डाइट सोड़ा ड्रिंक्स के सेवन से स्वास्थ को होने वाले नुकसान के बारे में काफी शोध और मत आते रहे हैं। लेकिन हाल में हुए एक शोध के नतीजों ने डाइट सोड़ा व रसायन से भरे पश्चिमी आहार और प्रसंस्कृत प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के खिलाफ हो रही जंग में बारूद का काम किया है। जी हां कम कैलोरी वाले डायट साफ्ट ड्रिंक्स व सोडा ड्रिंक से नुकसान हो सकता है। एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि इस तरह के शीतल पेय का दिन में एक बार सेवन करने से व्यक्ति में दिल के दौरे का खतरा काफी बढ़ सकता है। चलिए विस्तार से जानते हैं डाइट सोड़ा और इसके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव से जुड़ें सभी पहलुओं और शोधों के बारे में।
शोध से आए परिणाम
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी 2014 साइंटिफिक सेशन में प्रस्तुत निष्कर्षों के अनुसार, डाइट सोड़े का सेवन, हृदय की समस्याओं और हृदय संबंधित रोग व इसके कारण मृत्यु दर में वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ है। ये परिणाम पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं के एक पर्यवेक्षणीय अध्ययन पर आधारित थे। वे महिलाएं जिन्होने एक दिन में 12 औंस (354 एमएल) या इससे अधिक डाइट सोडा पिया था, की तुलना उसके जैसे ही सोडा ना पीने वाली महिलाओं से की गई। इसमें पाया गया कि अध्ययन के बाद लगभग एक दशक के दौरान सोडा पीने वाले समूह की महिलाओं को कार्डियोवेस्कुलर इवेंट (दिल का दौरा पड़ने के समान) की आशंका में 30% की वृद्धि हुई और कार्डियोवेस्कुलर इवेंट के कारण मृत्यु का जोखिम 50% तक अधिक था।
क्या कहते हैं अन्य शोध
कम कैलोरी वाले डायट साफ्ट ड्रिंक्स से लाभ से अधिक नुकसान हो सकता है। पहले भी एक अध्ययन में दावा किया गया था कि इस प्रकार के पेय का दिन में एक बार भी सेवन करने से व्यक्ति में दिल के दौरे का खतरा काफी बढ़ सकता है। मियामी मिलर स्कूल आफ मेडिसिन यूनिवर्सिटी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने कहा था कि उनके शोध के निष्कर्ष डायट ड्रिंक्स के स्वास्थ्यकर होने की बात को खारिज करते हैं। इनके सेवन से पतले होने में मदद मिलती है। डेली एक्सप्रेस अखबार में थपी इस खबर के अनुसार, अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया था कि जो लोग प्रतिदिन डायट ड्रिंक्स पीते हैं उनमें दिल के दौरे या नाड़ी संबंधी रोग होने की आशंका 43 प्रतिशत तक ज्यादा होती है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में डायट और सामान्य दोनों तरह के शीतल पेय के सेवन करने वाले लोगों को शामिल कर दिल के दौरे तथा नाड़ी संबंधी रोगों के खतरे का अध्ययन किया गया था। निष्कर्षों में पाया गया कि जो लोग रोज़ डायट ड्रिंक्स पीते हैं उनमें दिल के दौरे या नाड़ी संबंधी रोग होने की आशंका 43 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। शोध दल का नेतृत्व करने वाले हाना गार्डनर ने इस संदर्भ में कहा था कि हमारे नतीजों में संकेत मिले हैं कि प्रतिदिन डायट शीतल पेय के सेवन और नाड़ी संबंधी रोगों के बीच गहरा संबंध है।
सॉफ्ट ड्रिंक्स के सेहत पर अन्य दुष्प्रभाव
अधिकतर डायट सोडा पदार्थों में प्रिजर्वेटिव्स के तौर पर सिट्रिक एसिड और फॉस्फोरिक एसिड प्रयोग किये जाते हैं। खून में इन एसिडों की अधिकता पीएच अंसुलन पैदा कर सकती है, जिसे संतुलित करने के लिए शरीर कैल्शियम का इस्तेमाल करता है, और यह कैल्शियम हड्डियों से लिया किया जाता है, जो कि आगे चलकर ओस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है। यही कारण है कि अधिक सोडा सेवन करने वाले किशोरों और युवाओं में हड्डियां कमजोर होने समस्याएं तेज़ी से बढ़ती जा रही हैं। वहीं इन ड्रिंक्स में कैफीन की अधिक मौजूदगी डिहाइड्रेशन की समस्या उत्पन्न कर देती है। साथ ही इसके कारण शरीर में कई मिनरल तत्वों की कमी भी होने लगती है।
वर्ष 2009 में जरनल ऑफ अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च में प्रकाशित, वॉशिंगटन डीसी के जॉजर्टाउन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में कैंसर कंट्रोल प्रोग्राम से जुड़े एक रिसर्च एसोसिएट निऑन टी. म्युलर, एमपीएच के एक अध्ययन के मुताबिक, हर हफ्ते दो काबरेनेटेड ड्रिंक्स (330 मिली प्रति केन) पीने से अग्न्याशय कैंसर (पेनक्रिएटिक कैंसर) का जोखिम बढ़ जाता है।
अमेरिका के बाल्टिमोर स्थित हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में कैफीन की लत डालने की प्रकृति पर हुए कुछ परीक्षण हुए। इनके अनुसार, प्रतिदिन किसी भी रूप में एक कप से अधिक कैफीनयुक्त बेवरेज का सेवन करने वाली महिलाओं को प्रीमेंस्ट्रल सिंड्रोम यानी माहवारी संबंधी समस्या होने का खतरा अधिक होता है।
आमतौर पर लोग शर्करायुक्त सोडे की जगह डाइट सोडा को तरजीह देते हैं। उनका मानना है कि ये डायट सोडा हमारी सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते। इन अध्ययनों के आधार पर अब यह कहा जा सकता है कि ऐसे लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है।
वर्ष 2011 में न्यूयॉर्क के तकरीबन 2500 लोगों पर किए गए शोध के मुताबिक वे लोग जो प्रतिदिन डाइट सोडा पीते हैं, उनमें नाड़ी संबंधी रोगों यानी कार्डियोवेस्कुलर डिजीज (इसमें हृदयाघात भी शामिल है) होने की आशंका 44 प्रतिशत बढ़ जाती है। लॉस एंजिल्स में अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन की इंटरनेशनल स्ट्रोक कॉन्फ्रेंस 2011 में पेश किये गए इस शोध में डायट सोडा के खतरनाक प्रभावों के बारे में चर्चा की गयी थी।
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