जानें कैसे किसी बच्चे का नाम करता है उसके भविष्य को प्रभावित

लोगों का मानना है कि नाम आपके भविष्य पर भी गहरा असर डालता है। आपने कई मशहूर लोगों को भी बाद में अपना नाम बदलते देखा होगा। तो क्या वाकई बच्चे का नाम उसके भविष्य को प्रभावित कर सकता है? चलिये जानें
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जानें कैसे किसी बच्चे का नाम करता है उसके भविष्य को प्रभावित

नाम जीवन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। किसी भी इंसान की पहचान उसके नाम से होती है। यही कारण है कि बच्चों के नाम रखने को लेकर अच्छी खासी जद्दोजहद की जाती है। खासतौर पर हमारे देश में तो नाम रखना एक बेहद जटिल और अहम प्रक्रिया होती है। यहां नाम रखते समय धर्म, जाति और परिवेश का पूरा प्रभाव होता है। लोगों का मानना है कि नाम आपके भविष्य पर भी गहरा असर डालता है। आपने कई मशहूर लोगों को भी बाद में अपना नाम बदलते देखा होगा। तो क्या वाकई बच्चे का नाम उसके भविष्य को प्रभावित कर सकता है? चलिये इस विषय पर विस्तार से बात करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि नाम और भविष्य के बीच क्या संबंध है -

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क्या पहते हैं शोध

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि दूसरे लोग हमसे जिस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं, उसी के आधार पर आंशिक तौर पर हमारी पहचान तय होती है। हालांकि हमारे नाम में यह क्षमता होती है कि हमारे संवाद को समाज के साथ जोड़ा जा सके। अगल अलग अध्ययनों के माध्यम से पिछले 70 वर्षों में शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि एक असामान्य नाम होने पर किसी व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

Name Affects Future Of Child's In Hindi

 

शुरुआती अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों का पहला नाम असामान्य था उनमें से अधिकतर लोगों ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ने की इच्छा दिखाई थी और बाद की ज़िंदगी में अकेले रहे। वहीं एक अध्ययन में ऐसा भी पाया गया कि असामान्य नाम वाले मानसिक रोगी ज्यादा परेशान होते हैं।

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भावनाओं पर नियंत्रण करने की क्षमता

हाल में हुए शोध में कई विरोधाभास से भरी जानकारियां मिलीं। अमेरिका में गिलफर्ड कॉलेज में मनोवैज्ञानिक रिचर्ड वेगेनहाफ़्ट का मानना है कि अजीब या असामान्य नाम का कोई बुरा प्रभाव नहीं होता है, बल्कि आम और असामान्य दोनों नामों को कभी-कभी श्रेष्ठ समझा जाता है। वहीं न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्री के तौर पर काम कर रहे कॉनली का इस विषय में कहते हैं कि असामान्य नाम वाले बच्चे अपनी उत्तेजना पर काबू करना सीख सकते हैं। ऐसा इसलिये क्योंकि उन्हें छेड़ा जा सकता है, या उन्हें समय के साथ इस बात की आदत पड़ जाएगी कि लोग उनका नाम पूछ रहे हैं।

शोधकर्ताओं की मिली-जुली राय के हिसाब से यह तो नहीं कहा जा सकता कि नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन यह संदर्भ पर जरूर निर्भर करता है।

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