
पीएसएम मतलब प्री मेंस्रूअल सिंड्रोम और गर्भावस्था दोनों ही महिलाओं को होने वाली अवस्थाएं हैं जो महिलाओं में लगातार होने वाले हार्मोंस परिवर्तन के बाद आरंभ होती है। पीएमएस में महिलाओं में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं।
![PMS and pregnancy]()
क्या है पीएमएस और गर्भावस्था
- पीएमएस-महिलाओं में महावारी से पहले एक से दो सप्ताह के दौरान होने वाला शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों में एक लक्षण पीएमएस सिंड्रोम यानी प्री मेंस्रूअल सिंड्रोम कहा जाता है।
- ये लक्षण माहवारी से पहले ही दिखाई देते है और एक बार माहवारी की शुरुआत होने के बाद जल्द ही गायब हो जाते है। दरअसल, पीएमएस पहली बार शुरू होने वाली महामारी के लक्षण है। जब किसी लड़की को पहली बार माहवारी होती है तो उसमें कुछ हार्मानल बदलाव आते हैं जो कि माहवारी आरंभ होने से लगभग 2 सप्तासह पहले आते हैं। इन आने वाले बदलावों को ही पीएमएस कहा जाता है।
- गर्भावस्था - गर्भावस्था के बाद ही कोई महिला संपूर्ण होती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाएं खुद तो नया जन्म लेती ही है साथ ही नवजीवन का भी भार उठाती है। गर्भावस्था आमतौर पर नौ माह की होती है। गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का विकास होता है और गर्भ के भीतर ही शिशु गर्भवती महिला के माध्यम से सांस लेता है और अपना भोजन ग्रहण करता है।
पीएमएस और गर्भावस्था के लक्षण
पीएमएस- लड़कियों में प्री मेंस्रूअल सिंड्रोम के लक्षण उनकी प्रकृति और स्वभाव पर निर्भर करते हैं। लेकिन आमतौर पर चिड़चिड़ापन, थकान और सूजन ही पीएमएस के मुख्य लक्षण है। पीएमएस के दौरान अनुभवों में कई और लक्षण जैसे
- शारीरिक रूप से बदलाव आना और अचानक वजन बढ़ जाना
- शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे पैर और एडि़यों में सूजन होना
- गर्भाशय में ऐंठन या दर्द की शिकायत होना
- सिर दर्द, चक्कर की शिकायत और हर समय थकान होना
- पीठदर्द, मांसपेशियों में और शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द की शिकायत होना
- लगातार मूड में बदलाव होना, उदास रहना, चिड़चिड़ापन होना
- अधिक भूख लगना, चीजें रखकर भूलना
इत्यादि पीएमएस के लक्षण है। महावारी पूर्व सिंड्रोम में आहार का काफी ख्याल रखना होता है। साथ ही विटामिन की आपूर्ति करना भी जरूरी है।
गर्भावस्था- गर्भवती महिलाओं में लक्षण एक से हो यह जरूरी नहीं। उनकी कार्यशैली, वातावरण और सोच पर गर्भावस्था के लक्षण बहुत निर्भर करते हैं।
- स्वस्थ महिला को प्रतिमाह माहवारी निश्चित समय या उसके आसपास होती है लेकिन गर्भधारण करते ही माहवारी आनी बंद हो जाती है।
- गर्भधारण के प्रारंभिक लक्षणों में जी मिचलाना, उल्टीम होकना, बार-बार पेशाब जाना, इत्यादि शामिल है।
- स्तनों में गर्भावस्था के दौरान दर्द होने लगता है। हालांकि ये दर्द माहावारी से पहले भी होता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान स्तान कोमल भी हो जाते हैं।
- हार्मोंस के निरंतर बदलाव के कारण तनाव होने लगता है जिससे कुछ महिलाओं को सिर दर्द की शिकायत होने लगती है।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को मूड लगातार बदलता रहता है।
- अधिक थकान महसूस करना, कब्ज होना भी गर्भावस्था के संकेत है।
- कई बार गर्भधारण के बाद नजला-जुकाम रहने लगता है और हर समय कफ जमा रहने की शिकायत रहती है।
- कुछ महिलाओं का गर्भधारण करते ही मुंह का स्वाद बदल जाता है। ये हार्मोंस में हो रहे लगतार बदलाव के कारण होता है।
- गर्भधारण के बाद कई महिलाओं को मिचली और उल्टी तो आती ही है साथ ही अचानक उनका मोटापा बढ़ने लगता है। हर समय गैस बनती है और खट़टी डकारें आनी लगती है।
- चक्कर आना, बेहोशी होना, बेवजह बार-बार मूड बदलना, नाराजगी दिखाना, कब्ज होना इत्यादि गर्भावस्था के लक्षण है।
अगर ये कहा जाए कि गर्भावस्था की शुरूआत पीएमएस पर निर्भर करती है तो कुछ गलत नहीं होगा। हालांकि इनकी स्वरूप में बहुत अंतर है लेकिन माहवारी के बाद ही महिला का गर्भधारण करना सुनिश्चिंत होता है। वैसे भी इन दोनों ही अवस्थाओं के लक्षण आपस में काफी मिलते-जुलते हैं। दोनों ही अवस्थाओं में विटामिन की आपूर्ति करना जरूरी होता है नहीं तो कमजोरी आने का डर रहता है।
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