रमजान का पाक महीना गत 26 मई से शुरू हो गया है। मुस्लिम धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार ईद से पहले रमजान का महीना आता है। इस शुभ माह में सभी लोग एक दूसरे को रहमतों और बरकतों की दुवाओं के साथ ही अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों को मुबारकबाद भी दे रहे हैं। जब तक ईद नहीं आती तब तक ये पूरा महीना एक उत्सव की तरह चलता है। लोग अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ बांटकर आनंद लेते हैं।
ऐसे खास मौकों पर जब घर में पकवान बनते हैं और जब पकवान मीठे बने तो डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है। क्योंकि घर में आने वाला कोई ना कोई थोड़ा बहुत खिला ही देता है। लेकिन ऐसे में मधुमेह के रोगी को खुद ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योंकि अगर कोई मुश्किल आ गई तो उस वक्त कोई दुख बांटने नहीं आएगा।
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रोज के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
रोजे के दौरान ग्लूकोज में अचानक गिरावट होने से हाइपोगिलेसेमिया हो सकती है इसमें मरीज को चक्कर और बेहोशी आने लगती है। हाथ-पांव ठंडे पर जाते हैं। रोजे के दौरान मरीज के खून में शुगर की अधिक मात्रा अधिक हो सकती है जिसे हाइपरगिलेसेमिया कहा जाता है। जिसमें मरीजों के आंखों के सामने धुंधलापन, बेहोशी, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर मरीज को रोजे तोडऩे की सलाह भी दे सकता है। अगर डॉक्टर ऐसा कहता तो बिल्कुल भी पीछे ना हटे। क्योंकि पहले आत्मा है और फिर परमात्मा है।
इन बातों का भूलकर भी ना करें नजरअंदाज
- जिन फलों में मीठा अधिक हो उनका सेवन ना करें।
- जितनी भूख हो उतना ही खाएं, रोजा समझकर ज्यादा ना खाएं।
- मीठे चीजों को एकदम दूरी बनाएं रखें।
- अपने आहार में रसभरे फल, सब्जियां, जूस और दही में चीनी का सेवन ना करें।
- भोजन और सोने के बीच दो घंटे का अंतराल रखें।
- सोने से पहले किसी भी कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन ना करें।
- अधिक तले भोजन से परहेज करें, रोटी और चावल में स्टार्च होता है इसलिए इनका भोजन भी कम ही करें।
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