
गांजे को सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर गांजे की सही खुराक ली जाये तो वह सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है। गांजे की सही खुराक लेने पर इससे सेहत से जुड़े कई फायदे होते हैं। गांजा बेहतरीन पेनकिलर का काम करता है, इतना ही नहीं इससे ब्रेन स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों से भी लड़ने में मदद मिलती है। आइए जानें नुकसानदायक माने जाने वाले गांजे के सेहत से जुड़े फायदों के बारे में।
गांजा के स्वास्थ्य लाभ
भांग, चरस या गांजे (मारिजुआना) की लत शरीर के लिए नुकसानदायक होती है यह बात तो लगभग हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर गांजे की सही खुराक ली जाये तो वह सेहत के लिए लाभकारी हो सकत है। यह हमें कई तरह की बीमारियों से बचाता है। इस बात की पुष्टि विज्ञान ने भी की है। आइए गांजे से जुड़े स्वास्थ्य लाभों की जानकारी लें।
दर्द निवारक
शुगर से ग्रस्त ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की नर्व्स को नुकसान होता हैं और इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के अनुसार नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में गांजा आराम देता है। एक अन्य शोध के अनुसार गांजा पीने से उन मरीजों को पुराने पड़ चुके दर्द से काफी राहत मिल सकती है जिनकी नर्व्स डैमेज हो चुकी हैं। ऐसे दर्द के लिए असरदायक दवा की कमी है। इस तरह के दर्द से प्रभावित कुछ मरीजों का कहना है कि उनके रोग के जो लक्षण हैं, उसमें गांजा लाभकारी सिद्ध हुआ है।
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दिमाग की रक्षा
गांजा दिमाग के लिए भी बहुत अच्छा होता है। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह साबित किया है कि गांजा स्ट्रोक की स्थिति में ब्रेन को नुकसान से बचाता है। गांजा स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देता है। साथ ही नींद और बेचैनी के मामलों में भी गांजा के इस्तेमाल से सुधार नजर आया। इसके अलावा एक अन्य शोध के अनुसार गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से को कोशिकाओं को जोड़ते हैं।
हेपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से राहत
थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और डिप्रेशन, ये हेपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं। यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के अनुसार गांजा की मदद से 86 प्रतिशत मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके। माना गया कि गांजा ने इसके साइड इफेक्ट्स को कम किया।
मोतियाबिंद से राहत
गांजा का उपयोग आंखों के रोग मोतियाबिंद को रोकने और इसके इलाज के लिए किया जाता है। इस बीमारी में आंख की पुतली पर दबाव बढ़ने लगता है, ऑप्टिक नर्व्स को नुकसान होता है और दृष्टि को नुकसान हो सकता है। अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार गांजा ग्लूकोमा के लक्षण दूर करता है। गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है।
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कैंसर पर असर और इम्यूनिटी बढ़ाये
गांजा कैंसर से लड़ने में सक्षम होता है। अमेरिका में हुए एक शोध के अनुसार गांजा में पाया जाने वाला कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर की कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं। यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं।
कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लीवर कैंसर का सफल इलाज होता है। इसके अलावा कभी-कभी हमारी इम्यूनिटी रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगती है। इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है। इसे ऑटोइम्यून डिजीज कहते हैं। 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी के अनुसार गांजा में मिलने वाला टीएचसी, इंफेक्शन फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है। तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को गांजा की खुराक दी जाती है।
Image Source: The Daily Dot&Chicago Inno&Cygnus hospitals
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