पीलिया या हेपेटाइटिस से संबंधित इन मिथकों के बारे में जानें

पीलिया को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम हैं, जैसे पीलिया जल जनित संक्रमण है, पीलिया लीवर की समस्‍याओं के कारण होता है, ज्‍यादा सोना पीलिया में बहुत आम बात है और न जाने क्‍या-क्‍या। आइए इस आर्टिकल के माध्‍यम से पीलिया या हेपेटाइटिस से संबंधित ऐसे की कुछ मिथ और तथ्‍य के बारे में जानकारी लेते हैं।
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पीलिया या हेपेटाइटिस से संबंधित इन मिथकों के बारे में जानें


पीलिया या हेपेटाइटिस एक आम यकृत विकार हैं, जोकि कई असामान्य चिकित्सा कारणों से हो सकता हैं। पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिरदर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं। त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। इसमें मल पीला और मूत्र गाढ़ा हो जाता है। पीलिया को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम हैं, जैसे पीलिया जल जनित संक्रमण है, पीलिया लीवर की समस्‍याओं के कारण होता है, ज्‍यादा सोना पीलिया में बहुत आम बात है और न जाने क्‍या-क्‍या। आइए इस आर्टिकल के माध्‍यम से पीलिया या हेपेटाइटिस से संबंधित ऐसे की कुछ मिथ और तथ्‍य के बारे में जानकारी लेते हैं।  

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मिथ : पीलिया पूरी तरह से जल जनित संक्रमण है।

तथ्‍य : जल जनित संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस ए और ई पीलिया के कारण होता है, लेकिन ये केवल कारण नहीं हो सकता हैं। हेपेटाइ‍टिस बी और सी, मलेरिया, लेप्‍टोस्‍पायरोसिस भी पीलिया का कारण है और वे जल जनित नहीं है। पित्‍त की पथरी या कैंसर के कारण पित्‍त नली में अवरोध भी पीलिया की ओर ले जाता है।


मिथ : पीलिया लीवर की समस्याओं के कारण होता है।

तथ्‍य : हमेशा ऐसा नहीं होता है। रक्त और पित्त के प्रवाह में रुकावट और लाल रक्त कणों का अतिरिक्त टूटना भी पीलिया [प्रतिरोधी पीलिया के रूप में जाना जाता है] का कारण बन  सकता है।


मिथ : पीलिया में, खुजली का मतलब है कि आप ठीक हो रहे हैं।

तथ्‍य : प्रतिरोधात्मक पीलिया अक्सर तीव्र खुजली के साथ होता है। लेकिन यह ठीक होने का संकेत नहीं है।


मिथ : अतिरिक्त नींद पीलिया के दौरान सामान्य है।

तथ्‍य : हालांकि पीलिया के दौरान थकान आम बात है, लेकिन अत्यधिक उनींदापन या नींद का बदलता पैटर्न [दिन में तंद्रा और रात में अनिद्रा] सामान्य नहीं है। यह लीवर फेल्‍योर का चेतावनी संकेत हो सकता है, जो आपातकालीन चिकित्सा देखभाल की जरूरत को इंगित करता है।


मिथ : एक बार पीलिया का पता चलने पर, आपको आगे की जांच की जरूरत नहीं है क्‍योंकि इसका कोई इलाज नहीं है।

तथ्‍य : गंभीरता और कारणों की जानकारी के लिए लीवर फंग्‍शन टेस्‍ट की मदद से पीलिया का मूल्‍यांकन करना महत्‍वपूर्ण होता है। केवल तभी आप पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। अक्‍सर, पीलिया के कारणों का इलाज होता है। लेकिन अगर आप आगे की जांच नहीं करेंगे तो समस्‍या की जड़ तक नहीं पहुंच पायेंगे और कारण बिना इलाज के रहने के कारण लीवर की क्षति [लीवर के सिरोसिस] या अचानक से लीवर के कामों बिगड़ना जैसी जीवन को खतरे में डालने वाली समस्‍याओं का खतरा पैदा हो सकता है।


मिथ : पीलिया से ग्रस्‍त व्यक्ति बिना मसाले और बहुत कम मात्रा में भोजन करना चाहिए। साथ ही मांसाहारी भोजन खाने से बचना चाहिए।

तथ्‍य : आपको बेस्‍वाद खाना खाने की आवश्‍यकता नहीं है। वास्‍तव में अनुचित पोषण और पोषक तत्‍वों की कमी के कारण मतलीकी समस्‍या बढ़ जाती है।
डॉक्‍टर पीलिया के दौरान तेज फ्लेवर वाले खाने की सलाह नहीं देते हैं क्‍योंकि इससे मतली की समस्‍या हो सकती है। इसलिए आपको कम मसाले और संतुलित आहार वाली नार्मल डाइट खाने की जरूरत होती है। यह शरीर को सही पोषक तत्‍व प्रदान करने के साथ लीवर को तेजी से ठीक करने में मदद करता है। छोटे और बार-बार लेने से अधिकांश रोगियों को मतली और उल्‍टी से पीड़ि‍त होने पर भी पेट में भोजन रखने में मदद मिलती है। यह समग्र दैनिक कैलोरी की मात्रा में सुधार करता है।

 

मिथ : पीलिया से ग्रस्‍त वयस्‍क को एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ जैसे हल्‍दी और अदरक लेने चाहिए। लेकिन हल्‍दी के पीले रंग के कारण पीलिया के लक्षण बढ़ सकते हैं।

तथ्‍य : ऐसा कोई सबूत नहीं है जो इस बात को साबित करें कि इन पदार्थों के सेवन से लीवर की रिकवरी होती है। इसके अलावा, हल्‍दी का पीला रंग बिलीरूबिन को नहीं बढ़ाता है। इसलिए कम मात्रा में इसके सेवन की सलाह दी जाती है और इसके कोई नुकसान नहीं है।


मिथ : गन्ने का रस पीलिया का सबसे अच्छा इलाज है।

तथ्‍य : हालांकि गन्ना कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है, जो आपके आहार में पोषक तत्‍वों को बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन यह निश्चित रूप से उपचार विकल्प नहीं है।


मिथ : नवजात को पीलिया होने पर पानी पिलाना चाहिए।

तथ्‍य : माना जाता है कि जब एक नवजात को पीलिया होता है, तो इसका यह मतलब है कि बच्चे उसकी मां के दूध के साथ समायोजन नहीं है। इसकी जगह बच्चे को पानी पिलाया जाना चाहिए। लेकिन तथ्‍य यह है कि मां का दूध सबसे अच्छा, सुरक्षित और एक नवजात शिशु के लिए पूरा भोजन विकल्प है। नवजात को पानी पिलाने से पीलिया खराब हो सकता है और साफ न होने पर अन्‍य संक्रमण का कारण भी हो सकता है। इसलिए नवजात के लिए केवल स्‍तनपान जारी रखना महत्‍वपूर्ण होता है।  


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Image Source : .livestrongcdn.com

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