सिर और गर्दन पर होने वाला कैंसर इस क्षेत्र में होने वाले ट्यूमर से फैलता है। ये कैंसर ओरल कैविटी, ग्रसनी, गला, नाक कैविटी, पैरानेजल साइनस, थायराइड और सेलिवेरी ग्लैंड में होता है। सिर और गले में होने वाला कैंसर दुनिया में होने वाला पांचवें नंबर का कैंसर है। यह दुनिया के उन क्षेत्रों में ज्यादा होता है, जहां अधिक मात्रा में तंबाकू और अल्कोहल का सेवन किया जाता है।
भारत में मुंह और जीभ का कैंसर सिर और गर्दन के कैंसर से अधिक सामान्य है। और तो और, यह भी देखा गया है कि गले और सिर के कैंसर से प्रभावित होने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक होती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हेड एंड नेक सर्जरी के मुताबिक सिर और गले के कैंसर के 57.5 फीसदी मामले एशिया, विशेषकर भारत में होते हैं। ये महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकते हैं। भारत में इस कैंसर के हर बरस दो लाख से अधिक मामले सामने आते हैं। इसके अलावा, सिर और गले का कैंसर पुरुषों में होने वाले सभी प्रकार के कैंसर का तीस फीसदी होता है। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 11 से 16 फीसदी के बीच होता है।
तंबाकू (धूम्रपान अथवा खाने में) सिर और गले के कैंसर के सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से माना जाता है। इसके साथ ही इस बात के भी साक्ष्य मिले हैं कि तंबाकू के कैंसरकारी प्रभाव के लिए कुछ हद तक अनुवांशिकता भी उत्तरदायी होती है। तंबाकू के साथ अगर एल्कोहल का सेवन किया जाए, तो खतरा और बढ़ जाता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) को भी सिर और गले के कैंसर का एक कारक माना गया है। सिर और गले का कैंसर मुख्य रूप से एचपीवी के टॉन्सिल और तालू पर हमले से होने का खतरा होता है। इसके साथ ही रेडिएशन, सुपारी चूसने या चबाने, कुछ खास विटामिनो की कमी, पेरिओडोन्टल यानी मसूड़ों की बीमारी और व्यावसायिक जोखिम उत्तरदायी होते हैं।
सिर और गले के कैंसर के कुछ लक्षणों में
• मुंह में सूजन अथवा मुंह से खून आना
• गले में सूजन
• निगलने में परेशानी
• आवाज का कर्कश होना
• लंबे समय से चली आ रही खांसी अथवा खांसी के साथ खून आना
• गर्दन पर गांठ
• कान में दर्द, सुनायी देना बंद होना अथवा कान में घंटियां बजते रहना
गले और सिर के कैंसर के जोखिम कारकों को कम करने के लिए अपनायें ये उपाय
• धूम्रपान और तंबाकू के अन्य उत्पादों का सेवन छोड़कर
• एल्कोहल के सेवन को कम करके
• मारिजुआना का सेवन न करके
• एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन और लिप बाम का इस्तेमाल करके
• अधिक सेक्स पार्टनर होने से एचवीपी वायरस का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अपने पार्टनर के पति वफादर रहकर भी इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
निदान
इस बीमारी के कारणों का निदान करने के लिए डॉक्टर शारीरिक जांच के साथ ही अन्य जांच भी करता है। शारीरिक जांच के दौरान डॉक्टर एक छोटा शीशा और/अथवा रोशनी के जरिये मुंह, नाक, गले, गर्दन और जीभ की जांच करता है। इसके साथ ही डॉक्टर मरीज के गले होंठ, मसूड़ों और गालों पर किसी प्रकार की संभावित गांठ की भी जांच कर सकता है। इसके अलावा सिर और गले के कैंसर का पता लगाने के लिए एंडोस्कोपी, एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन के साथ ही रक्त, मूत्र और अन्य प्रयोगशालीय जांच भी करने की सलाह दे सकता है।
इलाज
सिर और गले के कैंसर का इलाज ट्यूमर की स्थिति, पोजीशन, चरण और मरीज की सेहत पर निर्भर करता है। इलाज की प्रक्रिया में मुख्य रूप से एक अथवा अधिक उपाय उपयोग किये जा सकते हैं।
सर्जरी
कैंसर को हटाने के लिए, डॉक्टर सर्जरी का सहारा ले सकते हैं। इसमें कैंसर प्रभावित क्षेत्र के आसपास स्थित कुछ स्वस्थ कोशिकाओं को भी हटाना पड़ सकता है। यदि डॉक्टर कैंसर के फैलने को लेकर शंकित जो, तो वह गले के लिम्फ नोड को भी हटा सकता है।
कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी एक पारिभाषिक शब्द है, जिसका संबंध कैंसर को पूरे शरीर से खत्म करने वाली दवाओं के समूह से होता है। इस इलाज के कुछ प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे भूख कम होना, बालों का झड़ना, मुंह में सूजन, थकान आदि। कीमोथेरेपी करवाने से पहले मरीज को डॉक्टर से इन प्रतिकूल प्रभावों और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में बात कर लेनी चाहिए।
रेडिएशन थेरेपी
रेडियोथेरेपी में उच्च क्षमता युक्त किरणों के जरिये कैंसर कोशिकाओं को समाप्त किया जाता है। यह रेडिएशन आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार से दिये जा सकता है।
इलाज के बाद मरीज को चबाने, खाने और बात करने में परेशानी हो सकती हे। अगर ऐसा होता है, तो रिहेबिलिटेशन की जरूरत पड़ती है, जिसमें डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ मिलकर मरीज को सामान्य रूप से चबाने, खाने और बात करने में मदद करते हैं। इलाज के बाद भी डॉक्टर यह जांचने के लिए कि कहीं कैंसर लौट तो नहीं आ रहा, आपकी नियमित जांच कर सकता है। फॉलो-अप टेस्ट में जांच, रक्त जांच और इमेजिंग टेस्ट शामिल हो सकते हैं।
सिर और गले के कैंसर के इलाज के बाद भी गहरी नजर मरीज की देखभाल का अहम हिस्सा होता है। मरीज की ऐसी देखभाल करनी जरूरी होती है, ताकि ट्यूमर की पुनरावृत्ति न हो। फॉलो अप के बाद में इलाज से जुड़ी समस्याओं को दूर करने और धूम्रपान छोड़ने जैसी आदतों के लिए काउंसलिंग की भी जरूरत पड़ सकती है।