लाइफस्टाइल और खानपान के कारण फेफड़े के रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। हर साल लाखों लोग फेफड़े सम्बन्धित बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। लेकिन केवल ये दो कारण ही इस बीमारी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इस बीमारी के बारे में सबसे खास बात यह है कि कई मरीजों को इस बीमारी के बारे में शुरूआत में पता भी नहीं चल पाता है। लोग सामान्यतया खांसी, सीने में दर्द, कफ, बलगम आदि को सामान्य बीमारी की तरह लेते हैं। कई बार तो यही टीबी और फेफड़ों के कैंसर का कारण भी बनता है। इससे जुड़े लक्षणों के बारे में हम आपको जानकारी देते हैं।
फेफड़ों की बीमारी के लक्षण
लगातार खांसी आना
फेफड़ों की समस्या होने पर लगातार खांसी आती है। खांसी एक प्रतिरक्षा प्रणाली है जो म्यूकस, यानी जहरीले पदार्थों और बाहरी तत्वों से श्वसन यानी रेस्पिरेटरी नली को साफ करती है। लेकिन यदि खांसी अधिक आये तो यह फेफड़ों की बीमारी के संकेत हैं। लगातार खांसी आने की वजह से बुखार, डिस्पिनिया, म्यूकस में खून आदि की समस्या हो सकती है।
सांस लेने में समस्या
सांस लेने में समस्या को रेस्पिरेटरी फेल्योर भी कहते हैं, यह फेफड़ों की गंभीर बीमारी का एक महत्वपूर्ण संकेत है। एक्यूट रेस्पिरेटरी फेलियोर अत्यधिक संक्रमण, फेफड़ों की सूजन, धड़कन के ठहरने या फेफड़े की गंभीर बीमारी के कारण हो सकता है। फेफड़े जब खून को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते और कार्बन डाइऑक्साइड को सामान्य तौर पर हटा नहीं पाते तो गंभीर समस्या होती है, जिसके परिणाम स्वरूप सांस लेने में समस्या होती है।
छाती में दर्द होना
फेफड़ों की बीमारी होने पर सामान्यत: छाती में दर्द होना होता है। यह छाती की मांसपेशियों और हडि्डयों में किसी समस्या की ओर संकेत करता है। यह समस्या छोटी और गंभरी भी हो सकती है। कुछ मामलों में इसके कारण आदमी की जान भी जा सकती है। यदि छाती में दर्द के साथ खांसी और बुखार भी हो, तो यह संक्रमण की ओर संकेत करता है।
सांस लेने में खरखराहट
फेफड़े सांस लेने में मदद करते हैं। यदि सांस लेने के दौरान खरखराहट या जोर-जोर से आवाज आने लगे तो यह फेफड़ों की बीमारी के संकेत हैं। जब श्वसन मार्ग संकुचित होता है, ऊतकों में सूजन या अत्यधिक स्राव या म्यूकस आदि के कारण सांस लेने में समस्या आती है तब यह स्थिति होती है। इसे वीजिंग भी कहते हैं जो फेफड़ों की बुरी स्थिति की ओर संकेत करता है।
खांसी के साथ खून आना
फेफड़ों की बीमारी होने पर खांसी के साथ खून भी आ सकता है। खून के के थक्के, म्यूकस के साथ खून, या फिर सिर्फ खून आ सकता है। यह अत्यधिक खांसी के कारण हो सकता है जो फेफड़ों की गंभीर बीमारी की ओर संकेत कर सकता है। इसे हीमोपटाइसिस कहते हैं जो कि फेफड़े की गंभीर बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है।
त्वचा का बदलना
इसका असर पुरुषों की त्वचा पर भी पड़ता है, इसकी वजह से व्यक्ति की त्वचा नीली या बैंगनी रंग की हो जाती है। इस स्थिति को साइनोसिस कहते हैं। यह स्पष्टतौर पर होठों और नाखून के इर्द-गिर्द दिखाई पड़ता है। यह स्थिति तब आती है जब खून को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। साइनोसिस अचानक से दिखाई दे सकता है जो तेज गति या धीमी गति से फेफड़े की गंभीर बीमारी की ओर संकेत करता है।
सूजन की समस्या
फेफड़ों की बीमारी के कारण हाथों, पैरों और एड़ी में सूजन हो सकती है। हालांकि सामान्यतया सूजन दिल की बीमारी के कारण होती है। इसके साथ छोटी सांस भी आती है। अक्सर दिल और फेफड़े दोनों समस्याओं के लक्षण एक जैसे होते हैं क्योंकि ये दोनों बीमारियां एक-दूसरे अंगों को प्रभावित करती हैं।
फेफड़े की बीमारी केवल बूढ़े लोगों को ही नहीं प्रभावित करती है, वास्तव में फेफड़े की बीमारी और फेफड़े के संक्रमण नवजात बच्चे से लेकर हर उम्र तक के व्यकित् को हो सकती है। नवजातों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण फेफड़ों की बीमारियां हैं।
Read More Articles On Mens Disease In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version