कैसे बचाएं रिश्ता जब आपके साथी में ना हो सहानुभूति

रिश्तों में अक्सर कई बातों को लेकर दरार आ जाती है, लेकिन तब भला क्या जब आपका साथी ही रिश्ते और आपके प्रति सहानुभूति न रखता हो?
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कैसे बचाएं रिश्ता जब आपके साथी में ना हो सहानुभूति

जीवन बदलाव का दूसरा नाम है। इस बदलाव से रिश्ते भी अछूते नहीं हैं, जिस तरह जिंदगी पल-पल रंग बदलती है ठीक उसी तरह इंसानी रिश्ते भी समय के साथ बनते-बदलते हैं। लेकिन की बार दोनों में से किसी एक की लापरवाही रिश्ते को बद से बदतर हो जाते हैं और एक दिन इसके टूटने की नौबत आ जाती है। खासतौर पर तब जबकि आपका साथी रिश्ते और आपके प्रति सहानुभूति न रखता हो, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, समाधान के लिए जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है। हालांकि इस स्थित का समाना किया जा सकता है और रिश्तों को टूटने से भी बचाया जा सकता है, बशर्ते परेशानियों और उनकी वज़हों को समझा जाएं और सही तरीके से उनका सामाना किया जाए। तो चलिए आज इस विषय पर थोड़ा खुल कर बात करते हैं और जानते हैं कि रिश्ते के प्रति असंवेदनशील साथी के साथ कैसे डील किया जाए।

 

 

How To Save Your Relation

 

 

 

क्यों टूटते हैं रिश्ते

दरअसल रिश्तों के टूटने की शुरुआत गलतफहमियों से होती है। अक्सर ये छोटी-छोटी गलतफहमी बहुत सी कडवाहट अपने आप में समेट लाती हैं। और जब एक लम्बा अरसा बीत जाता है तो इनके कारण रिश्ते में नफरत और क्रोध आ जाते हैं। कई बार ये गलतफहमियां ही होती हैं जिनकी वज़ह से आपका साथी आपके और अपने रिश्ते दोनो के प्रति सहानुभूति खो देता है, और रिश्ते को एक बोझ की तरह मानता है। कई मुद्दों पर महिलाएं और पुरूष दोनों अपने को ही श्रेष्ठ समझते हैं। ध्यान रहे ऐसे में अगर आप समझदारी से काम न लें, तो आने वाले समय में इस बात को ले कर आपस में समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसका मतलब ये नहीं कि आप सब कुछ सहती जाएं। सही तरीके से और सही समय पर चीजों का जवाब दें। रिश्ते में एक-दूसरे पर विश्वास करना बहुत जरूरी होता है, अपने साथी को भी इसका अहसास कराएं। अपने साथी को भी अपनी बात और काबिलियत रखने का मौका दें।  इसके अलावा रिश्तों के टूटने और साथी के रिश्ते के प्रति अजीब व्यवहार के कुछ अन्य लक्षण और कारण भी होते हैं, जैसे-  

 

 

 

बदलता व्यवहार

किसी रिश्ते से जुड़े दोनों लोगों की अपने रिश्ते के प्रति अपनी कुछ जिम्मेदारी व अपनी कुछ मांग होती हैं। ऐसा मुम्किन नहीं कि जिस प्रकार आप पहले दोस्त के रूप में जो व्यवहार करते थे, वह रिश्ते में जाने पर भी कर सकेंगे। जैसे अक्सर दोस्त से प्रेमी बने लड़का व लड़की पहले तो अपने साथी से  हल्का-फुल्का मजाक और दोस्ताना व्यवहार कर लेते हैं। लेकिन रिश्ते में जाने के बाद चीजें काफी बदल जाती हैं और आप पहले जैसा व्यवहार नहीं कर सकते हैं। कई बार आपका साथी इस बातको नहीं कहता लेकिन मन ही मन आपसे जी चुराने लग जाता है।

 

 

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रिश्ते की अलग-अलग जरूरतें

हर रिश्ते की अलग जरूरतें होती है। कहीं आपको बड़प्पन निभाना होता है, तो कहीं छोटा बनकर रहना पड़ता है। इसलिए अपने रिश्ते की जरूरत को समझना व उसके अनुरूप व्यवहार करना आपकी जिम्मेदारी है। ऐसा करने से न सिर्फ आपको बल्कि आपसे जुड़े लोगों को भी आसानी होती है। जब साथी नीरस हो तो रिश्ते को हमेशा सहजता से निभाएं, ताकि आपका व्यवहार बोझ ना लगे। कई बार साथी के बदलते व्यवहार को बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। लेकिन यही वह समय होता है जब आपको संयम और बुद्धी से काम लेने की जरूरत होती है।

 

 

कैसे करें डील

किसी भी रिश्ते को बचाने के लिए सबसे जरूरी है भावनात्मक रूप से उसे स्वीकार करना। अक्सर लोग रिश्ते की शुरुआत के कुछ सालों में अपने साथी से इस बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं, जो बाद में दरारों का रूप ले लेती है और आपके साथी के व्यवहार को बदल कर रख देती है। इसीलिए आपके लिए यह समझना जरुरी है कि आप खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करें। अभी तक आपने जो भी फैंसले लिये हैं, वे आपकी भावनात्मक सोच को दर्शाते हैं। लेकिन जब साथी की तरफ से प्रयास ठीक प्रकार से न हो पा रहा हो तो अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए आपको सबसे पहले उन अनसुलझी भावनाओं को पहचान कर उन्हें व्यक्त करना होगा जो आपको अपने अन्दर की बंदिश से उन्मुक्त करेंगी। बीती जिन्दंगी में संबंधों को समझने में जो गलतियां आपसे या आपके साथी से हुई हैं, ये वक्त उनसे सीख लेकर अपने रिश्ते में विश्वास और मजबूती लाने का है। सकारात्मक सोच और सही टोन के साथ संबंध को सामान्य बनाने की कोशिश करें। यकीन मानिए, आपको वह प्रेम अवश्य मिल जाएगा, जो आप हमेशा से चाहती थीं।

 

 

 

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