पाश्चराइज्ड दूध के बारे में भ्रामक हैं ये 7 बातें, कहीं आप तो नहीं मानते इन्हें सच?

शहरों में ज्यादातर लोग पैकेटबंद पाश्चराइज्ड दूध पर ही निर्भर होते हैं। बहुत से लोगों को पाश्चराइज्ड दूध के बारे में तरह-तरह के भ्रम होते हैं और उन्हें लगता है कि इस दूध को पीने का कोई फायदा नहीं है।
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पाश्चराइज्ड दूध के बारे में भ्रामक हैं ये 7 बातें, कहीं आप तो नहीं मानते इन्हें सच?

दूध संपूर्ण आहार है- ये बात आपने भी सुनी होगी मगर कई बार दूध की शुद्धता और कई तरह के भ्रम के कारण आप दूध नहीं पीते हैं। दूध में कैल्शियम, वसा और ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं इसलिए ये बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। शहरों में ज्यादातर लोग पैकेटबंद पाश्चराइज्ड दूध पर ही निर्भर होते हैं। बहुत से लोगों को पाश्चराइज्ड दूध के बारे में तरह-तरह के भ्रम होते हैं और उन्हें लगता है कि इस दूध को पीने का कोई फायदा नहीं है। अगर आपको भी पाश्चराइज्ड दूध के बारे में ये सभी भ्रम हैं, तो जान लें क्या है सच्चाई।

पाश्चराइज्ड दूध में कम होते हैं पोषक तत्व

कई लोगों का मानना है कि पाश्चराइज्ड दूध की अपेक्षा कच्चे दूध में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि पाश्चराइज्ड और कच्चे दूध में पोषक तत्वों का स्तर समान होता है। पाश्चरीकरण की प्रक्रिया में दूध को कम समय के लिए उच्च तापमान (70 डिग्री सेल्सियस) पर गर्म किया जाता है जिससे दूध में मौजूद जीवाणु मर जाते है। दूसरे शब्दों में कहें तो पाश्च्युराइज्ड दूध से किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं होता। इसलिए कच्चे दूध की अपेक्षा ये ज्यादा सुरक्षित है और इससे भी आपको सभी पोषक तत्व मिलते हैं।

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दूध में पानी मिलाना जरूरी है

कई लोग मानते हैं कि दूध में पानी मिलाना जरूरी है क्योंकि कच्चे दूध को बिना पानी नहीं पकाना चाहिए। मगर सच्चाई ये है कि दूध में पानी मिलाने से उसमें मौजूद सभी पोषक पदार्थो की सांद्रता कम हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो सभी पोषक पदार्थो घनत्व कम हो जाता है। इसलिए अगर आप पैकेटबंद दूध लाते हैं, तो उसे बिना पानी मिलाए ही प्रयोग करें।

टोंड दूध में पोषक तत्व नहीं होते हैं

कई लोग मानते हैं कि टोंड दूध में सभी पोषक तत्व निकाल लिए जाते हैं इसलिए इसे पीना बिल्कुल फायदेमंद नहीं है। जबकि सच्चाई ये है कि दूध को टोन करने की प्रक्रिया के दौरान केलव वसा निकाला जाता है। इससे दूध में मौजूद कैलोरी कम हो जाती है। जबकि टोन करने के बाद भी दूध में मौजूद सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। हां कुछ तत्वों की मात्रा थोड़ी कम हो जाती है मगर जो लोग डाइटिंग करते हैं या जिन्हें वजन बढ़ने का डर होता है, उन्हें टोंड दूध जरूर पीना चाहिए। इससे उन्हें ज्यादा कैलोरी भी नहीं मिलेगी और सभी पोषक तत्व भी मिल जाएंगे।

लेक्टोस (दुग्ध शर्करा) पसंद नहीं है तो दूध से दूर रहना ही बेहतर है

कई लोग मानते हैं कि उन्हें लेक्टोस (दुग्ध शर्करा) पसंद नहीं है इसलिए उन्हें तो दूध और दूध से बने पदार्थों से दूर रहना चाहिए। मगर आपको बता दें कि दूध में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपको खाने की अन्य चीजों से उतनी मात्रा में नहीं मिलती हैं, जितनी शरीर को जरूरत होती है। इसलिए अगर आपको दूध नहीं पसंद है, तो दूध से बने अन्य पदार्थ जैसे- दही, पनीर, चीज, मक्खन, छाछ आदि का सेवन जरूर करें।

कैल्शियम के दूध के अलावा दूसरे स्रोत भी हैं

कई लोग मानते हैं कि कैल्शियम की प्रचुरता वाले और भी उत्पाद हैं तो दुग्ध उत्पादों की कोई जरूरत नहीं मगर सच्चाई ये है कि दूध प्राकृतिक रूप से मिलने वाले कैल्शियम का प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा दूध में प्रोटीन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक और विटामिन बी जैसे कई पोषक उत्पाद पाए जाते हैं। विटामिन बी हड्डियों के निर्माण में मददगार होता है। खास बात ये है कि अनाज, मूंगफली और पत्तेदार सब्जियों से मिलने वाला कैल्शियम पूर्ण रूप से अवशोषित नहीं होता। इसलिए दूध पीना जरूरी है।

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दूध एक संपूर्ण भोजन है

कई लोग ये भी मानते हैं कि दूध दूध अपने आप में एक संपूर्ण भोजन है इसलिए वो दूध वाले पदार्थों का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं और पोषक तत्वों के लिए इसी पर निर्भर रहते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि दूध में लोहा, विटामिन सी, डी, ई और के नहीं पाए जाते। अत: स्वस्थ शरीर के लिए सिर्फ दूध पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता।

नवजात शिशुओं के लिए अन्य फार्मूला दूधों की अपेक्षा गाय का दूध बेहतर होता है

कई लोग मानते हैं कि छोटे बच्चों को पिलाने के लिए अन्य फार्मूला दूधों की अपेक्षा गाय का दूध बेहतर होता है मगर सच्चाई ये है कि गाय के दूध से संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है और उसमें मौजूद वसा आसानी से नहीं पचता। इसी के चलते एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फार्मूला दूध कहीं बेहतर होता है।

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