विश्व भर में लोगों के बीच परिवार के महत्व को पहुंचाने के लक्ष्य के साथ हर साल 15 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की घोषणा की थी और तब से लेकर अब तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। 'अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस' के लिए जिस प्रतीक चिह्न का चुनाव किया गया है, उसमें हरे रंग के एक गोल घेरे के बीच में एक दिल और घर अंकित है, जो दर्शाता है कि समाज का केंद्र परिवार ही है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 2019 की थीम 'फैमिलीज एंड क्लाइमेट एक्शन: फोकस ऑन एसडीजी13' रखी गई है। इस थीम का उद्देशय है कि किस तरह परिवार मिलकर क्लाइमेट चेंज के प्रति जागरूकता और शिक्षा के जरिए मदद कर सकते हैं।
दुनिया भर में इस दिन परिवार के महत्व को बताने के लिए विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं। परिवार का मतलब होता है, जब घर के सभी सदस्यों के बीच प्यार और खुशी है। लेकिन बदलती जीवनशैली और इस भागदौड़ भरी जिदंगी ने परिवार के सदस्यों के बीच प्यार व खुशी को थोड़ा कम कर दिया है, जिसके कारण सदस्यों के बीच एक-दूसरे के प्रति नाराजगी और गुस्सा बढ़ने लगा है। हालांकि आप अपने परिवार के बीच खुशी लाने के लिए कुछ चुनिंदा काम कर सकते हैं, जिससे हर सदस्य के चेहरे पर मुस्कान बनी रहे।
अकेला रहना घातक
बीते कुछ वर्षों से लोगों के बीच मिलजुल कर रहने की प्रथा में बदलाव आया है। लोगों का मानना है कि अकेले रहने से एक-दूसरे में झगड़े नहीं होते और प्यार बना रहता है जबकि ऐसा नहीं है। ज्वाइंट फैमिली में रहने से आप अपने प्रियजनों के बीच बने रहते हैं और अक्सर अपने दिल की बातें किसी व्यक्ति से शेयर कर ही देते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि लोग अपने घरों को छोड़कर दूसरे शहरों की तरफ भागते हैं और अपने परिवार से दूर हो जाते हैं। अकेले रहने से लोगों में तनाव, अवसाद जैसे बीमारियां भी लोगों को जकड़ लेती हैं, जिसके कारण कई आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं।
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मिलकर रहने से रिश्तों में बढ़ता है प्यार
परिवार के साथ रहने से पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है और दोनों के बीच झगड़ा होने पर परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्ग उन्हें समझाने के लिए हमेशा आगे होते हैं। इस तरह से दोनों के बीच मन-मुटाव जल्द ही समाप्त हो जाता है और उन्हें सीख भी मिलती है जबिक अकेले रहने वाले दंपत्तियों में झगड़ा होने पर बात इतनी बिगड़ जाती है कि दोनों के बीच अलग होने की नौबत आ जाती है और कई बार दोनों गुस्से में आकर कोई न कोई गलत कदम उठा ही लेते हैं।
बच्चों की परवरिश होती है बेहतर
परिवार के साथ रहने से बच्चों की परवरिश भी बहुत अच्छी होती है और उनमें संस्कार भी पैदा होते हैं जबिक अकेले रहने वाले दंपत्तियों के बच्चों में संस्कारों का अभाव होता है और उनकी परवरिश करना भी बहुत कठिन होता है। शहर में कई कामकाजी महिलाओं को बच्चों की देखभाल के लिए अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ती है और अगर वह नौकरी कर भी रही होती हैं तो उनके दिमाग में अक्सर यही चलता रहा है कि बच्चे घर पर सुरक्षित हैं या नहीं। वहीं अगर परिवार में बड़े-बुजुर्ग होंगे तो वह बच्चे की देखभाल कर सकेंगे और आप टेंशन फ्री होकर अपना काम।
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बीमार होने पर मिलती है मदद
अक्सर देखा जाता है कि अगर आप परिवार के साथ रहते हैं तो बीमार होने पर आपके भाई-बहन व माता-पिता कई कामों में आपकी मदद करते हैं, जिससे आपको बेहतर महसूस होने के साथ-साथ बीमारी से उबरने में मदद मिलती है जबिक अकेले रहने पर व्यक्ति अक्सर कोई काम ठीक से नहीं कर पाता और दिन ब दिन उसका स्वास्थ्य बिगड़ता जाता है। सिर्फ बीमार होने पर ही नहीं अकेला महसूस करने पर भी आपके परिजन आपके साथ ही होते हैं जबकि अकेले रहने वाले व्यक्ति अवसाद और तनाव का शिकार हो जाते हैं क्योंकि वह अपने दिल की बात किसी के साथ साझा ही नहीं कर पाते।
समाज से रहते हैं जुड़े
जब आप परिवार के साथ रहते हैं तो शादी-ब्याह के अवसरों, रिश्तेदारियों को निभाने की जिम्मेदारी के साथ आप समाज के दूसरे पहलू से भी जुड़ जाते हैं और आपमें आदर का भाव जाग जाता है। जबकि अकेले रहने वाले लोगों के साथ यही दिक्कत है कि उन्हें ऐसी संगत मिल जाती है कि उनमें बुरी आदतें लग जाती हैं। अकेले रहने वाले लोग समाज से कट जाते हैं और शरा, धूम्रपान और मादक पदार्थों का प्रयोग करने लगते हैं, जोकि न केवल स्वास्थ्य के लिए जोखिम भर है बल्कि उनके व्यवहार के लिए भी घातक है।
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