हमारे समाज में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, साथ ही हमारी दिनचर्या और आदतों में भी तेज़ बदलाव आ रहे हैं। मुझे ठीक से याद है सर्दियों की शुरुआत के साथ ही मम्मी. दादी और नानियां ऊंन खरीद कर स्वेटर बुनाई में लग जाती थीं। महिलाओं में इसकी बकायदा एक होड़ और प्रतियोगिता सी लग जाती थी और वे एक-दूसरे से नई डिजाइन सीखती थीं। लेकिन अब इसे लोगों की व्यस्तता कहें या फिर स्टेटस सिंबल, आधुनिकता के इस दौर में स्वेटर बुनने की कला लुप्त होती जा रही है। हाथ से बने स्वेटर न सिर्फ ठंड भगाते हैं बल्कि उनके साथ भावनाओं की गर्माहट भी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जाने-अनजाने में बुनाई करने की यह कला शारीरिक व मानसिक समस्याओं को भी दूर भगाती है। चलिये विस्तार से जानें -
स्वेटर बुनाई से दिमाग होता है तेज़
अध्ययन बताते हैं कि बुनाई करने की कला से दिमाग को रिलेक्स करने में मदद मिलती है। ठीक जिस तरह ध्यान केन्द्रित करने के लिए शांत वातावरण की जरूरत होती है वैसे ही स्वेटर आदि का नया डिजाइन डालने के लिये भी ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है। तो अगर शौकिया तौर पर भी आप कुछ समय के लिए बुनाई करती हैं तो आपको उससे कई फायदे हो सकते हैं। बुनाई की कला में हाथ और आंखों के बीच ठीक सामंजस्य की जरूरत पड़ती है।
ऐसा लगातार करते रहने से पूरे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही इससे हाथ व आंखों की एक्सरसाइज भी हो जाती है। बुनाई करने से उंगलियां व हाथ गतिशील रहते हैं, गठिया के मरीजों के लिये तो बुनाई काफी फायदेमंद होती है। लेकिन ध्यान रखें कि बुनाई करते वक्त आपका पोश्चर सही होना चाहिये और रोशनी भी पर्याप्त होनी चाहिये। बुनाई करने से दिमाग भी तेज बनता है, ऐसा इसलिये क्योंकि बुनाई करते वक्त दोनों हाथों से काम होता है और दिमाग के दोनों हिस्से एकसाथ काम करते हैं जिससे एकाग्रता बढ़ती है और दिमाग तेज होता है।
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