स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर हुए अध्ययनों पर रोज़ कई जानकारियां छपती ही रहती हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो सहज रूप से स्वास्थ्य और फिटनेस पर उनके वास्तविक विचार और जानकारियों के चलते हमारा ध्यान अपनी और खींच लेते हैं। या कहिये वे वाकई पढ़ने लायक होते हैं। ऐसे ही कुछ शोध और अध्ययन क्रोनिक तनाव और डायबिटीज़ के बीच संबंध को लेकर भी हुए हैं। तो चलिए इन शोधों और अध्ययनों पर एक सरसरी निग़ाह डालते हैं और तनाव और इसके डायबिटीज से जुड़े होने की बात को ढ़ंग से समझते हैं।
गत वर्ष हुए एक अध्ययन से भारतीयों में क्रोनिक मानसिक तनाव के मधुमेह के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक होने की बात सामने आई थी।
शोध के प्रमुख, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस के एस वी मधु के अनुसार " इस शोध के परिणाम दिखाते हैं कि इस नई प्रकार की डायबिटीज के लिए क्रोनिक तनाव का उच्च स्तर तथा तनाव मुकाबला करने की कमज़ोर क्षमताओं के कारण ग्लूकोज़ का संतुलन व इसे विनियमित करने की क्षमता की ह्रास होता है।"
मधु के अनुसार अब आ रहे मामलों में मधुमेह कोई वंशानुगत या मोटापा के शिकार लोगों को होने वाली समस्या भर नहीं रही है। अब क्रोनिक तनाव डायबिटीज़ के होने का एक बड़ा जोखिम कारक है। शोध बताते हैं कि तनाव आपके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने और इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी बनने का कारण बनता है। मधु के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज से बचने के लिए दवाओं के सेवन से बेहतर है कि अपनी जीवनशैली और खान-पान को बेहतर बनाया जाए।
डायबिटीज़ रोग आज बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेज़ी से बढ़ रही है। चींता की बात है कि अब इस गंभीर रोग से बच्चे भी अधिक संख्या में पीड़ित हो रहे हैं। आमतौर पर डायबिटीज़ अव्यवस्थित जीवनशैली और ख़राब खान-पान के कारण या फिर अनुंवांशिक कारणों से होती है। लेकिन जैसा कि हमने उपरोक्त शोध के माध्यम से जाना कि मधुमेह और तनाव का भी गहरा संबंध है। तनाव के कारण मधुमेह पीड़ित रोगी कई बीमारियों का भी शिकार हो सकते हैं। मधुमेह आमतौर पर गर्भवती महिलाओं और बड़ी उम्र के लोगों में हुआ करता है, लेकिन टाइप 1 मधुमेह बच्चों में खासतौर पर पनपता दिखाई दे रहा है। तनाव के कारण मधुमेह पीड़ित व्यक्ति में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है।
कुछ वर्ष पूर्व हुए एक शोध से पता चला था कि माता-पिता बच्चों को पढ़ाई के साथ अन्य क्षेत्रों में भी नंबर वन आने का दबाव डालते हैं। जिस कारण बच्चे तनाव में रहते हैं और मधुमेह के शिकार होते हैं। मधुमेह विशेषज्ञ बताते हैं कि तनाव मधुमेह का मुख्य कारण है। तनाव के दौरान फास्ट फूड खाने वाले दूसरी कक्षा के छात्र भी मधुमेह के शिकार हो सकते हैं। गौरतलब है कि देश भर में कई करोड़ों मधुमेह रोगी हैं, जिनमें बच्चों की भी बड़ी संस्या है।
वहीं कामकाजी लोगों में कार्यस्थल और तनाव एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो इस बात से इत्तफ़ाक रखे कि उसे कार्यस्थल पर कोई तनाव नहीं है। अध्ययन बताते हैं कि तनावपूर्ण माहौल में नौकरी करने से कई तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं, जिससे व्यक्ति समय से पहले बूढ़ा हो जाता है। तनाव में काम करने से व्यक्ति को टाइप-2 मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारी और कैंसर जैसी गंभीर रोगों का समाना कतरना पड़ सकता है।
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