कैंसर होने की कोई एक वजह नहीं होती है। कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कई वजहों के एक साथ मिलने से कैंसर सेल्स का निर्माण होता है। यह कारण अनुवांशिक, वातावरण संबंधी व लाइफस्टाइल से भी जुड़े हो सकते हैं।
बच्चों में होने वाले कैंसर का निदान व इलाज बड़ों के कैंसर से अलग होता है। बच्चों को कैंसर होने पर कोशिकाओं की बढ़त नियंत्रण के बाहर हो जाती है, उनका आकार सामान्य नहीं होता है। साथ ही वे आसपास की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाती हैं जिससे अन्य अंगों में कैंसर के फैलने की आशंका रहती है। बच्चों में जैसे-जैसे कैंसर कोशिकाएं बढ़ने लगती है शरीर में न्यूट्रीन की खपत भी बढ़ने लगती है। कैंसर से बच्चे की शारीरिक शक्ति कम होने लगती है। बच्चों में कैंसर के लक्षणों में बुखार, ग्लैंड में सूजन व खून की कमी होना शामिल है। इन लक्षणों से बचने के लिए जानिए इनके पीछे क्या कारण होते हैं।
लाइफ स्टाइल
जिन लोगों की लाइफ स्टाइल सही नहीं होती है उनमें कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। धूम्रपान,उच्च कैलोरी युक्त खाना व विषैले रसायन के साथ काम करने से व्यस्क लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसी तरह अगर बच्चों की लाइफस्टाइल पर अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो वे भी कैंसर का शिकार हो जाते हैं। ऐसा देखा जाता है कि आजकल बच्चे अपनी उम्र से पहले ही बड़े होने की इच्छा में धूम्रपान, एल्कोहल के सेवन की शुरूआत कर देते हैं जिसकी वजह से उनकी लाइफस्टाइल बिगड़ जाती है नतीजन वे कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।
अनुवांशिक कारण
पारिवारिक इतिहास, वंशानुगत व अनुवांशिक कारणों से बच्चों में कैंसर के लक्षण दिखायी दे सकते हैं। कई बार बच्चों में कैंसर के लिए बाहरी तत्व जिम्मेदार ना होकर अंदुरुनी कारण होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता-पिता से जींस विरासत में मिलती है। अगर माता-पिता से आपको कुछ असामान्य जींस (जिन्हें म्यूटेशन कहते हैं)मिलते हैं तो यह कैंसर के खतरे को दस प्रतिशत तक बढ़ा देते हैं।
प्रतिरोधक क्षमता
जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वे जल्दी ही किसी भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं, इसमें कैंसर भी शामिल है। हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता हमें बीमारियों व इंफेक्शन से बचाती है। हमारी अस्थि मज्जा कोशिकाओं का निर्माण करती है जो बाद में परिपक्व हो कर प्रतिरोधक क्षमता का ही एक भाग बनती है। जिन बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनमें कैंसर की कोशिकाओं के फैलने की आशंका ज्यादा होती है।
पर्यावरण जोखिम
पर्यावरण जोखिम जैसे पेस्टीसाइड, फर्टीलाइजर व पॉवर लाइन्स का बच्चों में कैंसर से सीधा संबंध है। यदि गर्भवती महिला या नवजात शिशु उन रसायन के संपंर्क में आते हैं तो इससे बच्चों में कैंसर का खतरा हो सकता है।
कीमोथेरेपी व रेडिएशन
कीमोथेरेपी व रेडिएशन की ज्यादा मात्रा होने पर बच्चों में कैंसर की आशंका हो सकती है। कुछ मामलों में अगर बच्चें इनके संपंर्क में आते हैं तो उनमें ट्यूमर का खतरा हो सकता है। कैंसर के इलाज में प्रयोग होने वाली ये तकनीक काफी शक्तिशाली होती हैं जो कोशिकाओं व प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव डालती हैं।
Image Source : Getty & huffpost.com
Read More Articles On Cancer In Hindi
Read Next
गले के कैंसर के उपचार के तरीके
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version