
रजोनिवृति, यह अधिकतर उन महिलाओं को होता है जिनकी उम्र 45 से 50 वर्ष होती है। इसमें महिलाओं को मासिकधर्म आना बंद हो जाता है। इसे मनोपॉज भी कहते है। यदि किसी महिला को 6 महीने तक मासिकधर्म न आए तो मान लेना चाहिए कि उसे रजोनिवृति हो गई है।
रजोनिवृति होने से कई महिलाओं को ऐसा भी लगने लगता है कि रजोनिवृति होने के बाद उनके बुढापे का आरम्भ और सौंदर्य का अंत होना शुरू हो गया है लेकिन ये सभी प्रकार की शंकाएं गलत है। अगर अपने खान-पान तथा दिनचर्या पर ध्यान दिया जाए तो उनका स्वास्थ्य और सौंदर्य न केवल बना रहता है बल्कि कभी-कभी तो वह पहले से भी ज्यादा अच्छी और आकर्षक लगने लगती है। आइए हम आप को बताते है कुछ ऐसे ही घरेलू उपायो के बारें में। लेकिन सबसे पहले हम इसके लक्षणों के बारे में जान लेते है।
लक्षण
- जब रजोनिवृति होती है तो उस महिला को गर्मी अधिक लगने लगती है तथा उसके शरीर से पसीना निकलने लगता है।
- महिला की नींद पूरी नही आती है तथा उसे डिप्रेशन हो जाता है।
- दिल की धड़कन बढ़ जाती है और उसके हाथ-पैरों पर चीटियां सी रेंगने जैसा अनुभव होता है।
- महिला की अत:स्रावी ग्रंथियां प्रभावित हो जाती है जिस कारण से उसकी आवाज भारी हो जाती है।
- रजोनिवृति महिला मोटी होने लगती है।
- महिला के बाल झड़ने लगते है, त्वचा रूखी हो जाती है और उसे थकावट भी होने लगती है।
रजोनिवृति के लिए घरेलू नुस्खे
- रजोनिवृति होने पर महिला को विटामिन 'सी', 'डी', 'ई' और कैल्शियम युक्त भोजन करना चाहिए जिसमें फल, अंकुरित अन्न, सब्जियां, ड्राईफ्रूट अधिक मात्रा में हो।
- रजोनिवृति के दौरान फलों का रस अधिक मात्रा में लेना चाहिए। चुकन्दर और गाजर का रस भी बहुत अधिकलाभदायक होता है।
- रजोनिवृति महिला को दूध में तिल मिलाकर प्रतिदिन पीने से बहुत अधिक लाभ्ा मिलता है।
- रजोनिवृति महिला को दूषित भोजन, मैदा, मिर्च-मसाले तथा चीनी से बनी चीजों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।
- एक गिलास गाय के दूध में एक चम्मच गाजर के बीज डालकर और उबालकर पीने से रजोनिवृति में फायदा होता है।
- यदि रजोनिवृति महिला के पेट में कब्ज बन रही हो तो उसे अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए और इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए।
- सुबह के समय में महिलाओं को सैर के लिए जाना चाहिए तथा कई प्रकार के व्यायाम भी करने चाहिए जैसे तैरना आदि।
- रजोनिवृति होने पर मुश्किलें न आए उसके लिए कई प्रकार के योगासन तथा योगक्रियाएं है जिनको करने से यह ठीक हो जाता है। जैसे
- प्राणायाम, योगमुद्रासन, ध्यान तथा योगनिद्रा आदि।
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