पुरुषों के लिए खतरनाक है टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम, जानें लक्षण और उपचार

कई पुरुषों को टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम की समस्या होती है। जिसे मेल हाइपोगोनडिस्म भी कहा जाता है
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पुरुषों के लिए खतरनाक है टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम, जानें लक्षण और उपचार


कई पुरुषों को टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम की समस्या होती है। जिसे मेल हाइपोगोनडिस्म भी कहा जाता है। इसमें टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बिगड़ने या टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आने की वजह से सेक्स की इच्छा घट जाती है। इसके साथ इरेक्टाइल डिस्फंक्‍शन की समस्या भी हो सकती है। इससे ना सिर्फ पुरुषों की सेक्सुअल परफॉर्मेंस बेकार होती है बल्कि स्वास्‍थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोगों में टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम जन्म लेने के साथ भी हो सकता है, या फिर बाद में चल कर किसी चोट या संक्रमण के कारण भी यह विकसित हो सकता है। इसका प्रभाव और प्रभावों से बचाव इसके कारण ताथा जीवन के किस बिंदु पर हुआ है, इस बात पर निर्भर करता है। कुछ प्रकार के टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद से उपचारित होते हैं। 

टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम के कारण

टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम के कई संभावित कारणों हो सकते हैं, जिनमें से कुछ हैं- आनुवंशिक- क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, जन्मजात- अनोर्चिया (anorchia), विषाक्त पदार्थों- शराब व भारी धातुएं, ड्रग्स- (उदाहरण के लिए कर्टिकोस्टेरॉइड्स), ओर्चिटिस- अंडकोष की सूजन, आघात- उम्र बढ़ने के कारण। 

टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम के लक्षण

टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम भ्रूण के विकास के दौरान शुरू हो सकता है, या फिर यौवन से पहले या वयस्कता के दौरान। इसके संकेत और लक्षण, इस सिंड्रोंम के विकसित होने के समय पर निर्भर करते हैं। 

भ्रूण के विकास के समय लक्षण

यदि शरीर भ्रूण के विकास के दौरान पर्याप्त टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन नहीं करता है तो टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम होने पर निम्न लक्षण हो सकते हैं, जैसे स्त्री जननांगों वाला बच्चा या अस्पष्ट जननांगों (जननांग न तो स्पष्ट रूप से पुरुष और न ही स्पष्ट रूप से महिला के होते हैं) या अविकसित पुरुष गुप्तांग वाला बच्चा। 

वयस्कता के समय

वयस्कता के समय मेल हाइपोगोनडिस्म कुछ मर्दाना शारीरिक विशेषताओं को बदलने और सामान्य प्रजनन समारोह को क्षीण करने का  कारण बन सकता है। इसके लक्षणों के तौर पर स्तंभन दोष, बांझपन, दाढ़ी और शरीर के बालों के विकास में कमी तथा मांसपेशियों में कमी आदि शामिल होते हैं। 

टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम का इलाज

टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह कब हुआ है और इसके कारण क्या हैं। इसके इलाज के लिए इंजेक्शन, ट्रांसडर्मल जैल, ट्रांसडर्मल पैच, गोलियां तथा ओरल कैप्सूल आदि दिये जाते हैं। कुछ प्रकार के टेस्टोस्टेरोन डिफिशन्सी सिंड्रोम टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद से उपचारित होते हैं।

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