लोवर बैक पेन से आराम दिलाती हैं ये 3 एक्सरसाइज, चलने में भी होती है आसानी

लोवर बैक पेन जिसे लुम्‍बर बैक पेन या लो बैक पेन भी कहते हैं आज के समय में एक ऐसी समस्या बन गई है जिससे न सिर्फ बड़े बुजुर्ग बल्कि युवा और बच्चे भी परेशान हैं।
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लोवर बैक पेन से आराम दिलाती हैं ये 3 एक्सरसाइज, चलने में भी होती है आसानी


लोवर बैक पेन जिसे लुम्‍बर बैक पेन या लो बैक पेन भी कहते हैं आज के समय में एक ऐसी समस्या बन गई है जिससे न सिर्फ बड़े बुजुर्ग बल्कि युवा और बच्चे भी परेशान हैं। एक्सरसाइज के अभाव और खराब लाइफस्टाइल के चलते यह समस्या बढ़ती जा रही है। जो लोग आफिस जॉब करते हैं या लगातार बैठकर काम करते हैं उन्हें पीठ के निचले हिस्से में दर्द की ज्यादा समस्या होती है। जबकि प्राईवेट गाड़ियों जैसे ट्रेन, बस या कार में सफर करने के दौरान भी लोवर बैक पेन हो जाता है। यह दर्द जब होता है तो बहुत हल्की शुरुआत के साथ होता है लेकिन फिर कुछ ही मिनट बाद यह इतना तेज हो जाता है कि असहनीय हो जाता है। आज हम आपको इससे निपटने के लिए कुछ एक्सरसाइज बता रहे हैं जो वाकई में बहुत फायदेमंद हैं।

लो बैक पेन के लक्षण

जिस व्‍यक्ति को लो बैक पेन की शिकायत होती है उसे सीधा खड़े होने में काफी परेशानी होती है। वह ज्‍यादा देर तक सीधा नहीं खड़ा हो पाता। इस तरह के रोगी को चलने में भी परेशानी होती है। यह अचानक होने वाला दर्द है। कई बार यह खेल के दौरान लगी चोट से बाद में भी हो सकता है। यदि आपको अचानक दर्द होने पर 72 घंटे के अंदर आराम न मिलें तो चिकित्‍सक से संपर्क करना चाहिए।

किन कारणों से होता है ये दर्द

लो बैक पेन होने का कोई एक निश्चित कारण नहीं है। विभिन्‍न लोगों में लो बैक पेन होने की वजह अलग-अलग हो सकती है। वैसे इसके होने का मुख्‍य कारण मशल्‍स या अस्थिरज्‍जु में खिंचाव आना होता है। जब आप शरीर के ऊपरी भाग से ज्‍यादा वजन वाली कोई वस्‍तु उठाते हैं तो यह हमेशा ही आपकी लोअर बैक पर असर डालती है

क्या कहते हैं डॉक्टर्स

पीठ दर्द के निदान के लिए कई चिकित्‍सक और मरीज एक्‍स-रे, सीटी स्‍कैन और एमआरआई कराने में विश्‍वास रखते हैं। कुछ मामलों में तो ये जांच प्रभावी होती हैं और पीठ दर्द के कारणों का निदान हो जाता है, लेकिन कई मामले इन जांच के दौरान पकड़ में नहीं आते क्‍योंकि वे मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और अन्‍य नरम ऊतकों से संबंधित होते हैं। पीठ दर्द के लिए जिम्‍मेदार प्रमुख कारण का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है और यह इसके लिए होने वाले विश्‍लेषण को जटिल बनाता है। इसके लिए इसका सही निदान ही प्रमुख उपचार हो सकता है। वास्‍तव में डिजिटल स्‍पाइन एनालिसिस (डीएसए) ही इसका वास्‍तविक विश्‍लेषण प्रदान करता है। 

कैट पोज व्यायाम

अपने दोनों घुटनों व हथेलियों को जमीन पर टिकाएं। यह स्थिति मरजरी आसान के सामान होती है। ध्यान रहें घुटनों को कलाइयों,नितंबों, कोहनी व कंधों की सीध में रहें। अपनी गर्दन को लबा रखें, कंधों को पीछे की ओर रखें। इस अवस्था के दौरान अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। गहरी सांस लेते हुए शरीर को स्ट्रेच करें और सांस छोड़ते समय पुन: पहली वाली अवस्था में आ जाएं। इस प्रक्रिया को कम से कम आठ से दस बार दोहराएं।

नी रोल व्यायाम

किसी समतल स्थान पर पीठ के बल लेटें। सिर के नीचे छोटा कुशन या किताब रखें। दोनों घुटनों को मिलाकर शरीर के दायीं ओर तरफ झुकाएं। घुटनों को झुकाते समय शरीर को रिलैक्स रखें और अपनी ठोढ़ी को ऊपर की तरफ रखें।इस प्रक्रिया के दौरान अपने कंधे को जमीन से सटाकर रखें। सांस लेते समय शरीर को स्ट्रेच करके रखें और सांस छोड़ते समय उसी अवस्था में वापस आ जाएं। इस प्रक्रिया को आठ से दस बार दोहराएं।

स्ट्रेचिंग    

स्ट्रे‌चिंग का सबसे सही समय तब है जब आपकी मांसपेशियां अधिक जकड़ी न हों। व्यायाम के पहले स्ट्रे‌चिंग जरूर करें लेकिन इसके पहले थोड़ा वार्म अप करें जिससे मांसपेशियों को नुकसान न हो। एक जगह पर स्ट्रेचिंग करते वक्त उछले नहीं। एक आरामदयक मुद्रा अपनाएं और आराम से मांसपेशियों को खुला छोड़कर खींचे। इसके लिए ज्यादा जोर लगाने की आवश्यकता नहीं।15 से 30 मिनट तक मांसपेशियों को खींचकर उसी अवस्था में रहें और फिर आराम से छोड़ दें।व्यायाम के बीच में भी ब्रेक के लिए शरीर को स्ट्रेच कर सकते हैं।

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