मौसम बदलते ही बीमारियों का आना शुरू हो जाता है। ऐसे में मच्छर जनित बीमारियां अधिक फैलने का खतरा रहता है। मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू ऐसी ही बीमारियां है जो मच्छर जनित होने के साथ-साथ बदलते मौसम में सबसे ज्यादा पनपती है। डेंगू बुखार एडीस नामक मच्छर के काटने से फैलता है। एडीस मच्छर तो सिर्फ डेंगू का वाहक होता है लेकिन असली काम डेंगू परजीवी करते हैं। जिनसे संक्रमित व्यक्ति की जान भी जा सकती है। आइए जानते है कैसे डेंगू से जान का खतरा बना रहता है।
- बुखार हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। साथ ही दिल की बीमारी के मरीजों का भी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।
- डेंगू बुखार के लक्षण आम बुखार से थोड़े अलग होते हैं। इसमें बुखार बहुत तेज होता है। साथ में कमजोरी हो जाती है और चक्कर आते हैं। डेंगू के दौरान मुंह का स्वाद बदल जाता है और उल्टी भी आती है। सिरदर्द के साथ ही पूरा बदन दर्द करता है।
- डेंगू में गंभीर स्थिति होने पर कई लोगों को लाल-गुलाबी चकत्ते भी पड़ जाते हैं। अक्सर बुखार होने पर लोग घर में ‘क्रोसिन’ जैसी दवाओं से खुद ही अपना इलाज करते हैं। लेकिन डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर थोड़ी देर भी भारी पड़ सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। नहीं तो ये लापरवाही रोगी की जान भी ले सकती है।
- डेंगू रक्तस्राव ज्वर में नाक, मुंह व दांतों में रक्तस्राव के साथ तेज बुखार हो जाता है और मरीज के बुखार का स्तर 105 डिग्री तक भी जा सकता है, जिसका सीधा असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। डीएचएस पॉजीटिव जांच के बाद मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। यदि ऐसा न किया जाए तो वह किसी घातक बीमारी का शिकार हो सकता है या फिर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
- इंटरनेशनल मेडिकल एसो. के मुताबिक अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती और ना ही यह खतरे का संकेत है। लेकिन अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से कम होने लगें तो खतरनाक हो सकता है।
- डेंगू संक्रमित व्यक्ति अगर पानी पीने और कुछ भी खाने में परेशानी महसूस करता है और बार-बार कुछ भी खाते ही उल्टी करता है तो डीहाइड्रेशन का खतरा हो जाता है। इससे लीवर का खतरा हो सकता है।
- प्लेटलेट्स के कम होने या ब्लड प्रेशर के कम होने या खून का घनापन बढ़ने को भी खतरे की घंटी मानना चाहिए। साथ ही अगर खून आना शुरू हो जाए तो तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
- सामान्यतः डेंगू से ग्रसित होने वाले सभी लोगों को इससे खतरा होता है। खासतौर पर जब साधारण डेंगू बुखार के बजाय रोगी में रक्तस्राव ज्वर या आघात सिंड्रोम के लक्षण पाए जाते है।
- डेंगू बुखार होने पर सफाई का ध्यान रखने की जरूरत होती है। इलाज में खून को बदलने की जरूरत होती है इसलिए डेंगू के दौरान कुछ स्वस्थ व्यक्तियों को तैयार रखना चाहिए जो रक्तदान कर सकें।
- डेंगू की गंभीर व तीसरी अवस्था को डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है, जिसके तेज कपकपाहट के साथ मरीज को पसीने आते हैं। इस अवस्था में इलाज की देरी मरीज की जान ले सकती है। शॉक सिंड्रोम की स्थिति आने तक मरीज के शरीर पर लाल चकत्ते के दाग स्थाई हो जाते हैं, जिनमें खुजली भी होने लगती है।
जरूरी नहीं हर तरह के डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाए जाएं, केवल हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम डेंगू में प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। जबकि साधारण डेंगू में जरूरी दवाओं के साथ मरीज को ठीक किया जा सकता है। इस दौरान ताजे फलों का जूस व तरल चीजों का अधिक सेवन तेजी से रोगी की स्थिति में सुधार ला सकता है।
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