
माइक्रोवेव जीवनचर्या को आसान बनाने का एक साधन है। लेकिन आजकल लोग इस पर इतना ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि यह हमारी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने लगा है।
माइक्रोवेव जीवनचर्या को आसान बनाने का एक साधन है। लेकिन आजकल लोग इस पर इतना ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि यह हमारी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने लगा है। आजकल हर किचन में माइक्रोवेव होना आम बात हो गई है। मगर, यदि आप भी इसका खूब इस्तेमाल करते हैं, तो सावधान हो जाएं। क्योंकि यह कई बड़े रोगों को निमंत्रण देता है। किचन घर की सबसे हसीन जगह है, जहां मन से खाना बनाया जाता है और अपनेपन से परोसा जाता है। लेकिन कई बार यह प्यार टॉक्सिक भी हो जाता है। हमें पता ही नहीं होता कि यहां उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं, खासतौर पर कुछ कुकवेयर्स सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कोई नया डिनर सेट दिखा नहीं कि उसकी खूबसूरती पर मर मिटे और उसे खरीद लिया। अपनी सुविधानुसार मनमाने ढंग से उसका उपयोग भी करने लगे, बिना यह जाने कि कहीं इसका ऐसा उपयोग सेहत पर भारी तो नहीं पडेगा!
किन बीमारियों का रहता है खतरा
माइक्रोवेव में प्लास्टिक के कंटेनर में रखकर खाना गर्म करने का असर आपके होने वाले बच्चे में नपुंसकता, डायबिटीज, कैंसर, मोटापे, हाई बीपी आदि के रूप में सामने आ सकता है। इतना ही नहीं, इससे उच्च रक्तचाप और मानसिक बीमारियां होने के साथ ही आपके अजन्मे बच्चे के मस्तिष्क पर भी बुरा असर हो सकता है। यह जानकारी हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आई है। इसमें कहा गया है कि प्लास्टिक के बर्तन में माइक्रोवेव में खाना गर्म करने पर उसमें मौजूद केमिकल्स में से 95 फीसद खाने में रिलीज होते हैं।
माइक्रोवेव में क्यों नहीं रखने चाहिए प्लास्टिक कुकवेयर्स
कई बार माइक्रोवेव में प्लास्टिक बोल रख कर खाना गर्म करना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। जब माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर में खाना रखा जाता है तो उससे कुछ ऐसे केमिकल्स निकलते हैं, जो पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। शोधों में पाया गया है कि इनसे कुछ खास तरह के कैंसर्स का खतरा बढ सकता है। जब तक कंटेनर पर माइक्रोवेव सेफ का लेबल न लगा हो, उसे गर्म करने न रखें। प्लास्टिक की बॉटल्स लगभग हर घर में पानी के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। सामान्य तौर पर इन्हें 1 से 7 तक की रेटिंग दी जाती है। बॉटल की बाहरी तली में ये नंबर्स एक त्रिकोण के अंदर दिखते हैं, जिससे पता चलता है कि इनमें कितना टॉक्सिक प्रोडक्ट इस्तेमाल किया गया है। नंबर 3, 6 एवं 7 की रेटिंग वाली बॉटल्स ज्यादा टॉक्सिक होती हैं। नॉर्मल पेट (पीईटी) बॉटल्स को 1 की रेटिंग दी जाती है, जो सुरक्षित है। मगर इनमें गर्म पानी रखने या धूप के सीधे संपर्क में रखने से बचना चाहिए। सॉफ्ट ड्रिंक्स या जूस की बॉटल्स को पानी पीने या स्टोर करने के लिए न इस्तेमाल करें।
इसे भी पढ़ें : इंडियन टॉयलेट वेस्टर्न टॉयलेट से क्यों है बेहतर, जानें वैज्ञानिक तथ्य
माइक्रोवेव में भोजन गर्म करते समय इन बातों का रखें ध्यान
- ओवन में भोजन को गर्म करने के लिए केवल माइक्रोवेव-स्वीकृत कंटेनरों का उपयोग करें।
- प्लास्टिक की शीट या प्लास्टिक के कंटेनर को माइक्रोवेविंग के दौरान भोजन के संपर्क में न आने दें, क्योंकि यह पिघल सकता है और उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

- वैक्स पेपर या व्हाइट पेपर टॉव्ल में फूड को रखकर गर्म करना भी अच्छा विकल्प होता है।
- माइक्रोवेव डिनर ट्रे एक बार उपयोग के लिए हैं। एक बार के उपयोग के बाद उन्हें हटा देना सुनिश्चित करें।
- टूटे हुए प्लास्टिक माइक्रोवेवबल कंटेनर का उपयोग न करें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं।
- प्लास्टिक बैग के साथ माइक्रोवेव कंटेनर मत रखें।
- भोजन को माइक्रोवेव करते समय ढक्कन को थोड़ा खोल दें।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Miscellaneous In Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।