मधुमेह को लेकर लोगों में कई भ्रम हैं। हालांकि इसके कुछ कारण निश्चित हैं लेकिन इनको डायबिटीज होने का मुख्य कारण नहीं कहा जा सकता है। कुछ लोगों को यह भ्रम होता है कि शुगर डायबिटीज का प्रमुख कारण है, जबकि यह सच्चाई नहीं है। आइए हम आपको मधुमेह से संबंधित कुछ मिथक के बारे में बताते हैं।
मिथ – मधुमेह का असली कारण शुगर है।
तथ्य – शुगर के बारे में अक्सर यही कहा जाता है कि वह डायबिटीज का प्रमुख कारण है, जबकि ऐसा नहीं है। टाइप-1 डायबिटीज इंसुलिन बनाने वाली 90 प्रतिशत से अधिक कोशिकाओं के समाप्त होने से होती है जो पैंक्रियाज में मौजूद होती है। इसका संबंध सीधे शुगर से नहीं होता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है जो कभी-कभार सामान्य स्तर से भी अधिक मात्रा में होता है लेकिन, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण इसका शरीर पर बुरा असर नहीं पडता है।
मिथ – मधुमेह के मरीज मीठा नहीं खा सकते हैं।
तथ्य – मधुमेह रोगियों में सबसे बडा डर मिठाई को लेकर होता है। मधुमेह के रोगी कुछ हद तक अपने संतुलित भोजन के हिस्से के तौर पर मीठा खा सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपनी खुराक में कार्बोहाइड्रेट की कुल मात्रा को नियंत्रित करना होगा। मिष्ठान से सिर्फ कैलोरी मिलती है कोई पोषण नहीं। इसलिए मीठे को सीमित मात्रा में लीजिए, लेकिन उसे बिल्कुल दरकिनार मत कीजिए।
मिथ – मधुमेह एक निश्चित आयु में होता है।
तथ्य – कुछ लोगों को यह संदेह होता है कि मधुमेह की समस्या 40 की उम्र पार करने के बाद ही होता है। बच्चों और युवाओं को नहीं होता । जबाकि, बचपन में होने वाला रोग वयस्कों से अलग होता है। बच्चों को जब मधुमेह होता है तो उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है जिसके कारण बच्चे दुबले होते हैं।
मिथ – मोटापे के कारण होता है डायबिटीज।
तथ्य - यह भी आम धारण है कि मोटापा के कारण मधुमेह होता है। जबकि, हर मोटे लोग मधुमेह से ग्रस्त नही होते हैं। लेकिन मोटे लोगों को मधुमेह की चपेट में आने की संभावना ज्यादा होती है। वजन को सामान्य रखने से कुछ हद तक मधुमेह से बचाव किया जा सकता है।
मिथ – डायबिटीज का उपचार दवाइयों से हो सकता है।
तथ्य – मधुमेह जीवन पर्यंत रोग है क्योंकि अभी तक इसका स्थायी उपचार उपलब्ध नहीं हो पाया है। हालांकि, दवाईयों और इंसुलिन के इंजेक्शन से इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। उचित तरीके से रहन-सहन और खान-पान से डायबिटीज के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
मिथ – मधुमेह रोगियों को आराम करना चाहिए।
तथ्य - पुराने समय में यह मान्यता थी कि डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। जबकि, नए शोध के अनुसार डायबिटीज के मरीज को सक्रिय रहना चाहिए और दिन में कम से कम 30 से 40 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम करने से वजन नियंत्रित रहता है और ग्लूककोज पर नियंत्रण रहता है।
मिथ – पेशाब में ग्लूलकोज न आने पर रोग समाप्त हो जाता है।
तथ्य - मधुमेह के कुछ मरीजों को लगता है कि पेशाब में ग्लूकोज न आने का मतलब है कि डायबिटीज समाप्त हो गया। जबकि, मधुमेह पर नियंत्रण होने का मतलब है कि खून में ग्लूकोज की कमी होना ना कि पेशाब में। अत: नियमित रूप से ग्लूकोज के स्तर की जांच कराते रहना चाहिए।
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