बच्चों को कम सुनाई देना या बिल्कुल नहीं सुनाई देना एक गंभीर समस्या है। अगर बच्चे को एक सामान्य स्वर में की गई बातचीत सुनने में समस्या हो रही है तो इसे हल्के मे ना लें। ऐसी अवस्था में तुंरत डॉक्टर से संपंर्क कर इस समस्या के बारे में बताएं।
अकसर हम कान में होने वाली समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते हैं जिसकी वजह से यह समस्या आगे चलकर एक गंभीर रुप ले लेती है। छोटी उम्र में सुनने की क्षमता खो देने का सबसे आम कारण मध्य कान में संक्रमण है। ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण से बिगड़ कर यूस्टेशियन ट्यूब (नाक व कान को जोड़ने वाली नली) मध्य कान में संक्रमण होता है।
बच्चों में हियरिंग लॉस के कारणों को जानें-
ओटिटिस समस्या
मध्य कान यूस्टेशियन ट्यूब द्वारा नाक से जुड़ा रहता है। यूस्टेशियन नाक को ई एन टी (ईयर नोज़ थ्रोट) ट्यूब भी कह सकते हैं क्योंकि यह कान नाक और गले को जोड़ती है। इसलिए मिडिल इअर वातावारण में अचानक हुए हवा के दबाव में बदलाव को झेल सकती है। अगर अचानक किसी विस्फोट या धमाके की आवाज़ कान के पर्दे से टकराए तो वो फटता नहीं है क्योंकि यह जबर्दस्त दवाब ईएनटी ट्यूब द्वारा नाक की गुफा में चला जाता है। लेकिन कई मामलों में यही ई एन टी ट्यूब नाक व गले के संक्रमण भी कान तक पहुंचा देती है। जिससे बच्चों में सुनने की क्षमता कम होने लगती है।
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जन्मजात दोष
कुछ बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी की समस्या जन्मजात या अनुवांशिक भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान मां में डायबिटीज व टॉक्सेमिया की समस्या के कारण बच्चों में सुनने की क्षमता कम होने लगती है। इसीलिए जन्म के समय बच्चे की सुनने की क्षमता की जांच जरूर करानी चाहिए। इसके लिए किसी ईएनटी विशेषज्ञ से जांच कराएं। इस जांच में मशीन की मदद से बच्चे की ब्रेन की वेव्स को देखकर ही पता चल जाता है कि उसकी सुनने की क्षमता कैसी है।
अन्य कारण
बच्चों में सुनाई कम देने के कई कारण हो सकते हैं जिसमे उनका बीमार पड़ना भी शामिल है। कई बार चिकनपॉक्स, मैनिन्जाइटिस, मस्तिष्क की सूजन जैसी बीमारियां होने पर बच्चों के सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। इसके अलावा सिर पर लगी चोट, तेज ध्वनि भी इसका कारण हो सकते हैं।
बच्चों में सुनने की क्षमता कम होने के लक्षण
अगर आपके बच्चों में नीचे दिए लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे तो इसे गंभीरता से लें और डॉक्टर से संपंर्क करें क्योंकि बच्चों में बहरेपन के लक्षण हो सकते हैं-
- तेज आवाज पर प्रतिक्रिया ना देना।
- आपकी आवाज पर प्रतिक्रिया नहीं देना।
- सामान्य से काफी ऊंचा सुनाई देना।
- कान को बार-बार खींचन व रगड़ना
- बुखार आना।
- कान में दर्द होना।
- कान से द्रव्य का निकलना।
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