ऐसी कई फिल्में आ चुकी हैं जिसमें आपने देखा होगा कि कोई इंसान किसी शैतान या परी के श्राप के कारण पत्थर बनने लगता है।
लेकिन जब ऐसा सच में होने लगे तो?
हां जी। नेपाल में ऐसा एक शख्स है जो पत्थर बनने लगा है। इस शख्स का नाम रमेश दार्जी है। लेकिन वो किसी श्राप के कारण नहीं बल्कि एक अजीब तरह की बीमारी के कारण ऐसा बन रहा है। दिन पर दिन रमेश की कोमल त्वचा खत्म हो रही है और उसकी अब जगह मोटी, काली धारीदार चमड़ी ले रही है। अब तो रमेश की त्वचा इतनी अधिक कठोर हो चुकी है कि वो अपने साथ के बच्चों के साथ अब चल फिर भी नहीं पाता। संक्षेप में कहें तो रमेश अब धीरे-धीरे पत्थर की मूरत बनने लगा है।
पैदा होने के बाद ही शुरू हो गई थी बीमारी
रमेश अभी 11 साल का है और उसका लगभग आधा शरीर पत्थर की मूरत बनने लगा है। लेकिन रमेश को ये बीमारी अभी नहीं लगी है। रमेश को ये बीमारी उसके पैदा होने के 15 दिनों के बाद से होने लगी। रमेश जब पैदा हुआ था तो वो सामान्य बच्चों की तरह दिखता था लेकिन 15 दिनों बाद उसकी त्वचा मोटी, कोली धारीदार चमड़ी में बदलने लगी।
ऐसे में अब हालत ये हो गई है कि रमेशा का आधा शरीर धीरे-धीरे पत्थर की मूरत जैसा बनता जा रहा है। रमेश के मां-बाप ने बताया कि अब तो उसकी हालत काफी खराब हो चुकी है। अब तो केवल वह इतना बता पाता है कि कब उसे भूख लग रही है और कब उसे बाथरुम जाना है।
‘इक्थीओसिस’ नाम की है ये बीमारी
- रमेश को जो बीमरी हुई है उस दुर्लभ और अनोखी बीमारी को साइंस की भाषा में इस दुर्लभ बीमारी को ‘इक्थीओसिस’ नाम दिया गया है, जबकि डॉक्टर इस बीमारी को फंगस इंफेक्शन कह रहे हैं।
- इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली और हैरान करने वाली बात है कि इस बीमारी के बारे में खुद चिकित्सकों को अब तक समझ नहीं आ रहा। साथ ही अब तक रमेश का इलाज भी सउरू नहीं हो पाया है। क्योंकि रमेश के माता-पिता मजदूर हैं और नेपाल में मजदूरी करते हैं। ऐसे में उनके पास रमेश का इलाज कराने के लिए पैसा नहीं हैं।
- लेकिन रमेश के लिए सोशल मीडिया में चल रही मुहिम को देखते हुए ब्रिटिश सिंगर जॉस स्टोन रमेश की मदद के लिए आगे आए हैं। उन्होंने उसके इलाज के लिए एक म्यूजिक कॉन्सर्ट आयोजित किया, जिससे रमेश के इलाज के लिए 1,375 पाउंड इकट्ठा हुए हैं।
‘इक्थीओसिस’- क्या है ये?
- ‘इक्थीओसिस वल्गरिस’ एक वंशानुगत स्कीन डिसऑर्डर है जिसमें त्वचा की मृत कोशिकाएं त्वचा की सतरह पर इकट्टी होते जाती है।
- इस तरह की ‘इक्थीओसिस वल्गरिस’ को कई बार फिश स्केल डीज़िज या फिश स्कीन डीज़िज कहते हैं।
- ये पैदा होने के दौरान या बचपन में दिखना शुरू होता है।
- ‘इक्थीओसिस वल्गरिस’ फिलहाल अब तक लाइलाज बीमारी है क्योंकि ये ड्राई स्कीन की अधिकता के कारण होता है जिसको ठीक करने का इलाज अब तक चिकित्सक नहीं खोज पाए हैं।
कितनी अनोखी है ये बीमारी
यूएस नेशनल लायब्रेरी के मेडिसिन जेनेटिक्स के होम पेज के अनुसार ये बीमारी बहुत ही ज्यादा रेअर है। अब तक इसके सटीक तरह होने के बारे में जानकारी नहीं मिली है। 2014 में बार्ट्स हेल्थ नेशनल हेल्थ सर्विस के डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट के अहमद एच और ओ’टोले इआ द्वारा लिखे पेज के अनुसार अब तक ये बीमारी 3,00,000 बच्चों में से केवल एक बच्चे को इस बीमारी से ग्रस्त पाया गया है।
इसके लक्षण
‘इक्थीओसिस’ के लक्षण ठंड में और अधिक बेकार और दयनीय हो जाती है। ये बीमरी हवा और शुष्कता के संपर्क में आने से और अधिक जटिल हो जाती है। इसके लक्षणों में शामिल है-
- त्वचा का पपड़ीदार होना।
- त्वचा में खुजली होना।
- त्वचा पर पॉलीगन शेप बनना।
- शुष्क त्वचा ब्राउन, ग्रे और सफेद होने लगती है।
- त्वचा शुष्क होने लगती है।
- त्वचा की परत मोटी होने लगती है।
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