने का डर ना हो।
- फास्ट फूड से तौबा करें और तला भुना आहार भी कम खायें।
- पाचन क्रिया को ठीक रखने के लिए आप त्रिफला चूर्ण का प्रयोग भी कर सकते हैं।
- प्रातः प्राणायाम में कपालभाति, भास्त्रिका, अनुलोम विलोम जैसे व्यायाम करें।
- सुबह शाम 15 मिनट तक गरम पानी में पैर डालें और ध्यान रखें कि ऐसा करते समय आपके पैरों में हवा ना लगे।
- इस रोग का उपचार करने में तुलसी बड़ी कारगर भूमिका निभाती है क्योंकि तुलसी में वात विकार को मिटाने का प्राकृतिक गुण होता है। तुलसी का तेल बनाकर दर्द वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
- ज्यादा तकलीफ होने पर नमक मिले गरम पानी का सेंका करें व हल्के गुनगुने सरसों के तेल की मालिश करें।
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