क्‍या ग्रीन टी के सेवन से कैंसर का खतरा होता है कम

ग्रीन टी को फायदेमंद तो माना ही जाता है, लेकिन इसके पीने वालों के लिए एक और अच्छी खबर है। एक ताजा शोध के अनुसार, यह कैंसर से लड़ने में भी कारगर होता है। ग्रीन टी में पाये जाने वाले एपिगैलोकेटचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी) में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है।
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क्‍या ग्रीन टी के सेवन से कैंसर का खतरा होता है कम

सुबह की चाय उठने में और सैर पर जाने में सहायक होती है लेकिन शायद आपको नहीं पता कि यह कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों से, एलज़ाइमर और पार्किसन  जैसी बीमारियों से भी बचाती है लेकिन ये सभी फायदे आपको तब मिलते हैं अगर आप ग्रीन टी पी रहे हैं। ग्रीन टी में बहुत से औषधीय गुण होते हैं और यह बहुत से एशियन समुदायों में पीढ़ियों से जानी जाती है। हाल में ऐसा पता चला है कि ग्रीन टी का सेवन करने से कैंसर जैसी भयावह बीमारी से भी बचा जा सकता है। पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के खाद्य वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रीन टी में पाया जाने वाला एक तत्व ऐसी प्रक्रिया को शुरू करने में सक्षम है जो स्वस्थ कोशिकाओं को छोड़कर कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारती है। ग्रीन टी में पाये जाने वाले एपिगैलोकेटचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी) में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है।

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एंटी ऑक्‍सीडेट है ग्रीन टी

ग्रीन टी, काली चाय वाली पत्तियों से बनी होती है लेकिन इसमें काली चाय से कम प्रक्रि‍याएं होती हैं। चाय को बनाते समय पत्तियों को तोड़ा जाता है और फिर आक्सिडाइज कर सुखाया जाता है। आक्सिडेशन से अक्‍सर चाय के कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व निकल जाते हैं। ग्रीन टी उन्हीं पत्तियों से बनी होती है और उन्हें तोड़कर गर्म किया जाता है या भाप दिया जाता है जिससे कि वह सूख जाये। ऐसे में आक्सिडेशन नहीं होता जिससे कि यह एण्टी आक्सिडेंट जैसा बर्ताव करती हैं और इसलिए ऐसी चाय को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

 

कैंसर की संभावना कम करें

जापान, चाइना और कोरिया जैसी एशियन संस्कृति में चाय पीने की एक प्रथा भी है। पाश्चात्य औषधी ने ही सिर्फ सुगन्धित पेय की अच्छाइयां खोजी हैं। रोकैस्टर इनवायरमेंट हैल्थ साइंस सेन्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया कि हरी चाय में मौजूद केमिकल कैंसर के कारक टोबैको के प्रभाव को कम करते हैं। यह शोध सिद्ध करता है कि वो लोग जो ग्रीन टी पीते हैं उनकी तुलना में वो जो ग्रीन टी नहीं पीते हैं उनमें कैंसर की सम्भावना बढ़ जाती है।

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कैंसर सेल्स की उन्नति को रोकें

वैज्ञानिकों ने यह भी माना है कि हरी चाय में दो महत्वपूर्ण एण्टीआक्सिडेंट एपीगैलोकाटैकिनगैलेट इजीसीजी और एपीगैलोकाटैकिन इजीसी पाये जाते हैं। ये ट्यूमर सेल्स में पाये जाने वाले प्रोटीन से जुड़ जाते हैं और कैंसर सेल्स की उन्नति को रोकते हैं और फिर दूसरे प्रकार के कैंसर जैसे लंग, लीवर, स्किन, पैंक्रियाज और ब्रेस्ट के सेल्स तक नहीं पहुंच पाते।


रोगों से लड़ने की बढ़ती है शक्ति

एण्टीआक्सीडेंट की मात्रा एण्टी कैंसर प्रभाव के लिए जरूरी होती है वो हमारे शरीर को 2 से 3 कप चाय में मिल जाती है। हरी चाय में पाये जाने वाला दूसरा घटक हैं, कैफीन जिसका कि ट्यूमर सेल्स की उन्नति पर कोई प्रभाव नहीं होता। हरी चाय रोगों से लड़ने का ना सिर्फ एक अच्छा प्रतिरोधक उपाय है बल्कि इसमें सम्भावित रोगों से लड़ने की शक्ति भी है।

 

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ट्यूमर सेल्स को बढ़ने से रोकें

एण्टीआक्सिडेंट इसीजीसी ट्यूमर से बचाव करने के साथ साथ ट्यूमर के सेल्स को बढ़ने से भी रोकते हैं। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इजीसीजी ट्यूमर के केमिकल डाइहायड्रोफोलेट रिडक्टेज़ डी एच एफ आर को बांध देता हैं जो कि ट्यूमर सेल्स को बढ़ावा देता है और फिर ट्यूमर के सेल्स बढ़ नहीं पाते हैं। लेकिन हरी चाय की एक खामी यह है कि यह विटामिन बी 9 फॉलिक एसिड के लेवल को शरीर में कम करता है लेकिन इस कमी को दूसरे फालिक एसिड के उत्पादों को लेकर पूरा किया जा सकता है जैसे चिकन, बीन्स और हरी सब्जियां।
    

एक प्राकृतिक उपज होने की वजह से हरी चाय शरीर के बिना किसी स्वस्थ टिश्यू को प्रभावित किये कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकती है। पारम्परिक कैंसर की चिकित्सा के लिए प्रयुक्त रेडियेशन और कीमोथेरेपी स्वस्थ सेल्स और कैंसरस सेल्स में फर्क नहीं कर पाती हैं इसलिए हरी चाय एक ईश्वरीय देन है।


Image Courtesy : Getty Images

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