यह आसन आरामदायक आसन भी होता है, क्योंकि शव का अर्थ है मृत, यानी शरीर शव के समान हो जाता है। इसलिए ही इस आसन को शवासन के नाम से जाना जाता है। यह दो शब्दों के योग से बना है, शव+आसन = शव आसन या शवासन। अगर इस आसन को नियमित 15-20 मिनट किया जाये तो दिमाग शांत हो जाता है और उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है। यह एक शिथिल करने वाला आसन है और शरीर, मन, और आत्मा को ऊर्जा प्रदान करता है। शवासन एक मात्र ऐसा आसन है, जिसे हर आयुवर्ग के लोग कर सकते हैं। आइये जानते हैं कि यह आसन किस विधि से किया जाता है और इसके क्या लाभ होते हैं।
कैसे करें शवासन
इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों में ज्यादा से ज्यादा अंतर रखें। पैरों के पंजे बाहर और एडि़यां अंदर की तरफ होनी चाहिए। दोनों हाथों को शरीर से लगभग एक फिट की दूरी पर रखें। हाथों की अंगुलियां मुड़ी हुई हों और गर्दन को सीधा रखें, आंखों को भी बंद रखें। शवासन में सबसे पहले पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक का भाग ढीला छोड़ देते हैं। पूरा शरीर ढीला छोड़ने के बाद सबसे पहले मन को श्वांस-प्रश्वास के ऊपर लगाते हैं और मन के द्वारा यह महसूस करते हैं कि दोनों नासिकाओं से श्वास अंदर जा रही है तथा बाहर आ रही है।
जब श्वांस अंदर जाती है तब नासिका के अग्र में हलकी-सी ठंडक महसूस होती है और जब हम श्वांस बाहर छोड़ते हैं तब हमें गरमाहट महसूस होता है। इस गर्माहट व ठंडक को अनुभव करें। इस तरह नासाग्रस से क्रमश: सीने तथा नाभि पर ध्यान केंद्रित करें। मन में उल्टी गिनती गिनते जाएं। 100 से लेकर 1 तक। यदि गलती हो जाए तो फिर से 100 से शुरू करें। ध्यान रहे कि आपका ध्यान सिर्फ शरीर से लगा हुआ होना चाहिए, मन में चल रहे विचारों पर नहीं। इसके लिए सांसों की गहराई को महसूस करें।
शवासन के फायदे
इस आसन को नियमित करने से श्वांस की स्थिति में हमारा मन शरीर से जुड़ा हुआ रहता है, जिससे शरीर में किसी प्रकार के बाहरी विचार उत्पन्न नहीं होते, यानी नकारात्मक विचार नहीं आते। इस कारण से हमारा मन पूर्णत: आरामदायक स्थिति में होता हैं, तब शरीर स्वत: ही शांति का अनुभव करता है। आंतरिक अंग सभी तनाव से मुक्त हो जाते हैं, जिससे कि रक्त संचार सुचारु रूप से प्रवाहित होता है। और जब रक्त सुचारु रूप से चलता है तो शारीरिक और मानसिक तनाव घटता है। खासकर जिन लोगों को उच्च रक्तचाप और अनिद्रा की शिकायत है, उनके लिए यह बहुत ही फायदेमंद है।
थोड़ी सावधानी भी जरूरी
इस आसन का फायदा तभी है जब इसे करने दौरान आपकी आंखें बंद हों। हाथ को शरीर से एक फिट की दूरी पर व पैरों में एक से डेढ़ फीट की दूरी जरूरी है। इसमें शरीर को ढीला छोड़ देना चाहिए। श्वांस की स्थिति में शरीर को हिलाना नहीं चाहिए।
यह मानसिक शांति और शुकून प्रदान करने वाला आसन है, इसे करने से मन और दिमाग दोनों शांत रहते हैं।
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